अयोध्या भूमि विवाद मामले के पूर्व पक्षकार इकबाल अंसारी का कहना है ने राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के पहले बड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि अयोध्या धर्म की नगरी है. कल अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह किया जाएगा. जो भी लोग अयोध्या आए हैं उनका स्वागत है. हम चाहते हैं कि लोग भगवान राम की पूजा करें और उन्होंने जो रास्ता दिखाया उनका अनुसरण करें. हर धर्म इंसानियत का प्रतीक है. हर धर्म यही सिखाता है कि आपस में दुश्मनी नहीं होनी चाहिए, आपस में सद्भावना होनी चाहिए.
उधर, प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए केवल 1 दिन शेष रहने के मद्देनजर अयोध्या स्थित राम मंदिर को इस भव्य आयोजन के लिए पुष्पों और विशेष रोशनी से सजाया गया है. अयोध्यावासियों का कहना है, 'अयोध्या नगरी राममय हो रही है.'
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मंदिर न्यास के सूत्रों ने बताया कि सजावट के लिए फूलों के 'समृद्ध भंडार' का उपयोग किया गया है और 22 जनवरी को होने वाले समारोह के मद्देनजर मंदिर को सजाने के लिए फूलों के विशेष डिजाइन तैयार किए गए हैं.
एक सूत्र ने कहा, 'ये सभी असली फूल हैं और सर्दी के मौसम के कारण ये अपेक्षाकृत लंबे समय तक ताजा रहते हैं इसलिए वे प्राण प्रतिष्ठा समारोह तक ताजा रहेंगे. इन फूलों की सुगंध और सुंदरता ने मंदिर की दिव्यता को और बढ़ा दिया है.'
उन्होंने कहा कि फूलों से सजावट और रोशनी के लिए अलग-अलग टीम बनाई गई हैं और वे न्यास अधिकारियों के मार्गदर्शन में मिलकर काम कर रही हैं. सूत्र ने कहा कि बाहर के हिस्से में रोशनी की सजावट दीया की 'थीम' पर आधारित है ताकि इसे पारंपरिक रूप दिया जा सके और मंदिर के अलंकृत तत्वों को उजागर किया जा सके.
उन्होंने कहा, 'गर्भ गृह के अंदर पारंपरिक दीये का इस्तेमाल किया जाएगा.' उन्होंने कहा कि मंदिर के भीतर हल्की रोशनी वास्तुशिल्प तत्वों को उजागर करेगी जबकि बाहरी रोशनी शाम के बाद ही चालू की जाएगी.
अयोध्या स्थित राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले भगवान राम की नई मूर्ति बृहस्पतिवार की दोपहर राम जन्मभूमि मंदिर के गर्भगृह में रखी गई. मैसूर स्थित मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई 51 इंच की रामलला की मूर्ति को ट्रक से यहां लाया गया था.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कई अन्य गणमान्य अतिथि 22 जनवरी को मंदिर में 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह में शामिल होंगे. मंदिर न्यास के महासचिव चंपत राय ने संवाददाताओं से कहा था कि मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से और निकास दक्षिण दिशा से होगा तथा संपूर्ण मंदिर अधिरचना अंततः तीन मंजिला होगी.
मुख्य मंदिर तक पहुंचने के लिए पर्यटक पूर्वी दिशा से 32 सीढ़ियां चढ़ेंगे. पारंपरिक नागर शैली में निर्मित मंदिर परिसर 380 फीट लंबा (पूर्व-पश्चिम दिशा), 250 फीट चौड़ा और 161 फीट ऊंचा होगा.