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Ayodhya News: अयोध्या में राशन कार्ड में बड़ा गड़बड़झाला, कार्ड धारक को नहीं पता लेकिन दर्ज हो गए कई परिजनों के नाम!

UP News: यूपी के अयोध्या में कई ऐसे मामले आए हैं, जिसमें किसी परिवार में दो भाई हैं तो एक भाई के परिजन दूसरे के राशन कार्ड में भी दर्ज कर दिए जाते हैं. इस तरह एक नाम पर दो जगह राशन आ जाता है.

Ayodhya Ration Card News: हाल के दिनों में अपात्र लोगों की तरफ से राशन कार्ड सरेंडर करने और ऐसा नहीं करने पर उनके खिलाफ एफआईआर के साथ-साथ वसूली की कार्रवाई होने की खूब चर्चा हुई थी. इसके बाद बैकफुट पर आई यूपी सरकार ने इस मामले को लेकर सफाई दी थी, लेकिन आज हम आपको यूपी (UP) के अयोध्या (Ayodhya) में राशन कार्ड (Ration Card) में फर्जीवाड़े का एक ऐसा मामला बताने जा रहे हैं जो चल तो काफी दिनों से रहा लेकिन सामने अब आया है.

एक ही गांव के राशन कार्ड में इतने बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े का यह मामला आंख खोल देने वाला है. ऐसा नहीं कि इसकी जानकारी किसी को नहीं है. विभाग के जिला पूर्ति अधिकारी से लेकर राज्यमंत्री तक मानते हैं कि इस तरह का फर्जीवाड़ा है और सत्यापन करके राशन कार्ड में दर्ज फर्जी नाम हटाने की कार्रवाई भी चल रही है. मगर सबसे बड़ा सवाल यह है जिस पर कोई बोलने को तैयार नहीं है कि आखिरकार यह नाम जुड़े तो आखिर कैसे और इसके पीछे कौन जिम्मेदार है. यह न सिर्फ गरीबों के राशन की बड़े पैमाने पर बंदरबांट है, बल्कि फर्जी नाम आपूर्ति विभाग में सत्यापित होने से सुरक्षा के लिए भी बड़ा खतरा है.

नया राशन कार्ड मिलने पर दर्ज होता है बढ़े हुए लोगों के नाम

दरअसल इस पूरे खेल में राशन कार्ड धारक के नाम से घर के सदस्यों यानी यूनिट बढ़ाने के लिए ऑनलाइन आवेदन आपूर्ति विभाग की वेबसाइट पर किया जाता है. आपूर्ति निरीक्षक इन नामों पर जैसे ही मुहर लगा देता है, वैसे ही कोटेदार के खाते में बढ़े हुए लोगों का राशन जुड़ जाता है. इन बढ़े हुए नामों की जानकारी राशन कार्ड धारक को होती ही नहीं, क्योंकि जब राशन कार्ड बना था, तब उतने ही लोगों के नाम उस में लिखे थे, जितने घर में थे. ऐसे में जब पुराना राशन कार्ड भर जाता है और उसके स्थान पर नया राशन कार्ड मिलता है, तब जाकर बढ़े हुए लोगों के नाम दर्ज होते हैं.

इसके अलावा दूसरा तरीका यह है कि ऑनलाइन बढ़े हुए नामों के प्रपत्र आपूर्ति विभाग की वेबसाइट से निकालकर विभाग या फिर आपूर्ति निरीक्षक के पास कार्डधारक खुद लेकर जाए तभी उसके राशन कार्ड में बढ़े हुए नाम दर्ज किए जाते हैं. अब होता यह है कि जब राशन कार्ड धारक सरकारी राशन की दुकान पर पहुंचता है, तब कोटेदार उससे मशीन पर जल्दी से अंगूठा लगवा लेता है. एक तो यह कि गांव के अधिकतर परिवार यह जानते हैं कि उनके घर में कितनी यूनिट है और उतनी यूनिट का राशन उन्हें मिल गया तो मशीन में देखने की उन्हें कोई जरूरत नहीं. वह अंगूठा लगाकर अपना राशन लेने के बाद चले जाते हैं.

