2005 अयोध्या आतंकी हमला: 14 साल बाद आया फैसला, 4 आरोपियों को आजीवन कारावास
अयोध्या में हुए आतंकी हमले मामले में 14 साल बाद आज फैसला आया। इस मामले में प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल में बनाई गई अस्थाई अदालत ने चार लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। कोर्ट ने 20 हजार का जुर्माना भी लगाया है।
प्रयागराज, एबीपी गंगा। अयोध्या के राम जन्मभूमि परिसर में साल 2005 में हुए आतंकी हमले के मामले में प्रयागराज की स्पेशल कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने चार आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। 14 साल बाद इस हमले में दोषियों पर 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। गौरतलब है कि आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा द्वारा कराए गए इस हमले में पांच आतंकवादी मारे गए थे। एक टूरिस्ट गाइड समेत एक अन्य की भी जान चली गुई थी। जबकि हमले में सीआरपीएफ व पीएसी के सात जवान गंभीर रूप से जख्मी हुए थे।
नैनी सेंट्रल जेल में बनाई गई अस्थाई अदालत
सुरक्षा कारणों से इस मामले का फैसला प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल में अस्थाई अदालत बनाई गई थी। स्पेशल जज दिनेश चंद्र की कोर्ट ने इस मामले पर फैसला सुनाया। हमले की जांच कर रही टीम ने इस मामले में पांच आतंकियों को गिरफ्तार किया था। इनमें दिल्ली के साकेत नगर में क्लीनिक चलाने वाला सहारनपुर का डॉ. इरफ़ान मास्टर माइंड है, जबकि बाकी चार लोग जम्मू- कश्मीर के पुंछ जिले के मेंडर इलाके के रहने वाले हैं। लश्कर-ए- तैयबा ने यह हमला विवादित ढांचे को गिराने और बाबरी मस्जिद की घटना का बदला लेने की नीयत से कराया था। उम्मीद जताई जा रही है कि अदालत आज सिर्फ गिरफ्तार पांचों आतंकियों के दोषी होने या नहीं होने पर फैसला सुनाएगी और दोषी साबित होने पर इन्हें दी जाने वाली सजा बाद में तय करेगी।
पांच आतंकियों पर 2006 में तय हुए थे आरोप
5 जुलाई साल 2005 में हुए इस हमले में गिरफ्तार पांचों आतंकियों डॉ. इरफान, आसिफ इकबाल उर्फ फारूक, शकील अहमद, मोहम्मद अजीज व मोहम्मद नसीम पर फैजाबाद की अदालत ने आईपीसी की धारा 147,148, 149, 307, 302, 353, 153, 153 A, 153 B, 295, 120 B के साथ ही 7 क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट, अनलॉफुल अमेंडमेंट एक्ट की धारा 16, 18, 19, 20 व पब्लिक प्रापर्टी डैमेज एक्ट की धाराओं में आरोप तय किए गए थे। गिरफ्तार आतंकियों पर ये आरोप 19 अक्टूबर, 2006 को तय किए गए थे।
दिसंबर 2006 में प्रयागराज ट्रांसफर हुआ मामला
हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर आठ दिसंबर, 2006 को यह मुकदमा फैजाबाद से प्रयागराज ट्रांसफर कर दिया गया। प्रयागराज डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के स्पेशल जज अतुल कुमार गुप्ता ने दो साल पहले मार्च महीने में इस मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया था। हालांकि जजमेंट रिजर्व होने के बाद मामले के फिर से सुनवाई की गई। करीब 14 सालों तक चले इस संवेदनशील मुकदमे की पूरी सुनवाई प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल में बनाई गई स्पेशल कोर्ट में ही हुई। मुकदमे की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से 57 गवाह पेश किए गए।
क्या हुआ था 5 जुलाई, 2005 को?
5 जुलाई, 2005 को ये हमला हुआ, रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद कॉम्पल्केस में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम थे। इसके बावजूद लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी इस हमले को अंजाम देने में कामयाब रहे। जानकारी के मुताबिक, सभी आतंकी नेपाल के रास्ते भारत में दाखिल हुए थे। ये आतंकी बतौर भक्त अयोध्या में घुसे थे। जिसके बाद इन्होंने पूरे इलाके की पहले रेकी की। टाटा सूमो से ही ये सफर करते रहे। हमले से पहले इन्होंने राम मंदिर के दर्शन भी किए थे। टाटा सूमो में ही सवार होकर ये आतंकी राम जन्मभूमि परिसर में दाखिल हुए थे और सुरक्षा घेरे तोड़ते हुए वहां ग्रेनेड फेंककर हमला किया। हालांकि, सुरक्षाबलों ने एक घंटे की भीतर ही सभी आतंकियों को मार गिराया।