Ram Mandir Inauguration: रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की विधि से नाराज है निर्मोही अखाड़ा? महंत दिनेंद्र दास ने किया बड़ा दावा
Ramlala Pran Pratishtha: दावा है कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की विधि से निर्मोही अखाड़ा नाराज है. अब इस पर निर्मोही अखाड़े के महंत ने इस पर बड़ी टिप्पणी की है.
Ram Mandir Pran Pratishtha: राम मंदिर के उद्घाटन और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर दावा किया जा रहा है कि निर्मोहा अखाड़ा विधियों और अनुष्ठानों से खुश नहीं है. अब इस पर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य और निर्मोही अखाड़ा महंत दिनेंद्र दास ने प्रतिक्रिया दीहै. उन्होंने कहा है कि "कोई भी कुछ भी कह सकता है. लेकिन मैं व्यक्तिगत रूप से या तो प्रतिदिन सुबह-शाम आरती में शामिल होता हूं.
उन्होंने कहा कि 'वैष्णव पद्धति से पूजा-अर्चना की जा रही है. ट्रस्ट वैष्णव संप्रदाय के अनुसार चल रहा है. हमारे अखाड़े को निमंत्रण मिला है. सभी संतुष्ट हैं और सभी शामिल होने जा रहे हैं. खुश न होने की खबर झूठी है.'
प्राण प्रतिष्ठा में निर्मोही अखाड़े को आमंत्रित नहीं किए जाने के आरोपों पर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य और निर्मोही अखाड़े के महंत दिनेंद्र दास ने कहा कि हमारे ट्रस्ट की ओर से हर 'महात्मा' और राजनीतिक नेताओं को आमंत्रित किया जा रहा है. 13 हैं इस समय अखाड़े में 'पंच' हैं. उन सभी को आमंत्रित किया गया है. अखाड़े के अन्य संतों को भी आमंत्रित किया गया है और सभी आ भी रहे हैं.'
क्या है प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया?
बता दें भगवान श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा योग का शुभ मुहूर्त, पौष शुक्ल कूर्म द्वादशी, विक्रम संवत 2080, यानी सोमवार, 22 जनवरी, 2024 को आ रहा है.
राम मंदिर ट्रस्ट के अनुसार प्राण प्रतिष्ठा सभी शास्त्रीय परंपराओं का पालन करते हुए, प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम अभिजीत मुहूर्त में संपन्न किया जाएगा. प्राण प्रतिष्ठा के पूर्व शुभ संस्कारों का प्रारंभ कल अर्थात 16 जनवरी 2024 से होगा, जो 21 जनवरी, 2024 तक चलेगा.
द्वादश अधिवास निम्नानुसार आयोजित होंगे:-
-16 जनवरी: प्रायश्चित्त और कर्मकूटि पूजन
-17 जनवरी: मूर्ति का परिसर प्रवेश
-18 जनवरी (सायं): तीर्थ पूजन, जल यात्रा, जलाधिवास और गंधाधिवास
-19 जनवरी (प्रातः): औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास
-19 जनवरी (सायं): धान्याधिवास
-20 जनवरी (प्रातः): शर्कराधिवास, फलाधिवास
-20 जनवरी (सायं): पुष्पाधिवास
-21 जनवरी (प्रातः): मध्याधिवास
-21 जनवरी (सायं): शय्याधिवास
ट्रस्ट ने बताया है कि सामान्यत: प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में सात अधिवास होते हैं और न्यूनतम तीन अधिवास अभ्यास में होते हैं. समारोह के अनुष्ठान की सभी प्रक्रियाओं का समन्वय, समर्थन और मार्गदर्शन करने वाले 121 आचार्य होंगे. श्री गणेशवर शास्त्री द्रविड़ सभी प्रक्रियाओं की निगरानी, समन्वय और दिशा-निर्देशन करेंगे, तथा काशी के श्री लक्ष्मीकांत दीक्षित मुख्य आचार्य होंगे.