Ayodhya News: उत्तर प्रदेश संस्कृति निदेशालय के अधीन आने वाले अयोध्या (Ayodhya) के अंतरराष्ट्रीय रामकथा संग्रहालय को अब लीज पर देने की तैयारी है. श्री राम मंदिर निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्र ने इस बारे में मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र को 30 सितंबर 2022 को ही प्रस्ताव भेज दिया था. उत्तर प्रदेश सरकार ने भी रामकथा संग्रहालय को श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को सौंपने का मन बना लिया है.
इसके लिए अब यहां सृजित डिप्टी डायरेक्टर योगेश कुमार समेत 7 कर्मचारियों को उत्तर प्रदेश संग्रहालय निदेशालय लखनऊ के अधीन किसी अन्य संग्रहालय में आवश्यकतानुसार समायोजित करने के आदेश भी दे दिए गए है. 3 एकड़ में फैले हुए अंतरराष्ट्रीय रामकथा संग्रहालय को 12.31 करोड़ की लागत से तैयार कर 2015 में संचालित कर दिया गया था. इसके पहले रामकथा संग्रहालय किराए के भवन में 1988 से संचालित था.
इस भवन में कुल 18 कमरे
ग्राउंड फ्लोर समेत दो तल के इस भवन में कुल 18 कमरे है. ग्राउंड फ्लोर पर रामजन्मभूमि परिसर के उत्खनन के दौरान मिले पुरातात्विक साक्ष्यों को संरक्षित और प्रदर्शित किया गया है. इसके अलावा पर्यटन विभाग द्वारा 4 आर्ट गैलेरी का भी निर्माण किया जा रहा है, जबकि प्रथम तल पर 2 आर्ट गैलरी है. इसमें 2016-17 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के आदेश पर तत्कालीन फैजाबाद कोषागार के डबल लॉक से लाई गईं. गुमनामी बाबा की 425 सामग्री संरक्षित और प्रदर्शित की गई है.
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की विमान दुर्घटना में हुई मौत का सच तलाशने वाले मुखर्जी आयोग ने इन सामानों को देखा था. अब सुभाष चंद्र बोस राष्ट्रीय विचार मंच के अध्यक्ष शक्ति सिंह सवाल उठाते हैं कि सरकार को रामकथा संग्रहालय श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को देते समय इस बात का ध्यान रखना होगा कि कहीं हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन तो नहीं हो रहा.हालांकि वह कहते हैं कि इस बारे में संस्कृति विभाग और राम मंदिर ट्रस्ट दोनों ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि सारे सामानों को सुरक्षित रूप से संरक्षित रखा जाएगा.
उच्च न्यायालय का यह है आदेश
सुभाष चंद्र बोस राष्ट्रीय विचार मंच के अध्यक्ष शक्ति सिंह ने कहा कि यह तो सरकार को देखना है कि कहीं इस कदम से माननीय हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना तो नहीं हो रही है, क्योंकि उच्च न्यायालय का यह आदेश है कि सारे सामानों को एक म्यूजियम बनाकर उसमें संरक्षित किया जाए. अब यह देखना है कि राम जन्मभूमि ट्रस्ट एक प्राइवेट पार्टी है, क्या उसमें सामानों को रखना सुरक्षित रहेगा.
श्री राम मंदिर निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्र ने जो पत्र मुख्य सचिव को भेजा था, उसमे उन्होंने साफ तौर पर लिखा है कि मंदिर परिसर के भीतर संग्रहालय अभिलेखागार के निर्माण के संबंध में हमारी चर्चाओं को याद कीजिए. हमारे साथ ट्रस्ट के सदस्यों में विशाल सिंह मुख्य कार्यकारी अधिकारी, अयोध्या विकास प्राधिकरण के साथ अयोध्या के भीतर अन्य सुविधाओं का स्थलीय सत्यापन किया था.
यह विचार था कि लखनऊ-अयोध्या राजमार्ग पर रामायण पर आधारित अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय की वर्तमान सुविधा आसानी से परिकल्पित संग्रहालय के रूप में काम कर सकती है और अलग निर्माण की आवश्यकता से बचा जा सकता है. यह संग्रहालय उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण में है, यदि मौजूदा व्यवस्था को ट्रस्ट को हस्तांतरित कर दिया जाता है तो यह सबसे अधिक उत्पादक और लागत प्रभावी होगा.
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