Ayodhya: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) स्थित प्रभु श्री राम (Lord Shri Ram) की जन्म स्थली अयोध्या (Ayodhya) में भव्य मंदिर का निर्माण जोरशोर से चल रहा है. इस मंदिर में एक जगह ऐसी भी है, जहां मूर्ति नहीं है फिर भी रोजाना सुबह शाम पूजा-अर्चना और आरती होती है, इसके बाद प्रसाद का वितरण भी होता है. इस स्थान की इतनी मान्यता है कि स्वंय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी यहां सिर झुका कर पूजन अर्चन करते हैं. यहां मूर्ति के स्थान पर केवल एक स्तंभ है, जिस पर श्री राम की पताका लहरा रहा है. 


श्री राम जन्मभूमि परिसर में स्थित रामलला के गर्भ में 23 दिसंबर 1949 में इसी स्थान पर रामलला की मूर्ति प्रकट हुई थी. हालांकि विवाद के बाद इस स्थान को बंद कर ताला लगा दिया गया था और ये मामला अदालत में पहुंच गया था. 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचे को ध्वस्त कर बांस बल्लियों से बनाए गए अस्थाई मंदिर में तिरपाल के नीचे रामलला का पूजन अर्चन शुरू हुआ. अलग-अलग अदालतों में लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019 को अपना फैसला सुनाया. कोर्ट के फैसले के बाद 5 अगस्त 2020 को पीएम नरेंद्र मोदी ने इसी स्थान पर भूमि पूजन और अनुष्ठान किया. इस दौरान उन्होंने यज्ञ कुंड की मिट्टी अपने माथे से लगाई थी


गर्भ गृह में पूजा अर्चन के समय नहीं होते हैं भक्त


पीएम नरेंद्र मोदी अगले वर्ष 15 जनवरी से 22 जनवरी के बीच किसी भी दिन दोबारा इसी स्थान पर पूजन अर्चन करते हुए दिखाई देंगे. श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के समय गर्भ गृह में मौजूदा समय में केवल एक स्तंभ है, जिस पर रामलला की पताका लगी हुई है. मंदिर निर्माण के समय जब रामलला की मूर्ति अस्थाई मंदिर में शिफ्ट की गई और वही पूजन अर्चन शुरू हुआ. अस्थाई शिफ्टिंग के बाद उस स्थान पर एक पताका स्तंभ लगा दिया गया. उस स्थान पर रामलला की मूर्ति हटने के बावजूद मंदिर के पुजारी प्रतिदिन सुबह-शाम पूजा पाठ और आरती करते हुए भगवान का भोग लगाते हैं. हालांकि इस पूजा अर्चन के दौरान वहां भक्त नहीं होते हैं.


जानें क्यों की जाती है उस स्थान पर पूजा?


श्री राम जन्मभूमि मंदिर मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि ट्रस्ट के जरिए यह तय हुआ कि वह मूर्ति भले हट गई हो और अस्थाई मंदिर में मूर्ति की पूजा हो रही हो, लेकिन उस भूमि की पूजा कभी बंद नहीं होनी चाहिए. इस विचार के बाद उस स्थान पर एक स्तंभ झंडा लगा दिया गया.  जहां पर भगवान श्री राम विराजमान थे, 23 दिसंबर 1949 से 6 दिसंबर गिरने के बाद उसी जगह से जब यह हटाए गए तो उसी जगह झंडा गाड़ा गया. उन्होंने बताया कि इस दौरान ये तय हुआ कि यहां पर दोनों टाइम पूजा और आरती होगी, उस जगह पर आज भी प्रतिदिन सुबह-शाम पूजा होती है. वह जगह पवित्र है और जहां भगवान को विराजमान होना है और मंदिर बन रहा है, उस स्तंभ और झंडे की पूजा होती है. ऐसा इसलिए होता है कि पूजा कभी बंद ना हो रामलला के वहां से हटने के बाद भी भूमि की पूजा वहां लगातार चलती रही है. आगे भी चलती रहेगी जब तक की भगवान रामलला वहां स्थापित नहीं हो जाते हैं और पूजा शुरू नहीं हो जाती तब तक वहां पर निरंतर पूजा चलती रहेगी.


रामलला के प्राण प्रतिष्ठित करने तक यहां की जाएगी पूजा


जनवरी 2024 में रामलला अपने अस्थाई मंदिर से इसी स्थान पर बने गर्भ गृह में भव्य अनुष्ठान के बीच प्राण प्रतिष्ठित किए जाएंगे. जब तक प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम नहीं होता और पूजन अर्चन शुरू नहीं होती, तब तक प्रतिदिन इस स्थान पर पूजन अर्चन और आरती होती रहेगी. श्री राम जन्मभूमि परिसर में स्थित गर्भगृह ही वह स्थान है, जिसे सबसे अधिक पवित्र माना जाता है और इसकी सबसे अधिक महत्ता है. इस स्थान की महत्ता और पूजा पद्धति को लेकर बताया कि श्री राम जन्मभूमि मंदिर मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि उस स्थान पर पूजा सामग्री लेकर जाते हैं. वहां प्रतीक के रुप में स्तंभ है जिस पर झंडा लगा है, उसी स्थान पर पहले जल देने के बाद स्नान कराते हैं और फिर चंदन लगाते हैं. उन्होंने कहा इसके बाद उस स्थान पर दीप जला कर प्रसाद का भोग लेते हैं. वहां पर पंचोपचार पूजा होती है यानि पांच प्रकार की पूजा होती है, उस स्थान पर जहां रामलला विराजमान होने वाले हैं.


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