Ayodhya News: अगर आपको या आपके किसी मरीज को ब्लड की आवश्यकता हो तो उसे लेने के पहले पूरी जांच-पड़ताल जरूर कर लें. हो सकता है कि वह ब्लड ऐसे संक्रमित व्यक्ति का हो, जिसे कोई गंभीर बीमारी हो. अयोध्या (Ayodhya) जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में ऐसा ही एक मामला सामने आया है जिसमें गुप्त रोग से पीड़ित एक व्यक्ति ने आर्थिक लाभ के लिए 2 माह में 6 बार अपना ब्लड डोनेट किया है. इसी माह जांच के दौरान उसके ब्लड को सिफलिस पॉजिटिव पाया गया और जब रिकॉर्ड से चेक किया गया, तो यह बड़ा खुलासा हुआ.


अब इसको लेकर एक जांच कमेटी गठित कर दी गई है, जो इस पूरे मामले पर अपनी रिपोर्ट देगी. एक स्वस्थ व्यक्ति 1 साल में अधिकतम चार बार अपना ब्लड डोनेट कर सकता है, लेकिन इस मामले में 2 महीने में ही 6 बार ब्लड डोनेट करने का मामला सामने आया है. ब्लड बैंक की मानें तो अस्पताल में घूमने वाले कुछ दलाल यह पूरा रैकेट चला रहे हैं और इसको भी पैसे का लालच देकर लाते हैं और ब्लड डोनेट कराते हैं.


क्या है पूरा मामला?
दरअसल, जब किसी को आपात स्थिति में ब्लड की जरूरत पड़ती है, तो सगे संबंधी यह परिचित ब्लड बैंक में जाकर अपना ब्लड देते हैं और बदले में जिस ग्रुप का ब्लड चाहिए होता है, वह ब्लड बैंक द्वारा दिया जाता है. खेल की शुरुआत यहीं से होती है. अस्पताल में घूम रहे दलाल ब्लड के जरूरतमंद से मिलते है और ब्लड दिलाने की बात करते हैं एक बार सौदा तय हो गया तो ऐसे लोगो को बुलाते है जिन्हे पैसे की आवश्यकता होती है उनसे ब्लड डोनेट कराकर कुछ पैसा उनको दे देते हैं और बाकी पैसा खुद रख लेते हैं इस मामले में भी यही कुछ निकल कर आया है.


ब्लड बैंक इंचार्ज फुजेल अहमद अंसारी ने बताया कि एक मामला ऐसा सामने आया कि एक डोनर जोकि सिफलिस पॉजिटिव था, जिसने 2 महीने में 6 बार ब्लड डोनेट किया है. उसको काउंसलिंग के लिए बुलाया तो हमने उससे पूछा कि उसने ऐसा क्यों किया तो उसने बताया कि कुछ लोग जो आर्थिक लाभ के लिए उससे कहते हैं कि कुछ पैसा लेकर ब्लड डोनेट कर दो वह इसीलिए ब्लड डोनेट करने आ जाता था. हमने इसकी छानबीन की कि ऐसा क्यों हो रहा है, इसको लेकर जांच कमेटी बैठी है देखते हैं क्या परिणाम आता है.


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