एक व्यक्ति के नाम पर दो जगह आ जाता है राशन

यही नहीं किसी परिवार में दो भाई हैं तो एक भाई के परिजन दूसरे के राशन कार्ड में भी दर्ज कर दिए जाते हैं. इस तरह एक व्यक्ति के नाम पर दो जगह राशन आ जाता है. कार्ड धारक को तो उतने ही यूनिट का राशन मिलता है, लेकिन बीच में राशन का जमकर बंदरबांट होता है. स्थानीय निवासी श्री राम का कहना है कि उनके परिवार में 3 लोग हैं और कोई नहीं है. हालांकि उनके घर में 7 लोगों का नाम दिखाया जा रहा है. ऐसे में उनका कहना है कि हम तीन यूनिट बता रहे हैं तो इसमें 7 यूनिट कहां से आ गया, हमें 15 किलो राशन मिलता है, जब हम तीन यूनिट है तो कैसे हम 7 हो जाएंगे. यह सब फर्जी है. इस तरह की बात संगीता, राजकुमार गुप्ता, राम बहाल और ज्योति सहित कई दूसरे स्थानीय लोग भी कर रहे हैं.

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जानिए क्या बोले जिला पूर्ति अधिकारी

ऐसा नहीं है कि इस तरह के फर्जीवाड़े की जानकारी आपूर्ति विभाग को नहीं होती है. यूपी के अयोध्या के मुनियार बाजार नामक जिस गांव की बात हम कर रहे हैं, उसको लेकर पहले से शिकायतें आपूर्ति विभाग के पास हैं. इसके लिए एक जांच समिति भी बनाई गई थी और वहां के पूर्ति निरीक्षक को हटा भी दिया गया था. अयोध्या के कार्यवाहक जिला पूर्ति अधिकारी सुमित यादव कहते हैं कि उन्होंने तो पूर्ति निरीक्षक को पहले ही फर्जी यूनिट हटाने के आदेश दे दिए हैं. 

उन्होंने कहा कि अब दो-चार दिन या एक हफ्ते के भीतर सारी फर्जी यूनिट डिलीट कर दी जाएगी. मगर गड़बड़ी कैसे हुई, इस पर सारा ठीकरा राशन कार्ड धारक के सिर पर फोड़ दिया जाता है और सारी गड़बड़ी के लिए उसी को जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है. यहां तक की जिला पूर्ति अधिकारी कहते हैं कि फर्जी बेटे-बेटी का नाम अगर ऑनलाइन दर्ज हुआ तो उसकी जिम्मेदारी राशन कार्ड धारक की है, उसको इसके बारे में विभागीय आपूर्ति निरीक्षक से शिकायत करनी चाहिए थी.

उन्होंने कहा कि अगर आप बाद में यूनिट चढ़वा रहे हैं, आपके पास उस समय आधार नहीं है, बाद में आपने आधार बनवाया और आप दे रहे हैं कि यूनिट बढ़ानी है तो बढ़ जाती है. आपके कार्ड पर वह दर्ज हो जाएगी. आप ऑनलाइन कराकर देंगे. उसका प्रिंट आउट निकाल कर देंगे, उसके बाद पूर्ति निरीक्षक स्तर पर स्वीकार होने के बाद जिला पूर्ति निरीक्षक स्तर पर दर्ज हो जाएगी, जितनी भी यूनिट ज्यादा होगी 5 किलो प्रति यूनिट के हिसाब से राशन बढ़ जाएगा.

खाद्य और रसद राज्यमंत्री बोले- सत्यापन का हो रहा है काम

वहीं इस मसले पर यूपी के खाद्य और रसद राज्यमंत्री सतीश चंद शर्मा अपने विभाग की रैंकिंग बताते हैं और स्वीकार भी करते हैं कि राशन कार्ड में बड़े पैमाने पर गड़बड़झाला हुआ है. उन्होंने कहा कि इसके लिए बड़े स्तर पर हम लोग सत्यापन करा रहे हैं. फर्जी लोगों को बाहर कर रहे हैं और उचित पात्रों को राशन उपलब्ध करा रहे हैं. उन्होंने कहा कि  खाद्य रसद विभाग लगातार 2017 और 2022 के बाद निरंतर गरीबों तक नि:शुल्क राशन पहुंचाने का काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि 2017 के बाद जिस तरह से मशीन से, अंगूठे से डिलीवरी और जरूरतमंद को राशन कार्ड उपलब्ध कराने का काम हुआ है. इसी की वजह से पूरे देश के अंदर एनएफएसए की रैकिंग में उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है.

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