Ram Mandir Opening: रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के मुहूर्त पर काशी के विद्वान ने दी बड़ी जानकारी, जानें कब शुरू होगा पूजन
Ram Mandir Pran Pratishtha:रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के मुहूर्त पर काशी के विद्वान और वाराणसी स्थित श्रीवल्लभराम शालिग्राम सांगवेद विद्यालय के गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने अहम जानकारी साझा की है.
Ram Mandir Inauguration: अयोध्या स्थित राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के संदर्भ में 6 पन्नों का ब्योरा जारी किया गया है. इस ब्योरे में बताया गया कि रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 84 सेकेंड का सूक्ष्म मूहुर्त है. वाराणसी स्थित श्रीवल्लभराम शालिग्राम सांगवेद विद्यालय के गणेश्वर शास्त्री द्रविड द्वारा हस्ताक्षरित 6 पन्ने की जानकारी में बताया गया है कि 22 जनवरी 2024 को मेषलग्न में वृश्चिकनवांश में अभिजिन्मुहूर्त में श्रीराम जन्मभूमि में राममूर्ति स्थापना का अतिसूक्ष्म मूहुर्त दोपहर 12 बजे 29 मिनट 8 सेकेंड से 12 बजे 30 मिनट 32 सेकेंड तक 84 सेकेंड का विशिष्ट मुहूर्त है.
ब्योरे में बताया गया कि मुहूर्त में मकरसथ सूर्य में दिया गया है. अतः पौसमास का दोष नहीं है. इस मुहूर्त में लग्न से द्वादशस्थ राहु, नवमस्थ मंगल, एवं दशमस्थ सूर्य के लिए पर्याप्त मात्रा में सुवर्णदान करें. सूर्य अभिजित में हैं. अतः मृगशीर्षनक्षत्र को पाषग्रह का वेध नहीं है. यह शुभ है.
ब्योरे में जानकारी दी गई है कि लग्नस्थ गुरु के कारण उक्त अनुक्त दोषों का परिहार हो जाता है. अतः मूहुर्त में उत्साह के साथ प्रचुर मात्रा में दानादि करके प्रतिष्ठा करना विश्व के लिए कल्याणकारी है.
12 योगों का संयोग
22 जनवरी को रामलला की प्राणप्रतिष्ठा समारोह के मुहूर्त में 12 योगों का संयोग निर्मित हो रहा है. 22 जनवरी को मध्याह्न में लगभग साढ़े बारह बजे नवनिर्मित राममंदिर में श्रीरामजी की प्रतिष्ठा होगी. इस दौरान मेषलग्न, वृश्चिकनवांश,अभिजित क्षण, मृगशीर्ष नक्षत्र, ऐंद्र योग, आनंद योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृतसिद्धि योग, पंचबाण से मुक्त होने से संजीवनी योग का निर्माण हो रहा है.
इसके साथ ही लग्नेश मंगल एवं नवमेश गुरु की परस्पर दृष्टि होने से राजयोग इस प्रतिष्ठा मुहूर्त में प्राप्त हो रहा है. मकर में सूर्य के होने से बृहस्पतिवचन पौषे राज्य विवृद्धि: स्यात् भी चरितार्थ हो रहा है.
22 जनवरी को अभिजीत मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा करने से रामजी की राज्यवृद्धि होगी अर्थात नीति के अनुसार शासन कार्य चलेगा. रामजी का जन्मनक्षत्र पुनर्वसु है. इससे गणना करने पर तृतीय पर्यय में रोहिणी नक्षत्र रामजी को वधतारा पड़ती है