Ayodhya News: शालिग्राम शिला से मूर्ति बनाने का विरोध करने वाले परमहंस आचार्य बयान से पलटे, कहा- 'सपने में आए हनुमान'
Ayodhya News: जगतगुरु संत परमहंस आचार्य ने शालिग्राम शिलाओं को भगवान बताकर ऐलान किया था कि अगर राम की मूर्ति बनाने के लिए इन पर छेनी और हथौड़ी चलाई गई तो वह प्राण त्याग देंगे.
Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में भगवान राम की मूर्ति बनाने के लिए लाए गए शालीग्राम पत्थर से राम की मूर्ति बनाने का विरोध करने वाले जगतगुरू परमहंस आचार्य अब अपने बयान से पलट गए हैं. अब वो इन पत्थरों से ही भगवान राम की मूर्ति बनाने की बात कह रहे हैं. उनका कहना है कि हनुमान भगवान उनके सपने में आए थे उन्होंने बताया कि वो शालिग्राम नहीं देवशिला है और इसके बाद श्री राम के कुल गुरु महर्षि वशिष्ठ ने आकर उन्हें बताया है कि यह शालिग्राम है और इससे श्री राम की मूर्ति बनाई जा सकती है.
दरअसल खुद को जगतगुरु कहने वाले संत परमहंस आचार्य ने पहले नेपाल से लाई गई शिलाओं को शालिग्राम भगवान बताकर ऐलान किया था कि अगर राम की मूर्ति बनाने के लिए इन पर छेनी और हथौड़ी चलाई गई तो वह प्राण त्याग देंगे. लेकिन अब वो अपने इस बयान से ही पलट गए हैं. वहीं ऐसा दावा कर रहे है जिससे उनके ऊपर ही सवाल खड़े हो रहे हैं. परमहंस आचार्य ने कहा कि जैसे ही ये खबर चली कि ये शालिग्राम शिला है तो हमने कहा था कि शालिग्राम तो खुद भगवान हैं. भगवान के ऊपर छैनी-हथौड़ी नहीं चल सकती और बिना छैनी हथौड़ी चले मूर्ति नहीं बन सकती है.
सपने में आए हनुमान और महर्षि वशिष्ठ
जगतगुरू ने कहा कि उसी दिन से प्रतिदिन प्रातः 3:00 बजे मुझे हनुमान जी का दर्शन होता था और हनुमान जी कहते थे कि यह शालिग्राम शिला नहीं देव शिला है. हम सोच रहे थे कि सपने की बात कैसे कहें आज सुबह भोर में लगभग 5:00 बजे बड़े तेजस्वी संत का दर्शन हुआ. मैंने पूछा कौन हैं तो उन्होंने कहा कि मैं सूर्यकुल के कुलगुरू महर्षि वशिष्ठ हूं. उन्होंने मुझे बताया कि जो दो विशाल शिला आई हैं वो शालिग्राम नहीं, देव शिला हैं इससे श्री राम की मूर्ति बन सकती है. इसके बाद मैंने प्रेस करके लोगों को अवगत कराया है. मैं श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारियों से कहूंगा कि इन शिलाओं से श्री राम की मूर्ति बनाई जाए.
चंपत राय ने कही थी ये बात
दरअसल नेपाल से शिलाओं के अयोध्या पहुंचने के पहले राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा था कि शालिग्राम शिलाओं का बड़ा धार्मिक महत्व है. गंडकी नदी जब बिहार में प्रवेश करती है तो इसको नारायणी नदी के नाम से जाना जाता है. नेपाल के गंडक नदी से निकलने वाले शालिग्राम पत्थरों को भगवान विष्णु का रूप माना जाता है. शालिग्राम का अर्थ है जिस पत्थर में भगवान विष्णु का निवास है. ये पत्थर खरीदा नहीं गया है, नेपाल के संतो ने कहा हम अयोध्या को सौगात में देना चाहते हैं. कभी जनकपुर ने जानकी जी दी थी अब जानकी जी के दहेज के रूप में सौगात देंगे.
फिलहाल नेपाल से लाई गई शिलाओं को लेकर असमंजस की स्थिति है इस बीच श्री राम मंदिर ट्रस्ट इन शिलाओं का परीक्षण करा रहा है कि इन से मूर्ति बनाई जा सकती है या नहीं जिस तरह नेपाल से बिहार होते हुए यह शिलाएं अयोध्या पहुंची है और रास्ते भर जिस तरह लोगों ने इनका पूजन अर्चन किया है उससे राम मंदिर ट्रस्ट के ऊपर एक बड़ा दबाव भी है.
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