Ram Mandir Pran Prthistha: रामलला के प्राण प्रतिष्ठा को लेकर जैन समाज में उत्साह, श्रीराम के जीवन से जुड़ी बताई खास बातें
Ayodhya Ramlala Pran Pratishtha: अयोध्या में रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर जैन मुनि भी उत्साहित हैं क्योंकि जैन धर्म में 24 तीर्थंकर हैं. प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव की जन्मभूमि अयोध्या है.
Ramlala Pran Pratishtha: राम मंदिर में रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर जैन मुनि भी उत्साहित हैं क्योंकि अयोध्या जैन धर्म की मूल भूमि है और इस पवित्र नगरी का भारी विकास होने की उन्हें उम्मीद है.पीठाधीश दिगंबर जैन तीर्थ रवींद्र कीर्ति जैन ने कहा कि जैन धर्म में 24 तीर्थंकर हैं जिनमें से प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव की जन्मभूमि अयोध्या है. उनके बाद, चार तीर्थंकर भी अयोध्या में जन्मे. उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर बनने से पूरा जैन समाज प्रसन्न है.
सबसे वरिष्ठ जैन साध्वी और सोमवार को प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आमंत्रित 89 वर्षीय ज्ञानमती ने कहा कि वैदिक संस्कृति के मुताबिक अहिंसा की गूंज है और यह एक सुखद घटना है. पूरा देश अयोध्या की ओर देख रहा है और यहां तेज गति से विकास हो रहा है. पड़ोसी जिले बाराबंकी के टिकैतनगर में जन्मी ज्ञानमती माता वर्तमान में अयोध्या में रह रही हैं. हालांकि, स्वास्थ्य कारणों से उनके इस समारोह में शामिल होने की संभावना नहीं है. यह पूछे जाने पर क्या वह इस समारोह में नहीं जा पाने को लेकर दुखी हैं, उन्होंने कहा किदुखी होने का कोई प्रश्न नहीं है. मैं हर किसी के लिए प्रसन्न हूं. कुछ दिन पहले मैं राम मंदिर गई थी और मैंने इसे बहुत खूबसूरत पाया. बचपन के दिनों से ही मैंने अयोध्या को बहुत खूबसूरत पाया है.
ऋषभदेव और भगवान राम इक्ष्वाकु वंश से थे'
जैन धर्म के साथ अयोध्या के जुड़ाव पर प्रकाश डालते हुए रवींद्र कीर्ति स्वामी ने कहा कि पहले तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव थे. ऋषभदेव जी और भगवान श्री राम दोनों इक्ष्वाकु वंश से थे. उन्होंने कहा कि जैन पुराणों के मुताबिक, भगवान राम का जन्म नौ लाख वर्ष पहले हुआ था. इसका ऋग्वेद, यजुर्वेद में उल्लेख है और जैन पुराण में लिखा है कि ऋषभदेव नभि राय के पुत्र थे. अयोध्या को प्राचीन काल से ही जैनियों के लिए शाश्वत तीर्थ माना जाता रहा है. यह कभी नष्ट नहीं होगा. जब कभी त्रेता युग आएगा, हमारे तीर्थंकर केवल अयोध्या में जन्म लेंगे. अयोध्या जैनियों की मूल भूमि है.
उन्होंने कहा कि जैन मुनि इस बात से प्रसन्न हैं कि यह हमारे जीवन में ऐतिहासिक और स्वर्णिम क्षण है. हम इसलिए भी खुशी का अनुभव कर रहे हैं क्योंकि भगवान राम का उल्लेख जैन पुराणों में भी है. अयोध्या से ही हमारे तीर्थंकरों ने इस पूरे देश में अहिंसा परमो धर्मः का संदेश देना शुरू किया.
जैन धर्म मानने वालों का आगमन बढ़ेगा
रवींद्र कीर्ति स्वामी ने कहा कि एक बार राम मंदिर बन जाने पर अयोध्या के विकास की गति तेज होगी और अयोध्या के आसपास जैन तीर्थस्थानों का भी तेज विकास होगा. उन्होंने यह भी कहा कि अयोध्या का अंतरराष्ट्रीय हवाईड्डा चालू होने से जैन धर्म मानने वाले लोगों का आगमन बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि जैन समुदाय से 10 लोगों के साथ मैं दिल्ली गया था और वहां से अयोध्या के लिए पहली उड़ान पकड़ी. विमान का किराया महंगा था, इसके बावजूद हमने यात्रा की. यहां आने पर हमारा भव्य स्वागत किया गया.
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