Ram Mandir Inauguration: 22 जनवरी को अयोध्या में राम मन्दिर के प्रथम तल का उद्घाटन बड़े जोरो शोरो से करने की तैयारी जारी है लेकिन ये बात शायद ही किसी को पता हो कि इसे बनाने में रुड़की आईआईटी का भी बड़ा हाथ रहा है. रुड़की आईआईटी के वैज्ञानिकों ने एक महत्वपूर्ण जानकारी दी है. प्रेस कांफ्रेंस कर रूडकी केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI) के निदेशक के नेतृत्व में तमाम वैज्ञानिकों ने यह जानकारी दी.


वैज्ञानिकों के अनुसार राम मंदिर में सरियों का इस्तेमाल नही किया गया है बल्कि इसके पत्थरों को जोड़ कर इस अनोखे स्ट्रेक्चर को बनाया गया है. इस निर्माण के दौरान जहाँ एक और इसकी नीव में सेंसर लगाए गए है, वहीं सेंस स्टोन से भव्य मंदिर का निर्माण किया गया है. इस निर्माण के दौरान रूडकी सी बी आर आई के अलावा देश की 5 आई आई टी के वैज्ञानिकों से भी सलाह ली गई थी.


वैज्ञानिकों ने किये चौकाने वाले खुलासे
इन वैज्ञानिकों ने राम मंदिर को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. इनका कहना है कि राम मंदिर में सरिया का प्रयोग नहीं किया गया है वहीं राम मंदिर में सेंसर भी लगाए गए हैं श्रद्धा के साथ-साथ आधुनिक युग के मध्य नजर राम मंदिर का निर्माण किया जा रहा है राम मंदिर निर्माण में वैज्ञानिकों का बड़ा योगदान रहा है.


भूकंप से नहीं होगा मंदिर को कोई नुकसान 
राम मंदिर के निर्माण के दौरान भूकम्प के कारण होने वाली क्षति का खास ख्याल रखा गया है और इसकी उम्र एक हज़ार साल निर्धारित की गई है. वैज्ञानिकों के अनुसार जब राम लला को टेंट के नीचे स्थापित किया गया था. तभी से रूडकी सी बी आर आई के वैज्ञानिकों द्वारा टेंट को भी इन्ही के द्वारा तैयार किया गया था और उस टेंट की ख़ासियत थी कि उसपर आग ,पानी का कोई असर नही होता था. वहीं, राम मंदिर में सूर्य  के प्रकाश पड़ने से लेकर जगह जगह मूर्तियों को स्थापित करने में सी बी आर आई  की टीम की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रही है.


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