हिंदू धर्म के प्रमुख धार्मिक पर्यटक स्थलों में से एक अयोध्या है. यह पवित्र नगरी भगवान राम की जन्मस्थली है. अयोध्या मंदिरों का शहर है यहां हर साल लाखों पर्यटक घूमने आते हैं. भगवान राम की जन्मस्थली होने के कारण इस शहर को मोक्षदायिनी नगर माना जाता है.
सरयू किनारे बसा अयोध्या भारत के प्राचीन शहरों में से एक है प्राचीन काल में इसे कौशल के नाम से जाना जाता था. अगर आप भी इस खूबसूरत शहर घूमना चाहते हैं तो अपने टूरिस्ट प्लेस की लिस्ट में इन स्थानों के नाम शामिल कर लिजिए.
कनक भवन
राम जन्म भूमि के उत्तरपूर्व की तरफ कनक भवन स्थित है. इस भवन को लेकर ऐसी मान्यता है कि माता कैकेयी ने भगवान राम और देवी सीता को यह भवन उपहार में दिया था. इस भवन का जीर्णोद्धार राजा विक्रमादित्या और बाद के समय में भानु कुंवारी ने कराया था. इस भवन को सोने का घर भी कहा जाता है. यहा भगवान राम और देवी सीता की प्रतिमा स्थापित है.
हनुमान गढ़ी
भगवान हनुमान को समर्पित यह मंदिर अयोध्या रेलवे स्टेशन से तकरीबन एक किलोमीटर दूर स्थित है. इस मंदिर का निर्माण राजा विक्रमादित्य ने कराया था. इस मंदिर की चोटी तक पहुंचने के लिए 76 सीढ़ियों पर चढ़ना होगा. यहां भगवान हनुमान के अलावा उनकी माता अंजनी और भगवान राम की प्रतिमा भी स्थापित है.
गुलाब बाड़ी
इस स्थान पर नवाब शुजा उद दौला का मकबरा स्थित है. यहां विभिन्न प्रजातियों के गुलाब लगे हुए हैं. गुलाबों को पानी देने के लिए फव्वारे लगाए गए हैं. नवाब शुजा उद दौला का मकबरे की वास्तुकला हिंदू और मुगल शैली को व्यक्त करती है.
त्रेता के ठाकुर
नया घाट के पास स्थित त्रेता के ठाकुर मंदिर में भगवान राम, देवी सीता, लक्ष्मण, भरत, सुग्रीव और हनुमान की प्रतिमा स्थापित है. ये प्रतिमाएं काले बलुआ पत्थरों से बनाया गया है. इस मंदिर का निर्माण 300 साल पहले राजा कुल्लू ने करवाया था. पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान राम ने अश्वमेघ यज्ञ इसी स्थान पर किया था. इस मंदिर का जीर्णोद्धार 17वीं शताब्दी में रानी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था.
बहु बेगम का मकबरा
बहु बेगम के मकबरे को पूर्व का ताजमहल कहा जाता है. यह मकबरा नवाब शुजा-उद-दौला की पत्नी बेगम उन्मतुजोहरा बानो का है. इस मकबरें पर मुगलकालीन स्थापत्य कला नजर आती है. इस मकबरें पर तीन गुंबद हैं जो जटिल संरचनाओं से बने हुए हैं. 1816 में बने इस मकबरें को बनवाने में तीन लाख रूपये की लागत आई थी.
सीता की रसोई
सीता की रसोई श्रीराम जन्मभूमि से उत्तर-प्रश्चिम में स्थित है. इस मंदिर को एक रसोई का रूप दे दिया गया है. ऐसा माना जाता है की देवी सीता इसी स्थान पर खाना बनाती थीं. इसके अलावा यहां भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघन की प्रतिमाएं स्थापित हैं.
तुलसी स्मारक भवन
यह भवन गोस्वामी तुलसीदास को समर्पित है. इसका निर्माण साल 1969 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल विश्वनाथ दान ने करवाया था. इस भवन में एक विशाल पुस्तकालय भी है इसके अलावा यहां एक अनुसंधान केंद्र भी है साल 1988 में यहां एक संग्रहालय स्थापित किया गया.
जैन श्वेताम्बर मंदिर
यह मंदिर जैन धर्म के लिए खास है. अयोध्या जैन धर्म के पांच तीर्थकरों की जन्मस्थली है. अयोध्या के रायगंज में ऋषभदेन की 31 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित है.
बिड़ला मंदिर
इस मंदिर का निर्माण बिड़ला समूह ने करवाया था. यह मंदिर भगवान श्रीराम और देवी सीता को समर्पित है. मंदिर की वास्तुकला स्थापत्य कला का अद्भुत नजारा है.
नागेश्वर मंदिर
यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री राम के पुत्र कुश ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था. 1750 में इस मंदिर का जीर्णोद्धार सफरगजंग के नवाब के मंत्री नवल राय ने करवाया था. शिवरात्रि के दिन यहां शिवभक्तों का जमवाड़ा लगता है.
यह भी पढ़ें
Hastinapur: महाभारत काल के मिलते हैं अंश, हिंदू, सिख और जैन तीनों धर्मों का है पवित्र स्थल