Ayodhya News: 30 से 35 फीट की दूरी से रामभक्त करेंगे आराध्य श्रीराम के दर्शन, जानें- कब तैयार होंगी मूर्तियां
Ram Mandir News: महासचिव चंपत राय ने बताया कि विद्वानों का सुझाव यह था कि दर्शक की आंख भगवान की आंख एक लाइन में आनी चाहिए और कम से कम 30 से 35 फीट की दूरी से ही दर्शन करना संभव है.
Ayodhya News: अयोध्या (Ayodhya) में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने साफ कर दिया है कि राम मंदिर का निर्माण पूर्व नियोजित टाइमलाइन के अनुसार चल रहा है और दिसंबर 2023 में हम प्राण प्रतिष्ठा कर सकते हैं. राम जन्मभूमि मंदिर में राम भक्तों को अपने आराध्य के दर्शन लगभग 30 से 35 फुट दूरी से होंगे. इसके लिए यह तय किया गया है कि मूर्ति तो रामलला के 5 से 7 वर्ष के बीच के बालस्वरूप की होगी, लेकिन इतनी बड़ी होगी कि श्रद्धालु भगवान की आंख और भगवान के चरण अपनी आंखों से देख सकें.
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि कुछ बातों पर निर्णय लिया गया है. इससे पहले हमारी बैठक सितंबर में हुई थी और अब यह जनवरी में हो रही है. अगली बैठक फिर 3 महीने बाद अयोध्या में होगी. सबको यह सूचित किया गया है कि निर्माण कार्य की प्रगति संतोषजनक है और दिसंबर 2023 में प्राण प्रतिष्ठा कर सकेंगे. परकोटे का निर्माण करने के लिए उसकी नींव बनाने के लिए खुदाई प्रारंभ हो गई है. रिटेनिंग वॉल का कार्य भी प्रारंभ हो गया है.
5 से 6 महीने का लगेगा वक्त
रामलला के खड़े स्वरूप की इस मूर्ति के स्वरूप को बनाने के लिए पहले देश के चुने हुए मूर्त चित्रकार पहले इसका चित्र तैयार करेंगे और उसके बाद 9 से 12 इंच की छोटी-छोटी मूर्तियां राम मंदिर ट्रस्ट के पास आएंगी. इन्हीं मूर्तियों को देखकर रामलला के बाल स्वरूप की आंखें चेहरा और यहां तक की उंगलियां तक तय की जाएंगी और इसी के बाद मूर्ति का निर्माण मूर्ति विशेषज्ञों की टीम करेगी जिसमें 5 से 6 माह का वक्त लगने वाला है.
महासचिव चंपत राय ने बताया कि विद्वानों का सुझाव यह था कि दर्शक की आंख भगवान की आंख एक लाइन में आनी चाहिए. दर्शक कितनी दूरी से देखेगा तो कम से कम 30 से 35 फीट की दूरी से ही दर्शन करना संभव है. 5 फीट 10 फीट निकट जाकर के दर्शन नहीं हो सकेगा, 30 से 35 फीट दूर खड़ा हुआ दर्शक और भगवान की आंख और भगवान के चरण यह मनुष्य की आंख में आनी चाहिए .
रामलला की मूर्ति इस तरह तैयार होगी कि सूरज की किरण उनके मस्तिष्क को रामनवमी के दिन तिलक करें, अर्थात सूर्य की किरण उनके मस्तिष्क पर सीधे आकर पड़े यह भी तय हो गया है कि जिस तरह रामलला के श्याम वर्ण का वर्णन है. उसके लिए कोई ऐसा पत्थर तलाशा जाएगा जो आसमानी रंग का हो और थोड़ा ग्रे कलर में गाढ़ा हो. ऐसे पत्थरों के निरीक्षण के लिए राम मंदिर ट्रस्ट की टीम अलग-अलग स्थानों पर जाएगी.
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