Ayodhya News: मौसम का मिजाज पूरी तरह से बदल चुका है और कड़कड़ाती ठंड पढ़ रही है. ऐसे में राम जन्मभूमि में विराजमान रामलला के लिए भी ठंड से बचाने का उपाय किया गया है. रामलला को शयन के लिए गद्दा रजाई और मच्छरदानी उपलब्ध कराई गई है. जिस स्थल पर रामलला का शयन होता है उस जगह पर पूरी रात के लिए ब्लोअर लगाया गया है. राम जन्मभूमि परिसर में विराजमान रामलला और उनके भाइयों की सेवा बालक रूप में की जाती है.


रामलला के लिए ठंड से बचाने का उपाय


रात्रि में सोने के लिए गद्दे और रजाई का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. हालांकि प्रक्रिया ट्रस्ट गठन के बाद से ही शुरू की गई थी. जिस स्थल पर रामलला का शयन है, उसी का सिंहासन हटा कर रामलला और उनके चारों भाइयों को शयन कराया जाता था. आरती के बाद अब उसमें भी बदलाव हुआ है. चांदी की तख्त पर भगवान रामलला का शयन के लिए अलग व्यवस्था की गई है. एक श्रद्धालु ने रामलला को बिछाने के लिए मखमली गद्दा और ओढ़ने के लिए मखमल की रजाई भेंट की है. इतना ही नहीं ठंड से बचने के लिए ब्लोअर भी रामलला को समर्पित किया गया है और इन सब का अनुपालन रामलला परिसर में विराजमान रामलला के लिए किया भी जा रहा है.


भक्त ने समर्पित किया मखमल का गद्दा 


रामलला के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का दावा है कि भगवान रामलला की शयन की व्यवस्थाएं पहले से चली आ रही हैं. रामलला जिस स्थल पर विराजमान हैं उस स्थल पर सिंहासन हटाकर गद्दा और रजाई में सुलाया जाता था. अब कड़ाके की ठंड देखते हुए एक राम भक्त ने रामलला को मखमल का गद्दा रजाई, मच्छरदानी और ब्लोअर भेंट किया है और उसी पर रामलला को शयन कराया जा रहा है. पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि अब राम, लक्ष्मण को एक साथ और भरत, शत्रुघ्न को एक साथ रामलला के अस्थाई भवन में शयन कराया जा रहा है. पूर्व में ऐसी व्यवस्था नहीं थी.  जहां पर रामलला बैठते थे, उसी जगह पर रामलला का सिंहासन हटाकर रामलला और उनके तीनों भाइयों को शयन कराया जाता था.


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