UP News: उत्तर प्रदेश में इस समय पशुओं में लंपी वायरस (Lumpy Virus) का प्रकोप फैला हुआ है. यह बीमारी दुधारू गायों में पाई जा रही है, अब तक उत्तर प्रदेश के 21 जिलों से 12 हजार से ज्यादा केस सामने आए हैं जिसमें 85 पशुओं की मौत हो गई है. विशेषज्ञ बताते हैं कि इस बीमारी में तेज बुखार रहता है और पशु खाना छोड़ देते हैं.


बीमारी में खाना छोड़ देते हैं मवेशी


अयोध्या जिले के कुमारगंज स्थित आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ़ वेटरनरी साइंस के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ विभा यादव ने इस पर रिसर्च किया है. उनका कहना है कि लंपी वायरस मवेशियों में होने वाले संक्रामक रोग है, जो ज्यादातर गायों में हो रहा है. यह भैसों में न के बराबर होता है. इसका प्रमुख लक्षण मवेशी के नाक और मुंह से पानी या लार का गिरना, तेज बुखार आना है. इस बीमारी में मवेशी भोजन छोड़ देते हैं. पशुओं के चमड़ी के नीचे छोटे छोटे दाने हो जाते हैं. तेज बुखार के साथ वह दाने घाव का रूप ले लेते हैं. यह ज्यादातर मुंह, गर्दन, मलाशय और योनि में पाए जाते हैं.  उन्होंने बताया कि इसकी जानकारी सबसे पहले नजदीकी पशु चिकित्सालय में देनी चाहिए.


UKSSSC Paper Leak: 'देश में भ्रष्टाचार का हब बन रहा उत्तराखंड', कांग्रेस नेता करन माहरा का BJP पर बड़ा हमला


बीमार पशु के पास रखें साफ-सफाई का ध्यान - डॉक्टर


डॉ.विभा यादव ने कहा कि स्वस्थ पशुओं से इन पशुओं को अलग कर देना चाहिए. वहां पर साफ-सफाई का विशेष ध्यान देना चाहिए जिससे मक्खी और मच्छर उन मवेशियों पर नहीं बैठे. उन्होंने कहा कि बीमार मवेशियों पर मक्खी और मच्छर के माध्यम से स्वस्थ पशुओं में भी यह बीमारी फैल सकती है. उन्होंने बताया कि इसका मुख्य बचाव टीकाकरण है. पशुओं का टीकाकरण जरूर कराया जाना चाहिए क्योंकि इस बीमारी में बचाव ही इलाज है. दवाइयों के बारे में उन्होंने बताया कि लक्षण के अनुसार एंटीबायोटिक दवाओं का प्रयोग किया जाता है. डॉ. विभा ने बताया कि यदि किसी बीमार पशु की मृत्यु हो जाती है, तो उसको उचित स्थान पर गहरा गड्ढा दफ्ना देना चाहिए और पशु के ऊपर  चूना डालकर तब मिट्टी डाली जानी चाहिए जिससे उसका संक्रमण न फैल सके.


ये भी पढ़ें -


Kanpur: फर्जी मीटर रीडरों पर केस्को का बड़ा एक्शन, 116 घरों में की चेकिंग, 20 मीटर रिकॉर्ड से अलग मिले