Ram Mandir Opening: रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले देखिए भव्य राम मंदिर की पहली झलक, जानें- कैसे होंगे दर्शन ?
Ramlala Pran Pratishtha: अयोध्या में भव्य राम मंदिर अंदर से कैसा है और कहां पर गर्भगृह बनाया गया है, इसे लेकर भक्तों में काफ़ी उत्सुकता है, आईए आपको इसकी पहली झलक दिखाते हैं.
Ram Mandir Inauguration: अयोध्या में प्रभु रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले अनुष्ठान का आज दूसरा दिन है. 22 जनवरी को भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी, जिसके बाद भक्तों के 500 साल का इंतज़ार ख़त्म होगा. रामभक्त राम मंदिर की एक झलक पाने के लिए बैचेन हैं और बस इसके उद्घाटन का इंतज़ार कर रहे हैं. राम मंदिर कैसा हैं. आईए हम आपको बताते हैं.
एबीपी लाइव ने प्राण प्रतिष्ठा से पहले राम मंदिर की पहली झलक को एक मॉडल के ज़रिए दिखाने की कोशिश की है. आईए आपको बताते हैं कि भव्य राम मंदिर कैसा है और यहां कैसे आप भगवान रामलला के दर्शन कर सकेंगे. राम मंदिर में श्रद्धालुओं का प्रवेश सिंहद्वार से होगा.
उद्घाटन से पहले राम मंदिर की पहली झलक
राम मंदिर का सिंह द्वार और गर्भगृह वहीं बना है जहां कभी राजा विक्रमादित्य के बनाए मंदिर का था. खुदाई में जो साक्ष्य मिले थे उसके आधार पर सामने के परकोटे यानी पूर्वी द्वार से एंट्री के बाद आपको 32 सीढ़ियां मिलेंगी जो मंदिर के बरामदे तक ले जाएंगी. सीढ़ियों के दोनों ओर मूर्तियां लगी हुई है. इनमें सबसे पहले दोनों तरफ गज, फिर सिंह और उनके बाद एक ओर हनुमान और दूसरी ओर भगवान गरुड़ की मूर्ति लगी हुई है. इनके दर्शनों के बाद ही आप भगवान राम के दर्शन कर पाएँगे.
राम मंदिर के लिए बनी मूर्तियां और पूरे मंदिर का निर्माण राजस्थान के भरतपुर में वंशी पहाड़पुर के सेंड स्टोन से बना है. इस पर नक्काशी चमकती भी और सॉफ़्ट होने की वजह से आसानी से होती है. इसलिए इस पत्थर को चुना गया. सीढ़ियों के बाद सामने सोने का दरवाज़ा आएगा. उसके आगे रामलला की मूर्ति आएगी.
कहां से दर्शन कर सकेंगे श्रद्धालु
श्रद्धालु मुख्य द्वार से ही रामलला के दर्शन कर पाएंगे. भारत में मंदिर डिज़ाइन की 16 शैलियाँ हैं, उत्तर में नागर शैली, दक्षिण में द्रविड़ शैली. उत्तर भारत के मंदिरों की तरह अयोध्या मंदिर को भी नागर शैली में डिज़ाइन किया गया है. इस शैली में पूरा मंदिर एक विशाल चबूतरे यानी वेदी पर बनाया जाता है. उस तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां बनी होती है, सोमनाथ मंदिर से लेकर जगन्नाथ मंदिर तक इसी शैली में बनी हुई हैं.
मंदिर में प्रवेश से पहले सोने से जड़ा दरवाजा मिलेगा जो महाराष्ट्र के सागौन की लकड़ी से बना है जिस पर पहले नक़्क़ाशी की गई उस पर कॉपर प्लेट चढ़ाकर मॉल्डिंग करवाकर सोने की परत चढ़ाई गई है. मंदिर में ऐसे चौदह दरवाज़े लगे हैं जिन पर हिन्दू धर्म के सभी शुभ प्रतीक बनाए गए हैं.
गर्भगृह में ऐसे करेंगे प्रवेश
मंदिर में प्रवेश के बाद सबसे पहले नृत्य मंडप में पहुंचेंगे, मंडप में दीवारों पर देवी देवताओं की मूर्तियाँ बनी हैं. नृत्य मंडप में शिव तांडव से जुड़ी मूर्तियों को भी उकेरा गया है. इसके बाद आगे बढ़ते हुए गर्भगृह में रामलला के दर्शन होंगे. जहां उन्हें सोने के सिंहासन पर विराजमान किया जाएगा. भक्तों को रामलला के आंखों से चरणों तक के दर्शन होंगे, भक्त दूर से भगवान के दर्शन कर सकें इसलिए भगवान की खड़ी प्रतिमा बनाई गई है.
मंदिर के दक्षिण द्वार से श्रद्धालु नीचे उतरेंगे. यहाँ से वो सीधे परकोटे में पूर्वी गेट से प्रवेश करेंगे. वहीं से परिक्रमा करेंगे और बाहर निकल जाएंगे. मंदिर के उत्तरी द्वार से वीआईपी मेहमान एंट्री करेंगे और ये पूरा एंरिया 2.7 एकड़ का है. मंदिर में सीता रसोई को भी जोड़ा गया है, इसे अन्नापूर्णा मंदिर में का नाम दिया गया है. यहीं से मंदिर के प्रसाद की व्यवस्था होगी. जो प्रसाद बनेगा वहीं भोग लगाया जाएगा.
मंदिर का परकोटा बाहर से बंद लेकिन अंदर से खुला है. मंदिर के भीतर घुसने का सिर्फ़ पूर्वी द्वार ही होगा. कोई और कहीं से प्रवेश नही कर पाएंगा, मंदिर में लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया है. इसलिए मंदिर में सिर्फ़ कॉपर की क्लिप का इस्तेमाल किया गया है. ताकि हज़ार साल तक भी इस मंदिर को कोई नुक़सान न हो.
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