Potter Families Happy in Ayodhya: दीपावली (Diwali 2021) के मौके पर इस बार चीन की मूर्तियों (Idols) और दीये (Lamp) की जगह स्थानीय कारीगरों के हाथों से बनीं मूर्तियां बाजार की रौनक बनेंगी. इसके लिए सरकार स्थानीय कारीगरों को कई तरह की सुविधाएं मुहैया करवाएगी, ताकि वे कम लागत पर अच्छी गुणवत्ता वाली मूर्ति और दीये बना सकें. अयोध्या के कुम्हार परिवार (Potter Family of Ayodhya) के चेहरों पर रौनक है. राम की नगरी के छह कुम्हार परिवार केवल दीपावली के मौके पर पूजी जाने वाली गणेश लक्ष्मी कुबेर जी और हनुमानजी की मूर्तियां बनाते हैं और प्रत्येक परिवार 1000 से 1500 दीपावली के मौके पर बेचने के उद्देश्य से बनाता है. ऐसे में साल में एक बार ही इन लोगों की इनकम होती है, जिससे कुम्हार परिवार को साल भर गुजारा करना पड़ता है. ऐसे में चाइना से बने प्रोडक्ट और मूर्तियों ने कुम्हार परिवार के जीविका को भी प्रभावित किया था. अब इस वर्ष चाइना मूर्तियों और प्रोडक्ट पर प्रतिबंध लगने के बाद कुम्हार परिवारों के चेहरे की रौनक वापस आई है और कुम्हार परिवार के लोगों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद दिया है.


शिद्दत से जुटा परिवार


कुम्हार संपूर्ण परिवार के साथ मेहनत कर मूर्तियों बनाने का काम कर रहा है. अभी दीपावली में टाइम है ऐसे में दीपावली के पहले ही मूर्तिकार मूर्ति बनाकर स्टॉक कर लेंगे और बाद में दीपावली पर बिक्री करेंगे. अयोध्या के 6 कुम्हार परिवार पूरी शिद्दत के साथ मूर्तियां बनाने का काम कर रहा है और ऐसे में माटी की साफ सफाई और उसकी गुणवत्ता को लेकर भी वह चिंतित है.


सरकारी की तारीफ 


राम की नगरी में गणेश लक्ष्मी की मूर्ति का निर्माण करने वाले सत्यनारायण प्रजापति का कहना है कि, सरकार की पहल सराहनीय है. इससे सरकार को कुम्हार परिवार का आशीर्वाद मिलेगा. हमारी जीविका में सुधार होगा पूर्व के दिनों में प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों की मांग ज्यादा थी. मिट्टी की मूर्तियों को कम मांगा जाता था, लेकिन पिछले 2 वर्ष से मिट्टी की मूर्तियों के मांग बढ़ी है और प्रत्येक परिवार 1000 से 1500 मूर्तियां बनाकर तैयार कर रहा है. सत्यनारायण के ही कुनबे के 6 परिवार जो केवल गणेश लक्ष्मी और हनुमान जी की मूर्तियां दीपावली के मौके पर बिक्री के लिए बनाते हैं और इन्हीं की बनाई मूर्तियां अयोध्या जिले के सभी प्रमुख बाजारों में बिक्री की जाती है.


बिक्री से चलता है सालभर का खर्च 


वहीं, सत्यनारायण के ही भाई का कहना है कि, दीपावली के मौके पर इन मूर्तियों की बिक्री बाजार में होती है, इसके लिए पहले यह लोग होलसेल करते हैं और आसपास के बाजार के प्रमुख व्यवसायी गणेश लक्ष्मी जी की मूर्तियां ले जाकर के दीपावली पर बिक्री करते हैं और जो मूर्तियां इनके पास बच जाती हैं, वह मूर्तियां स्वयं दीपावली के पहले बाजार लगते ही दुकान सजा कर के बेचते हैं और इसी एकत्रित धन से साल भर इनके परिवार का खर्च चलता है.


बंदिशों से निराशा होती है


दीपोत्सव के दरमियान अयोध्या में प्रशासनिक बंदिशें लागू हो जाती हैं, क्योंकि दीपावली के ठीक 2 दिन पहले अयोध्या में दीपोत्सव की धूम मची रहती है. ऐसे में कुम्हार परिवारों का यह भी एक दर्द है कि, रास्ता बंद होने के बाद मूर्तियों की बिक्री पर भी असर पड़ता है. बावजूद इसके चाइना मूर्तियों पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद अयोध्या के कुम्हार सीएम योगी आदित्यनाथ का धन्यवाद को कह रहे हैं और उनका कहना है कि पिछले 2 वर्षों से मिट्टी की मूर्तियों की मांग बढ़ी है और यह सब कुछ मुख्यमंत्री के प्रयासों से संभव हुआ है. कुम्हार परिवारों का आशीर्वाद मुख्यमंत्री जी को मिलेगा.



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