Ram Lalla Darshan: सूर्यवंशी मुकुट, हीरे-मोती से जड़ी वैजयंती माला...सिर्फ 15-16 दिनों में ऐसे बने रामलला के आभूषण
Ayodhya Ram Mandir: राम मंदिर में रामलला को जो आभूषण पहनाए गए हैं वो बनाना आसान नहीं था, जब मूर्ति का चयन का हुआ तो प्राण प्रतिष्ठा में कुछ ही दिन बचे थे.
Ram Lalla Darshan: अयोध्या में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद जब उनकी पहली झलक देखने को मिली को हर कोई उनके आकर्षक रूप से मोहित हो गया. श्यामल रूप, सिर पर मुकुट, गले में वैजयंती माला, हाथों में धनुष बाण.. भगवान की ये मोहिनी मूरत देखकर भक्तों की आंखों से ख़ुशी के आंसू झलक उठे. रामलला के आभूषणों ने भी काफ़ी सुर्ख़ियां बटोरीं. एक-एक आभूषण को सच में ऐसे बनाया गया जैसे त्रेता युग में भगवान रामलला ने पहने होंगे. रामलला के आभूषणों का निर्माण करने वाले ज्वैलर यतींद्र मिश्रा ने बताया कि हमारे पास समय काफ़ी कम था लेकिन फिर भी इस काम को ज़िम्मेदारी से पूरी किया गया.
यतींद्र मिश्रा ने कहा, "जब अरुण योगीराज की प्रतिमा का चयन हुआ तो प्राण प्रतिष्ठा और मूर्ति के चयन में बहुत कम समय बचा था. मात्र 15-16 दिन का समय था, ये बहुत बड़ा चैलेंज था लेकिन, बड़ी ज़िम्मेदारी से उसके लिए काम किया गया. अध्यात्म, रामायण, श्रीमद वाल्मीकि की रामायण और रामचरितमानस से भगवान विष्णु के स्वरूप और भगवान राम के स्वरूप को लेकर जिस तरह के आभूषणों की परिकल्पना की गई, उन सभी का प्रयोग किया गया है. उन्होंने बताया कि हमने 132 कलाकारों की टीम के साथ काम किया, रोज डिजाइन बनकर आते थे, हम लोग चयन करते थे, फिर ट्रस्ट को दिखाया जाता था. दक्षिण के जो श्रेष्ठ राम कथावाचक, संत हैं और गोविंद गिरि जी महाराज व चंपत राय जी से राय लेकर ये सब काम संपन्न हुआ."
एक-एक आभूषण की हुई डिटेलिंग
आभूषण बनाते वक़्त हर बात का ध्यान रखा गया. यतींद्र मिश्रा ने कहा, "कैसे भगवान का मुकुट होगा, किस तरह से उनके गले में कौस्तुभ मणि धारण कराई जाएगी. कैसे उनके मुकुट में सूर्यदेव विराजेंगे, आगे किस तरह से उन्हें पदिक पहनाया जाएगा. गले और नाभि के बीच में जो बड़ा हार होता है, मुद्रिकाएं कैसे लगेगी, मोतियो की लड़ियाँ कैसे, कमरधनि कैसे होंगी. सोने का धनुष और तीर होगा, क्योंकि बालक रूप में हैं भगवान राम तो उनके खेलने के खिलौने होंगे. हाथी, घोड़ा, ऊँट, लट्टू, झुनझुना और खिलौना गाड़ी बनवाई गई, भगवान के छत्र की निर्माण कराया गया.
यतींद्र मिश्रा ने कहा, भगवान के एक-एक आभूषण की डिटेलिंग की गई और उसे माणिक, पन्ना, हीरे, मोतियों और स्वर्ण से निर्मित किया गया, वैजयंती माल बनाया गया उस में पाँच प्रकार के फूल लगाए गए जो भगवान को प्रिय है. इस तरह से आभूषणों की परिकल्पना की गई. इन पूरा देश पसंद कर रहा है. उन्होंने कहा, मैं तो ये ही कहूँगा की ये सब श्रीराम की महिमा हैं. अगर उन्हें साधारण फूलों की माला भी पहना दी जाएगी तो भी वो उतने ही आकर्षक लगेंगे.