Ayodhya News: वैसे तो पुलिस के अच्छे कामों की चर्चा अक्सर होती रहती है, लेकिन उत्तर प्रदेश के अयोध्या में एक पुलिस अधिकारी ऐसा काम कर रहे हैं. जिसे सुनकर कोई भी तारीफ किए बिना नहीं रह सकेगा. यूपी के अयोध्या में एक पुलिस अधिकारी भीख मांगने वाले परिवारों के गरीब बच्चों को मुफ्त में पढ़ाने का काम कर रहे हैं. उनके इस काम की हर तरफ तारीफ हो रही है, बच्चे भी उनसे पढ़कर बहुत खुश हैं.
भागदौड़ भरी इस जिंदगी में जब अपने लिए भी समय निकालना मुश्किल है वे इन बच्चों के लिए समय निकालकर खूब मेहनत कर रहे हैं और उनका भविष्य संवार रहे हैं. वर्दी वाले गुरुजी ने पेड़ के नीचे की स्कूल की शुरुआत की थी तो 20 से 25 बच्चे आते थे, लेकिन अब 50 से अधिक बच्चे आते हैं. इस स्कूल की शुरुआत उन्होंने नवंबर 2021 में की थी. इन वर्दी वाले गुरु जी का नाम रंजीत यादव है, जो पुलिस सब-इंस्पेक्टर है.
क्या है पूरा मामला?
राम नगरी अयोध्या में एक ऐसा स्कूल जिसको कोई टीचर नहीं बल्कि यूपी पुलिस का एक सब इंस्पेक्टर चलाते हैं. हम बात कर रहे हैं ‘अपना स्कूल’ की जिसको वर्दी वाले गुरुजी यानी रंजीत यादव चलाते हैं. वह अयोध्या में मठ मंदिरों और आए हुए श्रद्धालुओं से भीख मांगने वाले बच्चों को अपने खर्चे से शिक्षित करते हैं. यही नहीं करीब 1 साल से सब इंस्पेक्टर रंजीत यादव अयोध्या के खजुआ कुंड पर करीब 100 बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं.
बच्चों को पढ़ने के लिए ऐसे प्रेरित किया
शुरुआती दिनों में सब इंस्पेक्टर रंजीत यादव भिखारी लोगों के घरों में जाकर उनके बच्चों को शिक्षित करने के लिए प्रेरित करते थे. इसके अलावा वह बच्चों के अभिभावकों को शिक्षा के प्रति जागरूक करते थे. रंजीत यादव बताते हैं कि यह बच्चे मुझे तब मिले जब मेरी पोस्टिंग कोतवाली अयोध्या में हुई थी. इन बच्चों को मैंने घाटों के किनारे भिक्षा मांगते हुए देखा.
बच्चे वर्दी की वजह से डरते थे लेकिन जब इनके बारे में पता किया और उनके अभिभावक से मिला, उनको शिक्षा के प्रति प्रेरित किया तो यह सब पढ़ाई करने के लिए आने लगे. उन्होंने कहा इसके पीछे मेरा मकसद था कि जो बच्चे भिक्षा मांगते हैं, उनको भिक्षावृत्ति से निकाला जाए और उनके भविष्य में शिक्षा जीवन का प्रकाश डालकर रोशनी फैलाने का कार्य किया जाए.
सब इंस्पेक्टर रंजीत यादव ने बताया कि मैंने इस स्कूल की शुरुआत 2021 में की थी. पहले 20-25 बच्चे आते थे लेकिन अब 50 से भी अधिक बच्चे आते हैं, स्कूल में बड़ा अच्छा लगता है. शुरुआत में बड़ा संघर्ष रहा लेकिन अब लोग इसमें सहयोग कर रहे हैं. बच्चे भी अब इंटरेस्ट लेते हैं, इनमें अनुशासन का विकास हो रहा है तो अच्छा लगता है. मैं अपनी ड्यूटी को वरीयता देते हुए यह कार्य संपादित करता हूं और सभी जरूरतमंद असहाय लोगों की जरूर मदद करना चाहिए.
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