UP News: अयोध्या में तपस्वी छावनी के महंत सर्वेश्वर दास के देहावसान होने के बाद अब नए महंत को लेकर घमासान छिड़ गया है. हनुमानगढ़ी की चारों पट्टियों के साधुओं का संत परमहंस के पक्ष में सोमवार को हुए ऐलान के बाद अब अयोध्या के साधु संत दो धड़ों में बंट गए हैं. हनुमानगढ़ी से जुड़े साधु संत, परमहंस को तपस्वी छावनी का महंत बनाना चाहते हैं तो वहीं तपस्वी छावनी के कुछ ट्रस्टी समेत अयोध्या के साधु-संतों का एक बड़ा गुट तपस्वी छावनी के महंत पद पर संत परमहंस के बजाय किसी और को बैठाना चाहते हैं.
प्रशासन बनाए हुए है नजर
इस सबके बीच अयोध्या पुलिस-प्रशासन पूरे मामले पर नजर बनाए हुए है और महंत की दावेदारी को लेकर विवाद और बढ़ा तो तपस्वी छावनी को कुर्क कर रिसीवर भी नियुक्त किया जा सकता है. सूत्रों की माने तो इसके पीछे महंत पद को लेकर विवाद और अलग-अलग दावेदारी होगी जो बड़े विवाद को जन्म दे सकती है. हालांकि प्रशासन अभी इस मामले पर कुछ भी कहने से बच रहा है.
संत परमहंस ने कहा- हो रही है मारने की कोशिश
सोमवार को तपस्वी छावनी के महंत पद के विवाद को लेकर एक बड़ी बैठक हुई है. इस बैठक में संत परमहंस के साथ हनुमानगढ़ी की चारों पट्टियों के साधु संत मौजूद रहें. जिन्होंने खुलकर हनुमानगढ़ी और तपस्वी छावनी के बीच पूर्व के रिश्तों का हवाला देते हुए महंत पद के लिए संत परमहंस का समर्थन किया और कहा कि किसी भी गलत और अपात्र व्यक्ति को वह लोग महंत नहीं बनने देंगे. इस बीच संत परमहंस ने कहा कि जब उनके गुरु सर्वेश्वर दास की महंती हुई थी तब भी कुछ अराजक तत्व सक्रिय थे. उस समय भी हनुमानगढ़ी आगे आई थी. अब जब गुरुजी का साकेत वास हो गया है तो भी मुझे तमाम तरह की धमकी आ रही है. जिसमें कहा जा रहा है कि यहां से छोड़ कर भाग जाओ, नहीं तो मार देंगे. यह भी कहा जा रहा है कि 3000 गुंडे बुलाए गए हैं अब संतो के हाथों ही मेरी मुक्ति है तो मैं तैयार हूं लेकिन हनुमानगढ़ी ने हमें कहा है कि विजय सत्य की होती है और उन्होंने मुझे समर्थन दिया है.
'संत परमहंस को बनाएंगे महंत'
वहीं हनुमानगढ़ी के साधु-संतों ने बैठक के दौरान साफ-साफ कहा कि जब भी अतिक्रमण हुआ है और जरूरत पड़ी तो सबसे पहले गर्दन हमारी कटी है. तपस्वी छावनी हमारी आचार्य गद्दी है. हम इसको नष्ट होते नहीं देखना चाहते. इसलिए कोई भी पैसा लेकर किसी को बैठा दें और लूट करें भू-माफिया जो साधु वेश बना रहे हैं तो साधु वेश से कोई साधु नहीं हो जाता. इसलिए जैसे ही हम लोगों को इस बारे में सूचना मिली हम लोग यहां आ गए और अपनी आचार्य गद्दी को किसी भी दशा में नष्ट नहीं होने देंगें. हनुमानगढ़ी ने पहले भी तपस्वी छावनी के महंत पद पर योग्य संत सर्वेश्वर दास को महंत बनाया था और अब उनके उत्तराधिकारी संत परमहंस को भी महंत बनाएंगे
हनुमानगढ़ी के महंत माधव दास ने क्या कहा?
हनुमानगढ़ी के महंत माधव दास ने कहा कि हनुमानगढ़ी का मतलब अखाड़ा अखाड़ा अतिक्रमण हटाओ योजना में सदा रहा है. हनुमानगढ़ी अतिक्रमण नहीं होने देगा. कहीं भी विश्व में किसी भी स्थान पर अतिक्रमण हुआ तो सबसे पहले गर्दन हमारी कटी. अब हमारा है तो तुम्हारा नहीं ऐसा नहीं चलेगा. हमारी परंपरा है, हमारी आचार्य गद्दी है, हमारी व्यक्तिगत हनुमानगढ़ी से परदादा गुरु यही से गए थे, इसलिए हम अपने गुरुद्वारा को नष्ट होते हुए नहीं देखना चाहेंगे. पैसा लेकर कहीं किसी को बैठा दे कोई लूट ले. भेष बनाने से साधु नहीं होता है. भेष बनाने से कुछ नहीं होता है. हम लोगों के अखाड़े में 56 वर्ष हो गए हैं हमको हनुमानगढ़ी में रहते हुए आपने कभी भी हमको पेपर में फोटो नहीं देखा होगा. मुझे क्यों आना पड़ा? जब मेरे गुरुद्वारा पर आपत्ति आई तो मैं सोता रहूंगा क्या? सूचना मिला मुझे भाइयों ने बताया मैं आ गया.
"परमहंस एकमात्र हमारा उत्तराधिकारी"
अध्यक्ष संकटमोचन सेना संजय दास ने कहा कि "इससे पहले जब सर्वेश्वर दास महंत हुए थे. उसमें भी ऐसा विघ्न बनाया था. ऐसे ही अनपढ़ विद्यार्थी को बैठाया जा रहा था. जिसमें संत समाज परंपरा का ज्ञान ही नहीं था. तभी उसको हटा करके सर्वेश्वर दास को पूज्य महंत ज्ञान दास ने बैठाया था और पूरा हनुमानगढ़ी और अयोध्या का संत समाज स्थापित किया था. आज भी वहीं स्थिति देख रहा हूं. कहीं ना कहीं 2017 में महाराज सर्वेश्वर दास ने माननीय परमहंस को पूर्ण रूप से यह अधिकार दिया था. उत्तराधिकार का हमारे ना रहने के बाद हमारा पूरा अधिकार ही परमहंस एकमात्र हमारा उत्तराधिकारी है. निश्चित ही वह इस पद पर पदआसीन है जो प्रक्रिया है संत समाज की उसको पूरा किया जा रहा है."