Ayodhya Ram Mandir: नेपाल (Nepal) के जनकपुर (Janakpur) से कभी माता जानकी अयोध्या (Ayodhya) आई थीं, अब सौगात के तौर पर रामलला की मूर्ति का पत्थर भी जनकपुर से आ रहा है. इन्हीं पत्थरों से रामलला की मूर्ति बनेगी तो अयोध्या और नेपाल के बीच एक बार फिर त्रेतायुग के संबंध ताजा हो जाएंगे. रामलला की मूर्ति किस तरह की होगी यह सब मुंबई के चर्चित और विख्यात फाइन आर्ट के प्रोफेसर वासुदेव कामत की डिजाइन से तय होगा. 


जो पत्थर नेपाल से आ रहे हैं उन्हें अयोध्या पहुंचने के बाद मूर्तिकारों को दिखाया जाएगा और अगर कोई समस्या आती है तो विकल्प के रूप में ओडिशा, कर्नाटक और मध्य प्रदेश से भी इसी तरह के पत्थर मंगाए जा रहे हैं. जिससे गर्भ गृह में विराजमान होने वाली रामलला की मूर्ति का निर्माण सही समय पर हो सके और इसमें कोई देरी न हो.


जनकपुर से आ रहे हैं शालिग्राम पत्थर
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की दो दिवसीय बैठक समाप्त होने के बाद महासचिव चंपत राय ने साफ शब्दों में कहा कि शालिग्राम वह पत्थर होता है जिसमें भगवान विष्णु का निवास होता है इसीलिए बड़ी संख्या में मंदिरों में शालिग्राम पत्थर रखे रहते हैं. इस पत्थर को नेपाल के पोखरा से 50 किलोमीटर दूर गंडकी नदी से लाया जा रहा है, लेकिन यह खरीदा नहीं जा रहा है बल्कि जिस तरह जनकपुर ने जानकी जी दी थी, उसी तरह दहेज की सौगात के रूप में रामलला की मूर्ति के लिए पत्थर आ रहे हैं. 


श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि शालिग्राम शब्द बहुत अच्छा है. शालिग्राम का अर्थ है जिस पत्थर में भगवान विष्णु का निवास है. छोटा सा पत्थर भी शालिग्राम है. बड़े-बड़े मंदिरों में सौ-सौ शालिग्राम के पत्थर रखे रहते हैं. काली गंडकी नदी नेपाल में है दामोदर कुंड से चलती है. ये पत्थर पोखरा से भी 85 किलोमीटर ऊपर से नदी के तट से यह लाया गया है लेकिन यह खरीदा नहीं गया नेपाल के संतो ने कहा हम अयोध्या को सौगात में देना चाहते हैं. कभी जनकपुर ने जानकी जी दी थी अब जानकी जी के दहेज के रूप में इसे सौगात देंगे. 


मूर्तिकार वासुदेव कामत बनाएंगे डिजाइन


चंपत राय ने बताया कि जनकपुर के जानकी मंदिर के महंत राम तपेश्वर दास जी महाराज ने नेपाल सरकार से निवेदन किया, जिसे नेपाल सरकार ने स्वीकार कर लिया. इसके बाद सरकार ने पत्थर उठाकर राम तपेश्वर दास जी को भेज दिया. 28 जनवरी की शाम ये पत्थर उनके पास पहुंच गया और अब विधिवत पूजा अर्चना के बाद शालिग्राम पत्थर को उन्होंने अयोध्या के संतो के पास भेज दिया है. 

चंपत राय ने बताया कि रामलला की मूर्ति किस तरह की होगी. उसके नैन-नक्श आंखें और कद काठी कैसी होगी. यह सब महाराष्ट्र के फाइन आर्ट के चर्चित चेहरे वासुदेव कामत की डिजाइन के आधार पर तय होगा. राम मंदिर ट्रस्ट की बैठक में वासुदेव कामत भी शामिल हुए और ट्रस्ट के सदस्यों ने अपनी राय से उन्हें अवगत कराया. इसी आधार पर राम लला की बालस्वरूप मूर्ति का चित्र तैयार किया जाएगा और उसके बाद चुने गए मूर्तिकार दूसरे पत्थरों से मूर्ति का सैंपल तैयार करेंगे. मूर्ति के सैंपल के आधार पर फाइनल निर्णय लिया जाएगा और उसके बाद चुने गए पत्थरों से मूर्ति का निर्माण शुरू हो जाएगा. 


कर्नाटक उड़ीसा और मध्यप्रदेश से भी मंगाए पत्थर


नेपाल से लाया जा रहा पत्थर जब अयोध्या पहुंचेगा तो उसे मूर्ति कारों को दिखाया जाएगा और उसके बाद मूर्तिकार इन पत्थरों का निरीक्षण करेंगे और यह बताएंगे कि इससे रामलला की मूर्ति तैयार की जा सकती है या नहीं. रामलला की मूर्ति निर्माण में देरी ना हो, इसीलिए कर्नाटक उड़ीसा और मध्यप्रदेश से भी इसी तरह के पत्थर मंगाए जा रहे हैं. जिससे रामलला की मूर्ति बनाने के लिए पत्थरों का विकल्प मौजूद रहे. 


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