Ayodhya News: अयोध्या (Ayodhya) में भगवान राम के विवाह की धूम पूरे अयोध्या में दिखाई देगी. मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की मुख्य बारात तो जनकपुर जाती है. इसमें साधु संत और अयोध्यावासी होते हैं, लेकिन अयोध्या में श्री राम बारात एक मंदिर से दूसरे मंदिर में जाती है. अब आपके मन में एक सवाल जरूर आ रहा होगा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की बारात निकलती तो है, लेकिन अयोध्या में जाती कहां है क्योंकि अयोध्या तो श्री राम की जन्मभूमि है और जनकपुर तो नेपाल में है.
ऐसे निकाली जाती है भगवान राम की बारात
इस सवाल का जवाब जानने के लिए आपको अयोध्या और मिथिला के आपसी रिश्तों को समझना होगा. रसिक संप्रदाय से जुड़े साधु संत सीता को प्रमुखता देते हैं और खास तौर पर माता-पिता की आराधना करते हैं और यह सभी साधु संत अपने नाम के आगे शरण लगाते हैं, जबकि अपने नाम के आगे दास लगाने वाले साधु संत प्रभु श्री राम को ही अपना सब कुछ मानते हैं और माता सीता की आराधना उनकी धर्मपत्नी होने के नाते करते हैं. बारात निकालते और उसमें शामिल होते दास संप्रदाय के साधु संत के मंदिरों से श्री राम की बारात निकलती है और वह सभी लोग उस बारात में शामिल होते हैं.
वहीं दास संप्रदाय के साधु संत के मंदिरों में प्रभु राम की बारात जाती है और सीता पक्ष यानि रसिक संप्रदाय के उन लोगों के मंदिरों में जो अपने नाम के आगे शरण लगाते हैं. बारात पहुंचने पर वर पक्ष और कन्या पक्ष के बीच वह सभी रस्म निभाई जाती है जो सामान्यतः किसी विवाह समारोह में होती है और पूरे विधि-विधान के साथ मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम और माता-सीता की शादी संपन्न होती है.
एक मंदिर से दूसरे मंदिर जाती है बारात
रामजन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि यह विवाह अद्भुत इसलिए है कि अयोध्या से जो बारात जाती है वह बिना दूल्हे के जाती है. बिना दूल्हे की बारात यदि कोई गई तो वह भगवान राम की गई. अयोध्या में भी एक मंदिर से दूसरे मंदिर बारात जाती है. यहां पर एक पक्ष ऐसा है जो सीता जी का उपासक हैं और कुछ राम के उपासक हैं, जो शरण हैं वह सीता के उपासक हैं जो दास हैं वह राम के उपासक हैं. जो राम के उपासक होते हैं वह बारात लेकर के सीता के उपासक यानी की शरण के यहां जाते हैं.
यहां एक मंदिर से दूसरे मंदिर भी बारात जाती हैं और विवाह संपन्न होता है. इसलिए यह अद्भुत विवाह है. वर्तमान समय में भी यहां से बारात जनकपुर जाती है और वहां पर विवाह का कार्य संपन्न होता है और यह विवाह अद्भुत है. यह परंपरा विवाह की है, जिस प्रकार से सांस्कृतिक परंपरा के अनुसार भगवान राम और सीता का विवाह हुआ है, उसी शास्त्रीय परंपरा के अनुसार सभी को विवाह करना चाहिए.
रसिक पीठाधीश्वर महंत जन्मेजय शरण ने बताया कि भगवान राम घोड़े पर बैठकर बारात में जाते हैं, जो जनकपुर में परंपरा है वही परंपरा अयोध्या में भी है. श्री सीता-राम जी कहने के लिए दो है, लेकिन तत्व एक है. इसलिए उन्हीं के अनुरूप भव्य झांकियां निकालकर भगवान श्री सीताराम जी के विग्रह की पूजन और अर्चन करके उनके भावर का कार्यक्रम करते हैं, जिसमें हम श्री सीता जी के भाई के रूप में लावा परोसने का काम करते हैं.
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