Ayodhya: राम की जन्मभूमि के बाद अब भरत की तपोस्थली होगी विकसित, जानिए क्या है परियोजना?
UP News: भरतकुंड रेलवे स्टेशन के साथ भरत की तपोस्थली को भी सुंदर बनाने का काम शुरू हो जाएगा. अयोध्या सांसद लल्लू सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम सौंदर्यीकरण का काम करेगा.
Ayodhya News: राम की जन्मस्थली के बाद अब भरत की तपोस्थली को विकसित करने की तैयारी है. भरत की तपोस्थली को विकसित करने की शुरुआत भरत कुंड रेलवे स्टेशन से होगी. भरतकुंड रेलवे स्टेशन को अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन की तर्ज पर विकसित किया जाएगा. भरत की तपोस्थली के साथ-साथ 84 कोसी परिधि में श्री राम से जुड़े स्थानों का सौंदर्यीकरण किया जाएगा. श्रद्धालुओं को आकर्षित करने वाले सौंदर्यीकरण कार्य की लागत 8000 करोड़ आएगी. भरत की तपोस्थली के रूप में भरतकुंड विख्यात है. इस स्थान पर भरत में 14 साल तक श्री राम की खड़ाऊ रखकर अयोध्या का राज काज चलाया था. श्री राम की जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के बाद अब भरत की तपोस्थली को विकसित किया जाएगा.
भरत की तपोस्थली होगी विकसित
भरत की तपोस्थली को विकसित करने के लिए 41 करोड़ रुपये बजट भी स्वीकृत हो चुका है. भरतकुंड रेलवे स्टेशन के साथ भरत की तपोस्थली को भी सुंदर बनाने का काम शुरू हो जाएगा. सांसद अयोध्या लल्लू सिंह ने बताया कि भरतकुंड में अभी रेलवे स्टेशन का सौंदर्यीकरण हो रहा है. इस तपस्या स्थल के लिए 41 करोड़ रुपये की बजट स्वीकृति हुई है. उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम सौंदर्यीकरण का काम करेगा. उन्होंने बताया कि 84 कोसी परिधि में स्थित श्री राम से जुड़े स्थानों को भी विकसित किया जाएगा. सौंदर्यीकरण के लिए 8000 करोड़ का बजट तय किया गया है. कोशिश होगी कि अयोध्या आने वाले श्रद्धालु इन स्थानों पर भी जाएं. अयोध्या की महत्ता जानने के उत्सुक श्रद्धालु राम मंदिर का दर्शन कर एक दो दिन ठहरेंगे.
सांसद लल्लू सिंह ने दी जानकारी
श्रद्धालुओं के प्रवास से अयोध्या का आर्थिक विकास होगा और रोजगार के नये अवसर भी पैदा होंगे. सांसद लल्लू सिंह ने आगे कहा कि चौरासी कोसी पर लगभग डेढ़ सौ पौराणिक धार्मिक स्थल हैं. ऋषि मुनियों की जन्मस्थली और तपोस्थली है. चौरासी कोसी पथ के साथ साथ 8 हजार करोड़ की परियोजना है. धार्मिक स्थलों का सौंदर्यीकरण कर देश और दुनिया को बताना चाहते हैं कि अयोध्या सांस्कृतिक केंद्र भी है. इसलिए ऋषि मुनियों और भगवान राम से जुड़े स्थानों के विकसित होने पर भारतीय संस्कृति को पहचान मिलेगी.
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