Ayodhya Ramlala Statue: नेपाल (Nepal) की कृष्णा गंडकी नदी से रामलला की मूर्ति बनाने के लिए लाई गई शालिग्राम शिलाओं के बाद अब कर्नाटक (Karnataka) से भी आरकोट स्टोन की दो शिलाएं अयोध्या (Ayodhya) लाई गईं हैं. इन्हें भी शालिग्राम शिलाओं के बगल राम कारसेवकपुरम में रखा गया है. इसी तरह कांची और ओडिशा से भी रामलला (Ramlala Statue) की मूर्ति निर्माण के लिए शिलाएं अयोध्या लाई जा रही हैं. इन सभी की टेस्टिंग के बाद ये तय किया जाएगा कि आखिर रामलला की मूर्ति किस शिला की बनेगी.


रामलला की मूर्ति के लिए अभी ओडिशा और कांची से भी पत्थर लाए जा रहे हैं जिसके बाद पत्थर की जांच कर चयन किया जाएगा, लेकिन ये तय है कि इन सभी शिलाओं को राम मंदिर में कहीं न कहीं स्थान दिया जाएगा. वहीं नेपाल से आई शिलाओं की टेस्टिंग में यह पता चला है कि इसकी आयु लाखों वर्ष है और इस पर किसी भी केमिकल का कोई असर नहीं होगा. यह बात अलग है कि यह शालिग्राम शिलाएं अन्य पत्थरों की अपेक्षा अधिक कठोर है, ऐसे में मूर्तिकार को इन शिलाओं से मूर्ति बनाने में खासी मशक्कत करनी होगी. 


शिलाओं की टेस्टिंग के बाद होगा अंतिम फैसला


अयोध्या के श्री राम जन्मभूमि मंदिर में रामलला की मूर्ति किन पत्थरों से तैयार होगी इसको लेकर अभी भी ऊहापोह की स्थिति है. जनवरी 2024 में रामलला अपने मंदिर के गर्भगृह में विराजमान हो जाएंगे इसलिए उनकी मूर्ति बनाने के लिए ट्रस्ट सारे विकल्प खुले रखना चाहता है. यही वजह है कि नेपाल से लाई गई शालिग्राम शिलाओं के बाद बुधवार को कर्नाटक से आरकॉट स्टोन की दो शिला लाई गई हैं, यही नहीं कांची और ओडिशा से भी शिलाओं को अयोध्या लाया जा रहा है. इन सभी शिलाओं की एक साथ टेस्टिंग के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा. 


विश्व हिन्दू परिषद केंद्रीय संयुक्त मंत्री राजेंद्र सिंह पंकज ने कहा कि जैसे दक्षिण भारत में काले रंग के पत्थर की मूर्ति बनती है. वहां आरकोट स्टोन होता है. वहां ज्यादातर मूर्ति इस पत्थर से बनती है इसलिए वहां से भी शिला आ रही हैं. अभी कर्नाटक से दो शिलाएं आई हैं. कांची और ओडिशा से भी शिलाएं लाई जा रही हैं. मूर्तिकार इनका आंकलन करके कि किस पत्थर में अच्छा स्वरूप निकल सकता है उसका फैसला करेंगे. हालांकि ये तय है कि इन सभी शिलाओं का राम मंदिर में इस्तेमाल होगा और सबको श्रद्धा के साथ स्थापित किया जाएगा. 


शालिग्राम शिला बनी वीएचपी की पहली पसंद


राजेंद्र पंकज ने कहा कि रामलला की मूर्ति बनाने के लिए भले ही अलग-अलग स्थानों से स्टोन लगाए जा रहे हों लेकिन रामलला की मूर्ति निर्माण के लिए अभी तक नेपाल से लाए गए शालिग्राम पत्थर ही पहली पसंद है. नेपाल से इन पत्थरों को इस भावना से लाया गया कि ये विष्णु के अवतार हैं और अगर इनसे रामलला के बाल स्वरूप की मूर्ति बनाई जाएगी तो वो स्वयं भगवान की मूर्ति की स्थापना होगी. वहीं नेपाल से अयोध्या पहुंचने तक जिस प्रकार उसका पूजन और लोग उमड़े ये सब भी विहिप समेत मंदिर निर्माण से जुड़े सभी के जहन में है. त्रेता युग में नेपाल से मां जानकी जी विवाह के बाद आईं थीं और अब शालिग्राम शिला से प्रभु राम की मूर्ति बनना ये अपने आप में इतिहास होगा.


रामलला की मूर्ति के लिए नेपाल से लाया गया पत्थर ही पहली पसंद है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि वीएचपी नेता ने इशारों में सारी बात कह दी है. उनका कहना है कि नेपाल से लाया गया पत्थर लाइट ग्रे पत्थर है इसकी आयु अनंत काल की है. इस पर केमिकल का कोई असर नहीं होगा. अभी तक इस पत्थर की जितनी आयु है उसके समकक्ष का कोई भी पत्थर रामलला की मूर्ति बनाने के लिए निकलकर सामने नहीं आया है. 


सभी पत्थरों का मंदिर में होगा इस्तेमाल


आपको बता दें कि श्री राम जन्मभूमि मंदिर में मूर्ति निर्माण के लिए बहुत सारे शिला खंडों की जरूरत पड़ने वाली है गर्भगृह में विराजमान होने वाले रामलला की मूर्ति के अतिरिक्त प्रथम तल पर राम दरबार की भी स्थापना की जाएगी. जिसमें भी पत्थरों से अलग-अलग मूर्तियां बनाई जानी है. इसीलिए जिन पत्थरों का उपयोग रामलला की मूर्ति बनाने के लिए होगा इसके अतिरिक्त लाए जा रहे पत्थरों से राम दरबार और अतिरिक्त मूर्तियों की स्थापना होगी. यही मूर्तियां राम मंदिर परिसर के चारों तरफ बनाए जाने वाले परकोटे के भीतर अन्य मंदिरों में स्थापित की जाएंगी.


राम मंदिर में स्थापित होने वाली मूर्तियों में निषाद राज, जटायु, शबरी समेत कई मंदिर होंगे. फिलहाल किन पत्थरों से कौन सी मूर्ति तैयार की जाएगी इस बारे में शीघ्र ही विशेषज्ञों की एक टीम अयोध्या आएगी और सारे स्थानों से आए हुए पत्थरों का निरीक्षण करेगी और उसी के बाद कोई अंतिम निर्णय लिया जाएगा मगर सूत्रों की माने तो राम मंदिर ट्रस्ट की पहली पसंद अभी भी नेपाल से लाए गए शालिग्राम पत्थर हैं जिनसे रामलला की मूर्ति बनाए जाने की अटकलें भी तेज है. 


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