Ayodhya Ram Mandir: 500 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद अब रामलला को उनके मूलभूत सुविधाएं ट्रस्ट मुहैया करा रहा है. 90 के दशक से टेंट में रहने वाले भगवान राम लला को लगभग 28 वर्षों बाद अस्थाई मंदिर में शिफ्ट किया गया. रामलला को विराजमान कराने के लिए चांदी का सिंहासन ट्रस्ट की तरफ से दिया गया था और एक बार फिर रामलला के झुनोत्सव के लिए 21 किलो चांदी का झूला ट्रस्ट ने रामलला को समर्पित किया है, जो राम जन्मभूमि परिसर में पहुंच गया है. नाग पंचमी को सावन की पंचमी भी कहा जाता है और इसी दिन भगवान राम लला अपने सभी भाइयों के साथ राम जन्मभूमि परिसर में झूलन पर आएंगे.
रामलला के लिए चांदी का 21 किलो का झूला
यूं तो अयोध्या के सभी प्रमुख मंदिरों में सावन की तीज से ही भगवान झूलनोत्सव पर आते हैं, लेकिन मंदिरों में पंचमी के दिन से ही झूला पड़ता है. जब युगल सरकार गलबहिया करते हुए झूलनोत्सव का आनंद लेते हैं और इस मनमोहक दृश्य के लिए अयोध्या में विशालकाय पारंपरिक मेला लगता है. रामलला के भक्तों के लिए लगातार सौगात श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट दे रहा है. रामलला के पक्ष में फैसला आने के बाद रामलला का टेंट वास खत्म हुआ, अस्थाई मंदिर में रामलला विराजमान हुए, जहां खुद सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनके नए स्थाई भवन में पधराया और रामलला को गर्मी और ठंडी से निजात दिलाने की व्यवस्थाएं की गईं, जबकि टेंट में राम लला के पास एक छोटा सा टेबल फैन था जो गर्मी में लगाया जाता था. अब राम लला के अस्थाई मन्दिर में गर्मी के लिए एयर कंडीशनर लगा है तो सर्दी में ब्लोअर हीटर का प्रयोग किया जा रहा था. राम जन्म भूमि आने वाले श्रद्धालु अपने आंखों से राम मंदिर निर्माण की प्रक्रिया को देख सकें, इसकी भी व्यवस्था ट्रस्ट ने की है और अब एक नई सौगात है कि रामलला को 500 वर्षों बाद चांदी का 21 किलो का भव्य झूला दिया गया है, जिस पर पूरे सावन माह भगवान राम लला झूलनोत्सव का आनंद लेंगे.
राम जन्मभूमि परिसर में भी रामलला को 21 किलो चांदी के झूले में झूला झुलाया जाएगा. बुधवार को यह विशेष झूला रामलला को समर्पित कर दिया गया. अब इसी झूले में रामलला श्रावण मास में शुरू होने वाले झूलन महोत्सव का आनंद लेंगे. ऐसा पहली बार हो रहा है कि रामलला के लिए चांदी का विशेष झूला बनवाया गया है और रामलला को झूलने के लिए समर्पित किया गया है. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने झूले की फोटो शेयर करते हुए बताया कि, इस बार रक्षाबंधन तक रामलला इसी विशेष झूले में झूला झूलेंगे.
झूलन महोत्सव की शुरुआत
आपको बता दें कि, अयोध्या में हर वर्ष श्रावण शुक्ल तृतीया को झूलन महोत्सव की शुरुआत होती है. अयोध्या के सभी प्रमुख मंदिरों से विग्रह मणि पर्वत तक पालकियों में गाजे बाजे के साथ जाते हैं और वहीं पर झूला झूलते हैं. मणि पर्वत वही जगह है जहां माता सीता झूला झूलने आया करती थीं, इसीलिए हर वर्ष श्रावण शुक्ल तृतीया को यहां बड़े महोत्सव का आयोजन होता है और यहां भगवान के विग्रह द्वारा झूला झूलने के साथ ही पूरे देश में झूलन महोत्सव शुरू हो जाता है. मणि पर्वत पर मंदिरों के विग्रह द्वारा झूला झूलने के बाद मंदिरों में झूले पड़ते हैं और भगवान को झूला झुलाया जाता है और उन्हें सावन के गीत सुनाए जाते हैं इस बीच हर्षोल्लास का माहौल रहता है, जिसे देखने के लिए लाखों लोग अयोध्या आते हैं.
कोविड-19 महामारी के चलते इस बार यह कार्यक्रम मंदिरों तक सीमित रह गया है. यहां तक की बाहर से आने वाला कोई श्रद्धालु तभी अयोध्या में प्रवेश कर पाएगा जब उसके पास कोविड-19 की जांच यानि 72 घंटे के भीतर की आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट होगी, बावजूद इसके राम भक्तों के लिए अयोध्या से अच्छी खबर यह है कि इस बार रामलला चांदी के झूले में झूला झूलेंगे.
कोविड प्रोटोकॉल के पालन की अपील
राम जन्म भूमि के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि, झूलनोत्सव प्रत्येक मंदिर में सावन की पांचवी से मनाया जाएगा. भगवान रामलला के लिए चांदी का झूला तैयार हो गया है. इस वर्ष भगवान चांदी के झूले पर झूलनोत्सव का आनंद लेंगे. नाग पंचमी के मौके पर भगवान राम लला चांदी के झूले पर विराजमान होंगे. रामलला का पंचमी पर दर्शन चांदी के झूले पर होगा. श्रद्धालु चांदी के झूले पर भगवान राम लला के विराजमान स्वरूप का दर्शन करेंगे. श्रद्धालुओं को प्रशासन की गाइडलाइन का पालन करना होगा. कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट लेकर आना होगा. प्रशासन के गाइडलाइन का पालन करने की अपील राम जन्म भूमि के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने श्रद्धालुओं से अपील की है, जिससे कि भगवान राम लला का झूलनोत्सव भी अच्छे से हो और कोरोना की तीसरी लहर में कोई संक्रमित भी ना हो.
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