BSP Prabudh Sammelan: 2022 के चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुट गई हैं. सभी राजनीतिक पार्टियां ब्राह्मणों (Brahmin) को अपनी तरफ खींचने की कोशिश कर रही हैं. बसपा (BSP) का ब्राह्मण सम्मेलन (Brahmin Conference) चल रहा था जो आज समाप्त हो रहा है. आज ब्राह्मण सम्मेलन में मायावती (Mayawati) भी शामिल हुईं. बसपा ने ब्राह्मण सम्मेलन की शुरुआत अयोध्या (Ayodhya) से की थी. इस बीच अयोध्या के संत समाज (Saints) ने कहा है कि ये वही बसपा पार्टी है जो कहती थी 'तिलक-तराजू और तलवार इनको मारो जूते चार', 'मिले मुलायम-काशीराम हवा में उड़ गए जय श्री राम'. संत समाज ने कहा है कि अभी ब्राह्मण भूला नहीं है, अभी भी उसको याद है कि किस प्रकार बसपा की सरकार में ब्राह्मणों को प्रताड़ित किया जाता था. संतों ने साफ कहा है कि उनको कहां रहना चाहिए और कहां नहीं, वो जानते हैं.


ब्राह्मण नहीं भूला है बसपा का शासन  
हनुमानगढ़ी के पुजारी राजू दास ने कहा कि बहन जी को धन्यवाद. देर आए दुरुस्त आए. उन्होंने का कि बहन जी कहा करती थी कि तिलक-तराजू और तलवार इनको मारो जूते चार. अब बहन जी के प्रमुख ब्राह्मण चेहरे ही प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन करवा रहे हैं. अयोध्या में जब राम जन्मभूमि का मामला था जब इनकी मुलायम सिंह से दोस्ती हुई. इन्होंने कहा मिले मुलायम-काशीराम हवा में उड़ गए जय श्री राम. ब्राह्मण अभी तक ये सब भूला नहीं है. राजू दास ने कहा कि ब्राह्मण को याद है कि इनके शासनकाल में किस तरह से समाज पीड़ित था, प्रताड़ित हुआ था. जिस प्रकार से एससी-एसटी का दुरुपयोग किया गया ये हर व्यक्ति को पता है.


पता लगाना मुश्किल कि ब्राह्मण  कहां जाएगा
रामलला के पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि ब्राह्मण समाज एक ऐसा बुद्धिजीवी है जिसके बारे में ये पता लगाना मुश्किल है कि वो किस पार्टी में जाएगा. ब्राह्मण कहां जाएगा, कैसे जाएगा, किस रूप में जाएगा, कब किसको धोखा दे देगा ये भी किसी को पता नहीं. इसलिए, चाहे जितना भी सम्मेलन किया जाए, चाहे जितना भी प्रलोभन दिया जाए ब्राह्मण समाज अपने विवेक से फैसला लेगा. उन्होंने कहा कि ब्राह्मण समाज में कई तरह के लोग हैं जैसे तिवारी हैं, दुबे और चौबे. इन्हीं लोगों में संबंध नहीं है, जब अपनी बिरादरी में संबंध नहीं हैं तो दूसरी बिरादरी में कैसे होंगे, दूसरे को जिताने की बात कैसे कहेंगे. अगर ब्राह्मण भूलेगा तो ये उसकी गलती होगी. जब चुनाव आता है तब इस प्रकार से फूट डालो और राज करो की राजनीति होती है. हाथी किस करवट बैठेगा, कहा नहीं जा सकता. यदि ब्राह्मणों में एकता होती, एकता कर लेते तो राजनीति को जिधर चाहते उधर बदल सकते थे. ब्राह्मण को जहां पर वोट करना होगा वो कर देगा. 


ब्राह्मण को खुश करने में लगी हुई हैं पार्टियां
तपस्वी छावनी के परमहंस आचार्य ने कहा कि ये प्रबुद्ध वर्ग है. सृष्टि के आरंभ से लेकर के अभी तक ब्राह्मण  सभी का शुभचिंतक रहा है. सभी वर्गों के लिए हमेशा ईश्वर से आराधना करता रहा है. आज यही कारण है कि सभी राजनीतिक पार्टियां अपने सियासी लाभ के लिए ब्राह्मण को खुश करने में लगी हुई हैं. लेकिन, ये सच है जितनी भी पार्टियां हैं चाहे सत्ता पक्ष हो या विपक्ष हो, ब्राह्मणों का दमन सभी ने किया है. अगर बात करें बसपा की तो बसपा वही है जिसने का था मिले मुलायम-कांशीराम हवा में उड़ गए जय श्री राम. तिलक-तराजू और तलवार इनको मारो जूते चार. ये क्या प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन करेंगे और कैसे इनसे प्रबुद्ध लोग जुड़ेंगे, भगवान ही मालिक है. उन्होंने कहा कि देश के लिए त्याग ब्राह्मणों ने किया है. हालांकि, भारतीय जनता पार्टी ने भी ब्राह्मणों के लिए कोई अच्छा काम नहीं किया है लेकिन फिर भी ब्राह्मण देशहित में भाजपा को चुनाव में समर्थन कर रहे है.



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