अयोध्या: राम मंदिर के निर्माण को लेकर शुरू हुआ नया विवाद, निशाने पर आए ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय
अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो गई है. लेकिन इस बीच दिगंबर अखाड़े में साधु-संतों की एक बैठक हुई, जिसमें इस बात को साफ तौर पर कहा गया कि मंदिर निर्माण को लेकर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय की एकीकरण व्यवस्था के वह सब खिलाफ हैं और उन्हें विहिप के राम मंदिर मॉडल पर राम मंदिर का निर्माण स्वीकार नहीं है.
अयोध्या। बाबरी मस्जिद राम जन्मभूमि का विवाद भले हल हो गया हो और राम मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार द्वारा नए ट्रस्ट का गठन भी हो गया हो. राम जन्मभूमि परिसर में सफाई समतलीकरण का कार्य भी भले शुरू हो गया हो लेकिन विवाद अभी खत्म नहीं हुआ है. नए विवाद की शुरुआत राम मंदिर की ऊंचाई, भव्यता और किन पत्थरों से राम मंदिर का निर्माण हो इस पर शुरू हो गया है.
राम मंदिर आंदोलन के शलाका पुरुष रामचंद्र परमहंस के दिगंबर अखाड़े में साधु-संतों की एक बैठक हुई, जिसमें इस बात को साफ तौर पर कहा गया कि मंदिर निर्माण को लेकर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय की एकीकरण व्यवस्था के वह सब खिलाफ हैं और उन्हें विहिप के राम मंदिर मॉडल पर राम मंदिर का निर्माण स्वीकार नहीं है.
दिगंबर अखाड़े में हुई साधु-संतों की बैठक में कहा गया गया कि राम मंदिर का निर्माण राम जन्मभूमि कार्यशाला में तराशे गए पत्थरों के बजाय संगमरमर के पत्थरों से किया जाना चाहिए. इतना ही नहीं बैठक में यह भी कहा गया कि राम मंदिर का निर्माण होने के बाद इसकी पूरी व्यवस्था देश भर के साधु-संतों के हाथ में होनी चाहिए.
अयोध्या के संतों ने भी इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. संतों ने राम मंदिर निर्माण में अब पत्थरों को बदलवाने वाले संतों को राम मंदिर विरोधी करार दिया है. साथ ही संतों ने सिरे से संगमरमर के पत्थरों से मंदिर निर्माण की बात को नकार दिया है. संत समाज का कहना है कि इस काम को करने में 25 से 30 वर्ष लंबा समय लग जाएगा, ऐसे में राम मंदिर निर्माण में बाधा उत्पन्न होगी.
अयोध्या के संतों ने कहा कि अभी तक यही संत राम मंदिर निर्माण के लिए राम जन्म भूमि की कार्यशाला में तराश कर रखे गए पत्थरों से ही मंदिर बनाए जाने के पक्ष में थे परंतु ट्रस्ट में शामिल न होने के कारण राम मंदिर आंदोलन से जुड़े हुए कुछ संतो में नाराजगी है. नाराज संत अब राम जन्म भूमि के मंदिर निर्माण के लिए रखे गए पत्थरों को बदलने की मांग कर रहे हैं साथ ही विश्व का सबसे ऊंचा मंदिर बनाए जाने की मांग कर रहे हैं.