Ayodhya Ram Mandir Trust: अयोध्या में श्री राम का भव्य और दिव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है. ऐसे में राम मंदिर ट्रस्ट भव्यता देने के लिए आसपास के अन्य मंदिरों को भी खरीद रहा है. इसी बीच श्री राम मंदिर के पहले चेकिंग प्वाइंट से सटे रामनिवास मंदिर को खरीदने के दौरान एक बार फिर ट्रस्ट पर उंगली उठी. रामनिवास मंदिर में लंबे समय से बतौर किराएदार दुकान और मकान बनाकर रह रहे विनय गुप्ता का आरोप है कि उसे दूसरी जगह बसने के लिए 50 लाख देने की बात हुई थी. जैसे ही उसने राम मंदिर ट्रस्ट के दिए 24 लाख 99 हजार 750 रुपये के चेक को अपने बैंक खाते में लगाया वैसे ही उसके घर में ताला बंद कर दिया गया और अब उसका परिवार सड़क पर है.
इस मामले को जैसे ही श्री राम मंदिर के पूर्व पक्षकार रहे महंत धर्मदास ने उठाया जिससे एक बार फिर राम मंदिर ट्रस्ट चर्चा में आ गया. राम मंदिर ट्रस्ट के कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्ता ऐसे सभी आरोपों को नकारा है. उन्होंने कहा कि ट्रस्ट जबरन किसी की जमीन नहीं लेता. संपत्ति के लीगल वारिसों से सामंजस्य बनाकर उनके खाते में पैसा देकर लेते हैं. अब अगर हमने कोई प्रापर्टी ली है, तो उसकी मरम्मत कराने के लिए कब्जा लेते हैं और ताला बंद करते हैं.
पीड़ित ने क्या आरोप लगाया
श्री रामजन्मभूमि मंदिर से चंद कदम पहले सड़क किनारे अति प्राचीन रामनिवास मंदिर स्थित है, जिसका अधिकतर हिस्सा जर्जर हो चुका है. इसके तीन उत्तराधिकारियों महंत वीरेंद्र दास, महंत विवेक दास, लालकृष्ण दास से 5 करोड़ 80 लाख में श्री राम मंदिर ट्रस्ट ने खरीदने का अनुबंध 22 दिसंबर 2022 को किया था. इसमें ट्रस्ट ने 20 लाख 30 हजार की स्टांप ड्यूटी दी थी. ताजा विवाद रामनिवास मंदिर से जुड़ा है, जिसके एक हिस्से में लंबे समय से किरायेदार रूप में विनय गुप्ता मकान और दुकान बनाकर रहते थे. इसीलिए ट्रस्ट ने उन्हें अपना कब्जा छोड़ने के एवज में 24 लाख 99 हजार 750 का एक चेक दिया. विनय गुप्ता का आरोप है कि ट्रस्ट ने जिनसे मंदिर खरीदा है, उन्हीं में से एक वारिस ने उनसे कहीं और बसने के लिए 50 लाख रुपए देने की बात की थी. इस संबंध में उससे एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर भी कराए गए थे, लेकिन उसकी कोई कॉपी नहीं दी गई. अब जैसे ही उसने चेक को बैंक में लगाया उसी के बाद उसके परिवार को घर से निकाल कर ताला बंद कर दिया गया और अब परिवार सड़क पर है.
जितना पैसा कहा गया उतना नहीं दिया गया
पीड़ित विनय गुप्ता के अनुसार वीरेंद्र दास द्वारा कहा गया कि 25 लाख रुपए ले लीजिए और उस पर दस्तखत कर दीजिये. इसके साथ ही कहा गया कि जब मकान को खाली करायेंगे उस समय आपको 25 लाख लिखाई-पढ़ाई के समय मिल जाएगा. हमने ना डीडी पढ़ा ना हमें पढ़ाया गया न ही उसकी कोई छायाप्रति दी गई. मुझे कहा गया कि केवल आप दस्तख्त करिये चेक पकड़िये, हमको दस्तख्त करवा कर चेक दे दिया गया. इसके साथ ही पीड़ित ने कहा कि हमने देखा कि उसमें 90 दिन का टाइम है, तो हमें ठीक है लगा लेंगे, लेकिन हमें वीरेन्द्र दास के द्वारा और गुड्डू और आशीष के द्वारा बराबर फोर्स किया गया कि आप चेक को लगाइए. पांच-छः दिन के अंदर बहुत ज्यादा दबाब बना कर चेक हमारे खाते में लगवा दिया गया.
