Ramlila Controversy: फिल्मी सितारों वाली रामलीला के विरोध में उतरे अयोध्या के संत, भाषा और संवाद पर उठाये सवाल
Ayodhya Ramlila: अयोध्या में आयोजित होने वाली रामलीला को लेकर अयोध्या के संतों ने सवाल उठाये हैं. उनका कहना है कि, फिल्मी सितारों की वेशभूषा और उनकी संवाद शैली सही नहीं है.
Ramlila in Ayodhya: अयोध्या (Ayodhya) में होने वाली फिल्मी सितारों से सजी रामलीला (Ramlila) को लेकर अयोध्या में संत समाज (Ayodhya Saints) विरोध पर उतर आया है. रामलीला की भाषा शैली (Dialogue) और फिल्मी सितारों (Bollywood Stars) के द्वारा निभाई जा रहे रोल में वेशभूषा को लेकर सवाल उठाया है. संत समाज का कहना है कि, आध्यात्मिक परंपरा वाली धार्मिक मान्यता वाली रामलीला का आयोजन होना चाहिए. करीब दो दर्जन से ज्यादा संतों ने सिद्ध पीठ बड़ा भक्तमाल में बैठक कर विरोध किया है. संत समाज में पर्यटन विभाग को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि, वह 17 सितंबर को गोरखपुर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) से मुलाकात कर अपनी शिकायत दर्ज कराएंगे. अयोध्या संत समिति ने विरोध किया है.
पिछली बार रामलीला के नाम अभद्र प्रदर्शन
बड़ा भक्तमाल के महंत अवधेश दास ने कहा कि, रामलीला हमारी उपासना सेवा में आती है, इसमें यदि किसी तरीके का हास परिहास होता है तो उसको स्वीकार नहीं करते हैं. फिल्म जगत के लोगों को शास्त्र और अध्यात्म की कितनी जानकारी है, यह मैं नहीं जानता. पिछले वर्ष वर्चुअल रामलीला के नाम पर जो अभद्र प्रदर्शन हुआ है, उस प्रदर्शन को देखते हुए हम इसका विरोध करते हैं. रामलीला में काम करने वाले कलाकारों का रहन-सहन खानपान कैसा है, यह ध्यान में रखा जाता है. अवधेश दास हमलावर होते हुए बोले कि, मांस मदिरा खाने वाले लोग मंच पर अभद्र प्रदर्शन करेंगे. यह संत समाज के समझ के बाहर है. साथ ही उन्होंने दावा किया कि, अयोध्या में ऐसी ऐसी रामलीला मंडली आए हैं, जो विदेशों तक अपना प्रदर्शन और परचम लहराया है. ऐसी रामलीला को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. फिल्म जगत की रामलीला करने का कोई मतलब नहीं है. रामानंद सागर की रामलीला से कोई भी संत समाज के लोग असंतुष्ट नहीं हुए, क्योंकि उसमें शास्त्र सम्मत कथाएं थीं, साहित्य था श्रंगार था. यह जो रामलीला हो रही है इसमें अभद्र प्रदर्शन हो रहा है. इसका हम संत समाज के लोग विरोध कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे. सनातन संस्कृत और उपासना के साथ इस प्रकार का खिलवाड़ न किया जाए अगर खिलवाड़ किया जाएगा तो इस बात को संत महात्मा सहन नहीं करेंगे.
मुख्यमंत्री से करेंगे मुलाकात
संत समाज 17 तारीख को गोरखपुर जाएगा, जहां पर मुख्यमंत्री से अपनी शिकायत दर्ज कराया जाएगा. साथ ही यह कार्यक्रम मुख्यमंत्री जी की तरफ से नहीं पर्यटन विभाग की तरफ से आयोजित किया जा रहा है. संतों ने दावा किया कि, इस कार्यक्रम और आयोजन को करने से पहले या स्थानीय संत महात्माओं की राय लेनी चाहिए थी. रामलीला कैसी होगी, स्वरूप कैसे होंगे साज सज्जा कैसी होगी साहित्य कैसे होगा.
अयोध्या संत समिति के महामंत्री पवन दास शास्त्री ने कहा कि, अयोध्या के ऐतिहासिक महत्व का संपूर्ण विश्व में विदित है कि, यह राम जी की जन्मभूमि रही है रावण जैसे कुचरित्र व्यक्ति ने भी कहा था कि, जब मैं राम जी का मुखौटा लगा लेता हूं, तो संपूर्ण विश्व सारी संपदा मुझे तुच्छ नजर आती है. इस तरह का संदेश देने वाली जो रामलीला है, उसको उसी रूप में होना चाहिए. संपूर्ण विश्व इस वर्चुअल रामलीला को देखता है. हमारे अयोध्या के रामलीला की परंपरा रही है जिसका अनुसरण संपूर्ण देश करता रहा है. रामलीला वर्च्युअल की जगह इसकी जो एक्चुअली है उसको ना बिगड़ा जाए.
राम के चरित्र सही ढंग से परिभाषित करें
हम संत समाज के लोग 10 अगस्त को 80 फीसदी अयोध्या के संतों ने भागवत आचार्य स्मारक सदन पर निर्णय किया था और सरकार को अवगत कराया था. हम लोगों ने पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री और सभी विभागों को अवगत कराया है, कि, बावजूद इसके सरकार हमारे धर्म और नीति की हमारे इष्ट और आराध्य के चरित्र की परिभाषा तय करने लगेंगे तो यह बात उचित नहीं है. यह सर्वथा अनुचित हस्तक्षेप है. इस रामलीला के विरोध में हम लोग प्रधानमंत्री से भी मिलेंगे और मुख्यमंत्री से भी मुलाकात करेंगे और पूर्व में किया भी है. यह लोग चाहते हैं कि जिस तरह से चाहेंगे उस तरीके से राम जी के चरित्र को परिभाषित करेंगे तो यह होने नहीं दिया जाएगा.
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