UP News: अयोध्या अब रामायण कालीन वृक्षों से आच्छादित होगी. राम वन गमन मार्ग के साथ-साथ अयोध्या में आपको महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित राम चरित मानस में उल्लेख किए गए वृक्षों की पूरी श्रृंखला दिखाई देगी. इन वृक्षों में कितने वृक्ष अयोध्या में विकसित हो सकते हैं इस पर शोध भी शुरू हो गया है और वह स्थान भी चिन्हित कर लिए गए हैं, जहां-जहां इन वृक्षों को लगाया जाएगा. इसी के साथ बटरफ्लाई पार्क (तितलियों का स्थान) के साथ बंदरों के लिए अयोध्या में एक उद्यान विकसित किया जाएगा. यह एक ऐसा स्थान होगा जहां अलग-अलग ऋतु के अनुसार फल उत्पन्न होंगे. इसके अलावा ऐसे वृक्ष भी लगाए जाएगें कि जिनसे तितलियों की संख्या तेजी से बढ़ सके पर्यटकों के लिए जहां इस तरह की स्थान आकर्षण का केंद्र होंगे तो वही अयोध्या में पर्यावरण और बंदरों के लिए अच्छे दिन की सौगात होगी.


दिखाई देगी रामायण कालीन वृक्षों की वाटिका
श्री राम जन्मभूमि मंदिर के चारों तरफ ग्रीन फील्ड होगी जिसमें नक्षत्र वाटिका के साथ रामायण कालीन वह वृक्ष होंगे. जिनका उल्लेख वाल्मीकि रामायण में भी मिलता है. इसी के साथ राम वन गमन मार्ग के साथ-साथ अयोध्या के अलग-अलग स्थानों पर रामायण कालीन वृक्षों की वाटिका दिखाई देगी. अशोक वाटिका, किष्किंधा वाटिका और पंचवटी वाटिका बनाई जा रही हैं. जिससे आने वाली भावी पीढ़ियों को उनके गौरवशाली अतीत से जोड़ा जा सके और वनों के संरक्षण के साथ प्राचीन और पौराणिक स्वरूप को पुनः स्थापित किया जा सके. इसके लिए रामायण कालीन वृक्षों उनकी प्रजातियों और वनों का अध्ययन करने के बाद शोध शुरू हो गया है. 




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कई ऐसी प्रजातियां हैं जो कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित रह गई हैं, इसलिए इसको लेकर शोध हो रहा है कि उसमें से कितनी प्रजातियां अयोध्या की मिट्टी और वातावरण में विकसित हो पाएगी. इसके साथ अयोध्या में ऐसा उद्यान भी जल्दी ही अस्तित्व में आ जाएगा जिसमें हर मौसम में फल और फूल होंगे और यह अयोध्या के बंदरों और अलग-अलग तिथियों के लिए फूड पार्क की तरह होगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी इस परियोजना से जुड़ी बारीकियों और महत्वपूर्ण पहलुओं को समझाया जा चुका है.
 
क्या कहा क्षेत्रीय वन अधिकारी अयोध्या शीतांशु पांडे ने?
क्षेत्रीय वन अधिकारी अयोध्या सीतांशु पांडे ने बताया कि रामायण कालीन वृक्षों पर भी हम काम कर रहे हैं. जैसे अशोक वाटिका, किष्किंधा वाटिका, पंचवटी वाटिका बनाई जा रही हैं, इसके लिए हम ब्राह्मण कालीन प्रजातियों पर रिसर्च कर रहे हैं. उस संशोधन के बाद जितने भी पेड़ आ रहे हैं चंपाका, मृत्यु जीवा ,सीता अशोक उसको हम जहां जहां से ला सकते हैं हम नर्सरी मंगा रहे हैं. उसके संबंध में जहां पर यह वाटिका बनाई जाएंगी गुप्तार घाट में वहां पर हम लोग उसको लगाएंगे. अयोध्या में गुप्तार घाट में राम की पैड़ी के पास हमने एक दो जगह चयन की है वहीं पर लगवाया जाएगा.


क्या कहा अयोध्या डीएम नितीश कुमार ने?
अयोध्या डीएम नितीश कुमार ने बताया कि इसमें यह प्रयास किया जा रहा है की खास प्रजाति के वृक्ष लगाया जाएं. उसका साइकोलॉजिकल अध्ययन किया जाए और कहां पर कौन से वृक्ष लगाने हैं उसको लगाया जाए. बहुत सारे जगह चिन्हित किए हैं जैसे गुप्तार घाट का क्षेत्र है, संविदा झील का क्षेत्र है, 67 एकड़ का एरिया है. जो झील का विस्तार कर रहे हैं. बड़ा प्रोजेक्ट है इस तरह हम लोगों ने कुण्डों के संरक्षण का कार्य शुरू कर दिया है और जो काफी पुरानी झील है उसका भी विकास कर रहे हैं. इन सब के पास प्लांटेशन करेंगे प्लांटेशन का उद्देश्य होगा रामायण कालीन वृक्ष लगाए जाए .


क्या कहा अयोध्या सांसद लल्लू सिंह ने?
अयोध्या सांसद लल्लू सिंह ने बताया कि रामायण कालीन पेड़ तो पूरे अयोध्या में लगेगी.  84 कोसी पर, 14 कोसी पर और पंचकोशी पर सभी धार्मिक, पौराणिक स्थलों पर पेड़ लगाए जाएंगे. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का विजन इसको धार्मिक नगरी के रूप में विकसित करना है.


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