अयोध्या, एबीपी गंगा। अयोध्या के मंदिर मस्जिद विवाद में सुप्रीम कोर्ट में दायर क्यूरेटिव पिटिशन को लेकर अयोध्या के लोग चाहे वह बाबरी मस्जिद के पक्षकार हो या फिर मंदिर से जुड़े संगठन सभी इसको लेकर आश्वस्त हैं कि क्यूरेटिव पिटिशन सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो जाएगी और अयोध्या में जल्दी भव्य राम मंदिर बनेगा। वहीं कुछ साधु संतों का मानना है कि तीन महीने का समय सुप्रीम कोर्ट ने दिया था, समय पूरा होने को आ रहा है, अब तक केंद्र को राम मंदिर निर्माण के लिए नया ट्रस्ट बना देना था, जिससे ऐसे लोगों को मौका ही ना मिलता। वहीं विश्व हिन्दू परिषद का मानना है कि कुछ लोग नहीं चाहते कि हिंदू मुसलमानों में एकता हो इसीलिए वह सड़क पर जाकर प्रदर्शन करते हैं और कोर्ट में मामले को लटकाने की कोशिश करते हैं। इस मामले पर कई लोगों की प्रतिक्रिया सामने आई। बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी, विहिप प्रवक्ता व संत परमहंस ने अपनी बात कही।


बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी का कहना है कि सवाल बाबरी मस्जिद और राम जन्मभूमि का है, हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट 70 साल बीत चुके हैं सुप्रीम कोर्ट ने फैसला कर दिया पूरा हिंदुस्तान इसी में लगा रहा मंदिर मस्जिद के विवाद में कोर्ट ने उसको समझा दिया अब आगे जाने की जरूरत हमको नहीं थी और ना हम गये। लोग जा रहे हैं, पिटीशन दाखिल कर रहे हैं यह तो देश है कुछ ना कुछ लोग करते रहेंगे लेकिन हमने पहले भी कहा था कि आगे नहीं जाएंगे तो हम आगे नहीं गये।


विश्व हिन्दू परिषद के प्रवक्ता शरद शर्मा का कहना है कि मैं मानता हूं कि पूर्व में भी पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी, मुस्लिम समाज ने और मैं समझता हूं कि उन्होंने कहा था कि जो भी कोर्ट का निर्णय होगा उसका हम सम्मान करेंगे लेकिन उन्होंने अपने उस निर्णय को कहीं ना कहीं भ्रमित किया और मुस्लिमों के भी सम्मान को ठेस पहुंचाई। क्योंकि अधिकतर मुस्लिम समाज चाहता है कि अब जो स्थान प्रभु रामलला का है उसे हिंदू समाज को सौंप देना चाहिए। पूर्व में भी 1528 ई. से लेकर अब तक किसी भी प्रकार का उनका कब्जा नहीं रहा, कुछ आक्रांता आए और इस देश और धरती पर अपना आधिपत्य जमाया।

संत परमहंस का कहना है कि मुस्लिमों में 99 फीसदी भगवान राम को अपना पूर्वज मानते हैं, उन्हें आदर्श मानते हैं। उन लोगों ने इस बात को समझ लिया है कि भारतीय संस्कृति की आदर्श के साथ मुसलमानों के भी भगवान श्री राम पूर्वज हैं और एक पैगंबर के रूप में भी उनको मानते हैं लेकिन कुछ कट्टरपंथी है जो इसको लटका कर रखना चाहते हैं, लेकिन उसके पहले मेरा मानना यह है कि जब सर्वोच्च न्यायालय ने तीन महीने का समय दिया था, इसे एक महीने में भी कर सकते थे। लंबा खींचना मैं मानता हूं कि यह टांग अड़ाने के लिए एक अवसर देना है।