अयोध्या: अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि का समतलीकरण हो चुका है. खंभों की पाइलिंग हो रही है अब जल्द ही मंदिर निर्माण के लिए राम जन्मभूमि की कार्यशाला में रखे पत्थरों को राम जन्मभूमि के परिसर तक पहुंचाया जाना है. पत्थर 90 के दशक से राम जन्मभूमि की कार्यशाला में रामलला के मंदिर निर्माण के निमित्त तराश कर रखे गए हैं. ये राम मंदिर के प्रथम तल के पत्थर हैं जो राम जन्मभूमि की कार्यशाला में रखे हैं.
रामलला परिसर में लगाई जाएंगी मशीने
अब राम जन्मभूमि के मंदिर निर्माण के लिए दूसरे मंजिल के पत्थरों की तराशी रामलला के परिसर में ही होगी. राम जन्मभूमि परिसर में ही कार्यशाला की स्थापना होगी और राम जन्मभूमि की दूसरे मंजिल के पत्थरों की तराशी परिसर में होगी. इससे रामलला के मंदिर में लगने वाले पत्थरों को लाने और ले जाने का समय तो बचेगा ही साथ ही पत्थरों की तराशी जरूरत के हिसाब से मंदिर परिसर में हो जाएगी. कार्यशाला रामलला के परिसर में स्थापित करने के लिए पत्थरों की तराशी करने वाली मशीनों को भी रामलला परिसर में ही लगाया जाएगा.
पत्थरों को ले जाने के लिए रोड मैप तैयार
रामलला के परिसर में रखे पत्थरों को ले जाने के लिए रोड मैप तैयार कर लिया गया है. दो रास्ते इसके लिए चिन्हित किए गए हैं. एक रास्ता दीनबंधु नेत्र चिकित्सालय होते हुए नया घाट से हनुमानगढ़ी के सामने होते हुए संपर्क मार्ग से राम जन्मभूमि के परिसर में पत्थरों को प्रवेश कराया जाएगा. ये लगभग 4 किलोमीटर लंबा रास्ता है लेकिन इस रास्ते से ले जाने में भीड़भाड़ मिलेगी. दिन के समय इस रास्ते पर ट्रैफिक भी रहता है. ऐसे में रात के समय इस रास्ते का इस्तेमाल होगा और दिन के समय पंचकोशी परिक्रमा मार्ग से पत्थरों को ले जाया जाएगा. ये पत्थर साढ़े 5 किलोमीटर लंबे सफर के बाद रामलला के परिसर में पहुंचेंगे और इस रास्ते पर भीड़ भी नहीं होगी.
पहली मंजिल के पत्थरों की तराशी कंप्लीट
रामलला के परिसर में रखे पहली मंजिल के पत्थरों की तराशी कंप्लीट हो चुकी है, इन पत्थरों को अब नींव खुदने के साथ ही रामलला के गर्भ गृह में पहुंचाने का काम किया जाएगा. जल्द ही भगवान के गर्भ गृह के लिए चिन्हित स्थल पर 1200 पिलर जमीन के नीचे बेस्ट तैयार करने के बाद नींव खुदने का काम शुरू होगा. नींव खुदने के साथ ही पत्थरों को सबसे पहले परिसर में पहुंचाया जाएगा. इसके लिए परिसर के अंदर शेड का निर्माण भी होगा जहां पर इन पत्थरों को सुरक्षित रखा जा सके.
ऐसे पहुंचेंगे पत्थर
विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने बताया कि राम जन्मभूमि न्यास की कार्यशाला में पत्थरों की तराशी का कार्य लगातार होता रहा है. मंदिर निर्माण के लिए 60 से 65% पत्थरों की तराशी का कार्य पूरा भी हो चुका है. राम मंदिर के पत्थरों को राम जन्मभूमि के परिसर में पहुंचाने के लिए यदि नया घाट क्षेत्र से ले जाते हैं तो 4 किलोमीटर और यदि परिक्रमा मार्ग से होकर संपर्क मार्ग होते हुए रामलला के परिसर में ले जाते हैं तो साढ़े 5 किलोमीटर की दूरी पड़ेगी. पहली मंजिल के पत्थरों की तराशी का कार्य पूरा हो चुका है और पहुंचाने के उपरांत दूसरे मंजिल के पत्थरों की तराशी भी होनी है. रामलला के परिसर में 1992 में भी कार्यशाला चली थी और अब मंदिर निर्माण में यदि शीघ्रता चाहिए तो फिर कार्यशाला अंदर ही होगी.
सफाई का काम शुरू
राम जन्मभूमि की कार्यशाला का कार्यभार देखने वाले सुपरवाइजर अनु भाई सोमपुरा ने बताया कि राम मंदिर निर्माण के लिए राम मंदिर के प्रथम तल के पत्थरों की तराशी का कार्य पूरा हो चुका है और इन पत्थरों को तराशी के बाद सफाई का काम भी शुरू कर दिया गया है. पत्थर अब रामलला के परिसर में मंदिर की नींव खुदने के साथ ही भेजे जाएंगे साथ ही दूसरे मंजिल के पत्थरों की तराशी के लिए अब रामलला के परिसर में कार्यशाला के स्थापित करने का काम शुरू किया जाएगा. पत्थर ताराशी के लिए मशीनों को भी राम जन्मभूमि परिसर के अंदर ही स्थापित होने वाली कार्यशाला में लगाया जाएगा. अनु भाई सोमपुरा की मानें तो रामलला के परिसर में पत्थरों को परिक्रमा मार्ग से पहुंचाया जाएगा इसके लिए विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारी और ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने रोडमैप तैयार कर रखा है.
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