अयोध्या में राम का जन्म हुआ और वे हिंदुओ के अराध्य हैं। रामयाण और राम चरित मानस में उनके जीवन प्रसंग का उल्लेख मिलता है। मर्यादा पुरुषोत्तम राम के आदर्श, उनका त्याग हमारे जीवन में प्रेरणा स्त्रोत है। राम का जन्म और उनके अस्तित्व से जुड़े मुद्दों पर देश की सबसे बड़ी अदालत में हिंदू और मुस्लिम पक्षों ने खुलकर अपनी राय रखी।


तुलसीदास ने रामचरितमानस के 'बालकाण्ड' के प्रथम श्लोक से सातवें श्लोक तक इस बात को लिखा हैं कि राम एक पौराणिक पुरुष हैं इसका उल्लेख रामचरितमानस में मिलता है।


नानापुराणनिगमागमसम्मतं यद् रामायणे निगदितं क्वचिदन्यतोऽपि।
स्वान्तःसुखाय तुलसी रघुनाथगाथा-भाषानिबन्धमतिमञ्जुलमातनोति।।7।।



जिसका अर्थ है कि, अनेक पुराण, वेद और (तंत्र) शास्त्र से सम्मत तथा जो रामायण में वर्णित है और कुछ अन्यत्र से भी उपलब्ध श्री रघुनाथजी की कथा को तुलसीदास अपने अन्तःकरण के सुख के लिए अत्यन्त मनोहर भाषा रचना में विस्तृत करता है॥7॥


अदालत में भगवान राम के वंशजों पर भी चर्चा हुई। इसे लेकर आम जन के मन में एक विचार आता है कि राम किस वंश के थे उनके पूर्वज कौन थे। इसके बारे में हम आपको रामयाण और मानस में वर्णित जानकारियों के आधार पर यहां राम की वंशावली जुटाई है।


राम इक्ष्वाकु वंश के थे और इस वंश के गुरु वशिष्ठ जी थे जिन्होंने इस प्रकार श्री राम की वंशावली का वर्णन किया।


ब्रह्मा जी से मरीचि का जन्म हुआ। मरीचि के पुत्र कश्यप थे। कश्यप के पुत्र विवस्वान हुए, विवस्वान के वैवस्वत मनु हुए और वैवस्वत मनु के पुत्र इक्ष्वाकु।



इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि थे।
कुक्षि के पुत्र का नाम विकुक्षि था।
विकुक्षि के पुत्र बाण
बाण के पुत्र अनरण्य हुये।
अनरण्य से पृथु
पृथु से त्रिशंकु का जन्म हुआ था
त्रिशंकु के पुत्र धुन्धुमार
धुन्धुमार के पुत्र युवनाश्व हुए
युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुये और
मान्धाता से सुसन्धि का जन्म हुआ।
सुसन्धि के दो पुत्र हुये- ध्रुवसन्धि एवं प्रसेनजित।
ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुये।
भरत के पुत्र असित हुये और
असित के पुत्र सगर हुये।
सगर के पुत्र का नाम असमञ्ज था।
असमञ्ज के पुत्र अंशुमान
अंशुमान के पुत्र दिलीप हुये।
दिलीप के पुत्र भगीरथ हुये
भागीरथ के पुत्र ककुत्स्थ
ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुये।


रघु बहुत पराक्रमी और तेजस्वी राजा थे और उनका प्रताप अत्यधिक था जिसकी वजह से इस वंश का नाम रघुवंश पड़ा।
रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुये
प्रवृद्ध के पुत्र शंखण
शंखण के पुत्र सुदर्शन हुये।
सुदर्शन के पुत्र अग्निवर्ण
अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग
शीघ्रग के पुत्र मरु
मरु के पुत्र प्रशुश्रुक
प्रशुश्रुक के पुत्र का नाम अम्बरीश ।
अम्बरीश के पुत्र का नाम नहुष
नहुष के पुत्र ययाति
ययाति के पुत्र नाभाग
नाभाग के पुत्र का नाम अज
अज के पुत्र दशरथ
राजा दशरथ के चार पुत्र हुए श्री रामचन्द्र, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न।
श्री रामचंद्र के दो पुत्र लव और कुश हुए।



बाल्मिकी रामायण में उल्लेख मिलता है कि विष्णु के सातवें अवतार श्रीराम का जन्म चैत्र माह, शुक्ल नवमी के दिन अयोध्या में हुआ था।


गंगा पृथ्वी पर कैसे आयी
राजा दिलीप के पुत्र भागीरथ ने अपनी तपोबल से गंगा को पृथ्वी पर लाये थे


क्यों कहते हैं रघुकुल
रघु के बहुत पराक्रमी और तेजस्वी राजा थे और उनका प्रताप अत्यधिक था जिसकी वजह से इस वंश का नाम रघुवंश पड़ा।


इक्ष्वाकु ने स्थापित की अयोध्या
इक्ष्वाकु ने अपनी राजधानी अयोध्या को बनाया और इस तरह से इक्ष्वाकु वंश यानि रघुकुल की स्थापना हुई।