ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) के मामले पर चल रहे सर्वे में साक्ष्य मिलने को दावों पर अयोध्या (Ayodhya) के संतों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. रामलला के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने दावा किया कि जिस जगह पर साक्ष्य जुटाए गए हैं वे सारे साक्ष्य मंदिर से संबंधित हैं. उन्होंने कहा कि, अंदर जो सर्वे हुआ है जहां तहखाने मिले हैं ये सब के सब प्रमाण हैं कि वहां मंदिर था. उनका दावा है कि, मंदिर को तोड़कर ही बनाया गया है. आज भी जो बाहर से दिखाई देता है मंदिर को तोड़ दिया गया था और आधे भाग में मस्जिद बना लिया गया था. स्पष्ट है कि वहां भगवान शिव का मंदिर था.


यहां मंदिर था- आचार्य सत्येंद्र दास
रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि, वहां मंदिर का इतिहास है. सभी लोग जानते हैं कि औरंगजेब के काल में औरंगजेब ने ही इसे तुड़वाया था. वहां पर आधा भाग तोड़कर मस्जिद बना दिया और आधा भाग आज भी है. बाहर से देखने के बाद स्पष्ट हो रहा है कि मंदिर के ऊपर का जो गुम्मद है उसको तोड़ कर आधे भाग में मस्जिद बनी है. उनका दावा है कि, सभी प्रमाण यही हैं कि यहां मंदिर था और मंदिर को तोड़कर ही बनाया गया है. उनका दावा है कि, अंदर और बाहर सभी का सर्वे हो चुका है और जो सारे साक्ष्य मिले हैं उससे पता चलता है कि, यह मंदिर है और मंदिर रहा है.


Gyanvapi Masjid Survey: शिवलिंग मिलने के दावे पर डिप्टी CM केशव प्रसाद मौर्य की पहली प्रतिक्रिया, जानें- क्या कहा?


शिव का मंदिर रहा है- आचार्य सत्येंद्र दास
आचार्य सत्येंद्र दास ने दावा किया कि, आज भी दूर से ही उसमें जो भी दिखाई देता है उससे स्पष्ट होता है कि मंदिर को तोड़ दिया गया और मस्जिद बना दिया गया. यह स्पष्ट है कि भगवान शिव का मंदिर रहा है और उसका नाम ही ज्ञानवापी है. उनका दावा है कि, ज्ञानवापी के नाम से आज भी है और उसमें जो भी साक्ष्य मिले हैं वे हिंदू पक्ष के मिले हैं. शिवलिंग भी मिला है और जो कुछ भी मिला है उससे मंदिर का प्रमाण मिलता है.


नीचे मंदिर का स्वरूप-जगतगुरु राम दिनेशाचार्य
जगतगुरु राम दिनेशाचार्य का दावा है कि, जब भी मुगलों का आक्रमण सनातन धर्म पर हुआ है तो मुगलों ने धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया. बिन कासिम और औरंगजेब ने मंदिरों को तोड़कर वहां पर मस्जिद बनाई थी. उनका दावा है कि, ज्ञानवापी मस्जिद को देखने के बाद साफ पता लगता है कि नीचे मंदिर का स्वरूप है और ऊपर जल्दी-जल्दी में कोई ढांचा बनाया गया है. उन्होंने हमारी आस्था के प्रतीक मंदिरों को तोड़कर हमारी आस्था को तोड़ने का काम किया था.


अयोध्या फैसले की मिसाल दी
वहीं जगतगुरु राम दिनेश आचार्य ने कहा कि जो भी मुस्लिम वर्ग के लोग पढ़े लिखे और समझदार लोग हैं उनको यह बात समझनी चाहिए कि कोई भी साक्ष्य यदि चलता है तो सत्य के आधार पर ही चलता है. उनका दावा है कि यहां पर मंदिर से पूरे देश की पहचान थी. वहीं अयोध्या फैसले की मिसाल देते हुए उन्होंने कहा कि इतना बड़ा अयोध्या मामले का फैसला न्यायपालिका ने हमारे पक्ष में दिया है तो ऐसे ही काशी और मथुरा का भी फैसला सुनाइए. पढ़े लिखे और समझदार नागरिक होने के नाते मुस्लिम समाज के लोगों को इसको स्वीकार करना चाहिए और जो हिंदुओं के आस्था के केंद्र हैं जिन्हें मुगल शासकों ने लिया है, वह गलती आज नहीं होनी चाहिए और इसको स्वीकार करना चाहिए.


Gyanvapi Masjid Survey: तीन दिनों तक चले सर्वे का काम खत्म, जानें- किस पक्ष का क्या है दावा