Ram Mandir Opening: रामजन्मभूमि से जुड़ी 4 मूर्तियों की कहानी, जानें- विक्रमादित्य से बाबर और प्राण प्रतिष्ठा तक कैसे बदली प्रतिमाएं
Ram Mandir Inauguration: कहते हैं अयोध्या नगरी कई बार उजड़ी और बसी है. जिसके साथ ही यहाँ रामजन्मभूमि पर रामलला की प्रतिमाएँ भी बदलती गई. ये चौथी मूर्ति हो जो मंदिर में विराजमान होगी.
Ramlala Pran Pratishtha: अयोध्या में आज प्रभु रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान चल रहे हैं. आज राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की स्थापना होगी. जिसके लिए दो दिनों से विशेष विधि विधान किए जा रहे हैं. गर्भगृह में स्थापित होने वाली मूर्ति प्रभु रामलला के पाँच वर्षीय बाल स्वरूप की है, जिसमें बालक की कोमलता के साथ प्रभु का तेज भी शामिल हैं. इसे मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाया है.
रामजन्मभूमि पर भगवान रामलला की स्थापित होने वाली ये चौथी मूर्ति है. आपको जानकर हैरानी होगी कि इससे पहले भी यहां से भगवान राम तीन मूर्तियों का इतिहास रहा है. आईए आपको इन सभी प्रतिमाओं की पवित्र कहानी बताते हैं कि कैसे राजा विक्रमादित्य से लेकर बाबर और आज तक रामलला की मूर्तियां बनती और बदलती रहीं है.
रामलला की पहली मूर्ति की इतिहास
कहते हैं कि अयोध्या का पुनर्निमाण उज्जैन का राया विक्रमादित्य ने करवाया था. उन्होंने ही यहां भव्य राम मंदिर का निर्माण किया था. उस समय उन्होंने पहली बार यहां रामलला की स्थापना की थी, लेकिन 500 साल पहले मुग़ल बादशाह बाबर ने इस मंदिर को तोड़कर यहां मस्जिद का निर्माण करवा दिया था. कहते हैं कि उस समय मंदिर के पुजारी ने प्रतिमा को अपमान से बचाने के लिए सरयू नदी में प्रवाहित कर दिया था जो 220 साल तक नदी में सुरक्षित रहे. 18वीं सदी में एक पुजारी के स्वप्न में वो प्रकट हुए. इस विग्रह की यहाँ ख़ास मान्यता है.
इसके अलावा ऐतिहासिक मान्यताओं के अनुसार बाबर ने जब मंदिर को तोड़ने का आदेश दिया तो ओरछा की महारानी ने अयोध्या से इस मूर्ति को ले आईं थी. ये मूर्ति आज भी ओरछा के मंदिर में विराजमान है. इस मंदिर के धनुर्धर राम राजा ही अयोध्या के रामलला हैं.
विवादित ढांचे में दूसरी मूर्ति के प्रकट होने का दावा
अब बात रामलला की दूसरी मूर्ति की करते हैं, जिसका इतिहास साल 1949 से शुरू होता है, 22-23 दिसंबर की रात को विवादित ढांचे में रामलला की प्रतिमा मिली. रामभक्तों ने कहा कि रामलला स्वयं वहां प्रकट हुए हैं. ये बात आग की तरह अयोध्या और आसपास के इलाक़ों में पहुंच गई, जिसके बाद बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हो गए. विवाद बढ़ने के बाद जिला जज ने विवादित ढांचे पर ताला लगवा दिया. 6 दिसंबर 1992 तक ये मूर्ति यहां स्थापित रही.
तीसरी मूर्ति का इतिहास
रामलला की तीसरी प्रतिमा की कहानी 6 दिसंबर 1992 से ही शुरू होती है जब विवादित ढांचे के विध्वंस के दौरान रामलला की मूर्ति ग़ायब हो गई. वरिष्ठ पत्रकार हेमंत शर्मा ने इस घटना का ज़िक्र करते हुए अपनी किताब में लिखा है, पौने चार बजे तक मस्जिद का मुख्य गुंबद ढह गया था, जिसके बाद कारसेवक जल्द से जल्द ज़मीन के समतल करके वहां रामलला को स्थापित करना चाहते थे, तभी पुजारी सत्येंद्र दास ने बताया कि वो जो मूर्ति लाए थे वो गायब हो गई.
कारसेवक जल्द से जल्द वहां रामलला को स्थापित कर देता चाहते थे. तत्कालीन पीवी नरसिम्हा सरकार भी मूर्ति स्थापना को लेकर एक्टिव थी, ऐसे में राजा अयोध्या विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र जो कांग्रेसी बैकग्राउंड से उनके घर से रामलला की मूर्तियां लाईं गईं, जिन्हें उनकी दादी ने अस्थाई मंदिर में रखा था. इन मूर्तियों को वहाँ स्थापित कर दिया गया.
आज जब रामभक्तों का पाँच सौ साल पुराना सपना साकार हो रहा है. अयोध्या में भव्य राम मंदिर बन गया हैं तो मंदिर के गर्भगृह में नई प्रतिमा स्थापित की जाएगी. इसे मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाया है. रामजन्मभूमि पर स्थापित होने वाली ये चौथी प्रतिमा है. ये मूर्ति भगवान रामलला के पाँच वर्षीय बाल स्वरूप की है. जिसकी ऊँचाई 51 इंच की है. ये भगवान का खड़ी मूर्ति है, ताकि श्रद्दालु दूर से ही अपनी भगवान के दर्शन कर सकें.