संक्रांति पर भगवान रामलला को विधि विधान से लगाया जाएगा खिचड़ी का भोग, प्रधान पुजारी ने कही बड़ी बात
रामलला के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया प्रत्येक वर्ष की तरह रामलला को खिचड़ी का भोग लगाया जाएगा. इसके लिए प्रबंध तंत्र की तरफ से तैयारियां पूरी कर ली गई हैं.
अयोध्या: रामलला को अस्थाई मंदिर में शिफ्ट किए जाने के बाद पहली बार मकर संक्रांति पर भगवान रामलला को विधि विधान के साथ खिचड़ी का भोग लगाया जाएगा. इसके लिए सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. बृहस्पतिवार दोपहर 11:30 बजे मकर संक्रांति के मौके पर भगवान रामलला को खिचड़ी, दही, पापड़ और घी का भोग लगाया जाएगा.
पूरी है तैयारी रामलला के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि 11:00 बजे मंदिर बंद होगा और प्रत्येक वर्ष की तरह 11:30 बजे रामलला को खिचड़ी का भोग लगाया जाएगा. इसके लिए प्रबंध तंत्र की तरफ से तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. भगवान को खिचड़ी का भोग लगाने के बाद उनका प्रसाद दर्शन को आने वाले श्रद्धालुओं और रामलला की सुरक्षा में लगे सुरक्षाबलों में वितरित किया जाएगा.
खिचड़ी का भोग लगाया जाएगा अयोध्या विवाद पर फैसला आने के बाद से ही रामलला के परिसर में उत्सव सा माहौल है. भगवान के राग भोग पूरे विधि विधान से किए जा रहे हैं. साल भर में जो भी तीज और त्यौहार पड़ रहे हैं उस पर्व पर भगवान के लिए विशेष तैयारियां की जा रही हैं. श्री राम जन्मभूमि पर समस्त त्यौहारों को उत्साह पूर्वक मनाया जा रहा है. रामलला के परिसर में 28 वर्षों के बाद भगवान रामलला को विधि विधान के साथ खिचड़ी का भोग लगाया जाएगा.
विधि विधान के साथ मनाया जाएगा पर्व रामलला के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास की मानें तो खिचड़ी का भोग प्रत्येक वर्ष रामलला को लगाया जाता था परंतु विधि विधान से इस बार विशेष तरीके से तैयारियां की गई हैं. मंदिर प्रबंधन तंत्र से जुड़े हुए लोगों ने भगवान के राग भोग की तैयारियां पूर्ण कर ली हैं. पूरे विधि विधान के साथ मकर संक्रांति का पर्व रामलला के परिसर में मनाया जाएगा. उन्होंने बताया कि मकर संक्रांति पर भगवान सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं और इसी दिन संक्रांति का पर्व मनाया जाता है.
बनाई जा सकती है खिचड़ी हालांकि, कुछ लोगों का ये मानना है कि बृहस्पतिवार को खिचड़ी नहीं बनाई जाती परंतु इस पर भी रामलला के प्रधान पुजारी ने स्पष्ट करते हुए कहा कि मकर राशि में सूर्य के प्रवेश का पर्व है. मकर संक्रांति के बाद से ही सारे शुभ काम शुरू हो जाएंगे. इसमें दिन का कोई महत्व नहीं होता इसलिए बृहस्पतिवार को भी खिचड़ी बनाई जा सकती है और उसे भगवान को भोग लगाकर उसको प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जा सकता है.
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