Ram Mandir Opening: रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद भावुक हुए सीएम योगी, कहा- 'आज जीवन धन्य हो गया'
Ram Mandir Inauguration: सीएम योगी ने कहा शताब्दियों की प्रतीक्षा, प्रण और प्रार्थना आज श्री अयोध्या धाम में प्रभु श्री रामलला के नवीन विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा के साथ पूर्ण हुई.
Ramlala Pran Pratishtha: अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर में रामलला विराजमान हो गए हैं. वहीं रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भुवकता के साथ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट लिखा है. सीएम योगी ने लिखा- "श्री अयोध्या धाम का यह दृश्य देखकर भावुक हूं, आह्लादित हूं. 500 वर्षों की प्रतीक्षा के उपरांत हमारे प्रभु श्री रामलला का पुनः अपने भव्य मंदिर में विराजमान होना भारत की सांस्कृतिक समृद्धि के नव अध्याय का शुभारंभ है. जय जय श्री राम!"
इसके साथ ही सीएम ने कहा- "आज जीवन धन्य हो गया! शताब्दियों की प्रतीक्षा, प्रण और प्रार्थना आज श्री अयोध्या धाम में प्रभु श्री रामलला के नवीन विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा के साथ पूर्ण हुई. यह ऐतिहासिक एवं पुण्य अवसर बड़े सौभाग्य से प्राप्त हुआ है. पीढ़ियों के संकल्प की सिद्धि का साक्षी बनकर अभिभूत हूं, कृतज्ञ हूं, आह्लादित हूं. जय श्री राम!"
सीएम योगी ने कहा-"शताब्दियों की साधना आज पूर्ण हुई! धर्मधरा श्री अयोध्या धाम में आज प्रभु श्री रामलला के नवीन विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम में सहभागी सभी सम्मानित अतिथि गणों एवं श्रद्धालुओं का हार्दिक आभार. हम सौभाग्यशाली हैं कि सदियों के तप के पश्चात प्रभु 'रघुकुलनंदन' श्री राम अपने भव्य मंदिर में विराजमान हो गए हैं.
इसके साथ ही सीएम योगी ने श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति हेतु अपने प्राणों की आहुति देने वाले पूज्य संतों, रामभक्तों समेत कोठारी बंधुओं और सभी कारसेवकों को नमन किया. सीएम योगी ने कहा "आप सभी का बलिदान श्रीरामभक्ति की सर्वोच्च अभिव्यक्ति है, जिसने मंदिर निर्माण के संकल्प को निरंतर मजबूत किया था. आप लोगों के बलिदान की अमर गाथा सदैव हमारे हृदय में गूंजती रहेगी."
वहीं प्राण प्रतिष्ठा के बाद सीएम योगी ने अपने भाषण में कहा था कि पीएम मोदी 2014 में आपके आगमन के साथ ही भारतीय जनमानस कह उठा था कि मोरे जियँ भरोस दृढ़ सोई, मिलिहहिं राम सगुन सुभ होई. इस दौरान सीएम ने कहा था इस अयोध्या नगरी को 'अवनि की अमरावती' और 'धरती का बैकुंठ' कहा गया, वह सदियों तक अभिशप्त थी, उपेक्षित रही, सुनियोजित तिरस्कार झेलती रही.