(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
धन्नीपुर में बनने वाली मस्जिद पर ओवैसी के बयान से भड़के अयोध्या के साधु-संत
अयोध्या के धन्नीपुर में बनने वाली मस्जिद पर ओवैसी के बयान से साधु-संत भड़क उठे हैं. उनका कहना है कि, ओवैसी हमेशा समाज को तोड़ने वाला बयान देते हैं.
अयोध्या: अयोध्या में बन रही मस्जिद को लेकर असदुद्दीन ओवैसी के कर्नाटक में दिए विवादित भाषण को लेकर अब आवाज उठना शुरू हो गई है. बाबरी मस्जिद के लिए लंबे समय तक लड़ाई लड़ने वाले पक्षकार हो या फिर अयोध्या के साधु संत सभी ओवैसी पर भड़के हैं. उनका कहना है कि ऐसे भड़काऊ बयान देकर ओवैसी हमेशा लोगों को लड़ाने की राजनीति करते रहते हैं. लिहाजा उनकी बात पर ध्यान ना दिया जाए और ऐसे बयान को लेकर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए.
ओवैसी ने दिया था ये बयान
आपको बता दें कि, एक दिन पहले असदुद्दीन ओवैसी ने कर्नाटक में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अयोध्या में बनने वाली मस्जिद को लेकर कहा था कि मुनाफ़िक़ों की जमात जो बाबरी मस्जिद के बदले 5 एकड़ ज़मीन पर मस्जिद बनवा रहे हैं, हकीकत में वो मस्जिद नहीं बल्कि 'मस्जिद-ए-ज़ीरार' है. मुहम्मदुर रसूलुल्लाह के ज़माने में मुनाफ़िक़ों ने मुसलमानों की मदद करने के नाम पर एक मस्जिद बनवाई थी, हकीकत में उसका मक़सद उस मस्जिद में नबी का खात्मा और इस्लाम को नुकसान पहुंचाना था (क़ुरान में उसे 'मस्जिद -ए- ज़ीरार' कहा गया है). ऐसी मस्जिद में नमाज़ पढ़ना और चंदा देना हराम है.
ओवैसी की बातों पर ध्यान न दिया जाए
बाबरी मस्जिद के पूर्व पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा कि, धन्नीपुर में जो 5 एकड़ जमीन मिली है, उसमें स्कूल बन रहा है, मस्जिद बन रही है, हॉस्पिटल बन रहा है. सवाल ओवैसी का है. उन्होंने फतवा जारी किया है कि कोई उसमें नमाज ना पढ़े, चंदा ना दें. कौम को चाहिए कि उनकी बात पर बिल्कुल ध्यान ना दें. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिया है, वह काम हो रहा है उसको होने दें, अब सारे विवाद खत्म हो चुके हैं.
मस्जिद पर सवाल खड़ा करना गलत
वहीं, तपस्वी छावनी के संत परमहंस ने कहा कि, एक सांसद होकर के इस तरह के गैर जिम्मेदाराना और असंवैधानिक भाषण देना निश्चित रूप से देशद्रोह की श्रेणी में है. उन्होंने कहा कि, जब सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया है और सर्वोच्च न्यायालय के जजमेंट पर धन्नीपुर में जो निर्माण हो रहा है उसको लेकर अगर यह प्रश्न खड़ा किया जा रहा है तो यह न्यायपालिका पर प्रश्न चिन्ह है. न्यायपालिका पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करने का किसी को अधिकार नहीं है.
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