पीड़ित विनय गुप्ता ने कहा कि मेरे नाम जो चेक है, उसमें राम जन्मभूमि ट्रस्ट लिखा हुआ है, वो 25 लाख का बताये है उसमें जो है 24 लाख 99 हजार 750 रुपये लिखा था और वो चेक मैंने लगा दिया. जैसे ही मैंने चेक लगाया पैसा मेरे खाते में आया. ये सारे लोग जितने थे सब हम पे तिल गए कि मकान खाली करो, अब तुम्हारा यहां कुछ नहीं है और निकल कर जाओ. हम कहे भैया हमको अभी बात यह करी गई है कि आपको मकान तब खाली करनी है जब आप से लिखा पढ़ी पूरी करा लेंगे, अभी कैसे निकाल रहे हो. हम विरोध किये तो हमे जान से मारने की धमकी दी गई. आशीष और गुड्डू मिश्रा ने कहा कि सरयु जी में बोरा में भरकर फेंकवा देंगे, पता नहीं लगेगा और बहुत ज्यादा प्रताड़ित किया गया. उन्होंने बकाया कि मेरा परिवार डरा सहमा है. हम तीन चार दिन से घर से बाहर हैं. हमारे घर में ताला लगा हुआ है, हम कहां जायें. आशीष और गुड्डू मिश्रा ने ट्रस्ट की तरफ से ताला बंद किया है. उन्होंने कहा कि ट्रस्ट का आदेश आया है इसलिए हम ताला बंद कर रहे हैं.
पूर्व पक्षकार ने क्या कहा?
इस मामले में तूल तब पकड़ा जब बीते शुक्रवार की रात ताला बंद होने के बाद राम मंदिर के पूर्व पक्षकार रहे महंत धर्मदास वहां पहुंच गए. उनका आरोप है कि मंदिर किसी की व्यक्तिगत प्रॉपर्टी नहीं होती, भगवान की होती है इसलिए उस पर ना जबरन कब्जा किया जा सकता है और ना उसे बेचा जा सकता है. इसलिए उन्होंने बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस करके राम मंदिर ट्रस्ट को सलाह दी है कि वह कोई ऐसा कार्य ना करें, जिससे अयोध्या की जनता में अफरा-तफरी फैले.
राम मंदिर के पूर्व पक्षकार महंत धर्मदास ने कहा कि हमलोगों ने डीएम से अयोध्या में भगवान की संपत्ति को जो खरीदने वाले और बेचने वाले हैं, इन पर रोक लगाया जाए.उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से लेकर सभी मानता है कि बालक भगवान की संपत्ति है जिसे बेचा नहीं जा सकता है ना ही जबरन कब्जा किया जा सकता है, इसलिए इस पर प्रतिबंध लगाया जाय. राम निवास मंदिर जो जन्मभूमि से नजदीक है उस पर कुछ अराजक तत्व ताला बंद कर दिए. इसके साथ ही विनय गुप्ता के घर पर ताला बंद कर दिया गया. इस पर हम चाहते हैं कि ये ट्रस्ट वाले जो भी है चंपत राय एंड कंपनी को हम सजेशन देना चाहते हैं कि वह इस प्रकार से कार्य न करें, जो आम जनता में अफरा-तफरी मचे.
वहीं इस पूरे मामले पर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्ता ने साफ किया है कि जो लीगल लोग हैं उनको ट्रस्ट बाकायदा पैसा देकर प्रॉपर्टी लेता है. वह जो पैसा मांगते हैं उसको दिया जाता है और उसके बाद उसकी रजिस्ट्री ली जाती है. राम मंदिर ट्रस्ट किसी से कोई जबरदस्ती नहीं करता, बल्कि सुरक्षा के आधार पर संपत्ति उनके खाते में पैसा देकर खरीदी जाती है और संपत्ति खरीदने के बाद उसमें मरम्मत आदि कराने के लिए कब्जा लिया जाता है और ताला बंद किया जाता है. बता दें कि ताला बंद करने के मामले में निशिंद्र मोहन मिश्रा उर्फ गुड्डू मिश्रा और ट्रस्ट कर्मचारी आशीष अग्निहोत्री का नाम सामने आ रहा है. इसीलिए राम मंदिर ट्रस्ट की तरफ से यह सफाई सामने आई है.
इसमे ऐसा है कि जो उत्तराधिकारी जो लीगल लोग है्ं उनको ट्रस्ट बाकायदा पैसा देकर के प्रॉपर्टी लेते हैं. उसको ट्रस्ट उनके कहे के अनुसार पैसा देते हैं और पैसा खाते में जाता है. उसके बाद रजिस्ट्री होती है कहीं कोई किसी से इनलीगल प्रॉपर्टी नहीं लेते हैं. क्योंकि मंदिर में एक विवाद रहता है किसी किसी के दो-दो तीन-तीन शिष्य हो जाते हैं. उत्तराधिकारी कोई बन जाता है, दूसरा विवाद खड़ा कर देता है. उन्होंने कहा कि किसी ने जबरन ताला बंद नहीं किया.
ये भी पढ़ें: UP Politics: अब्बास अंसारी की पत्नी गिरफ्तार, FIR दर्ज, प्रयागराज के DG जेल करेंगे जांच, जानिए- क्या है मामला?