उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के अयोध्या (Ayodhya) में रामलला के मंदिर (Ramlala temple) के निमित्त गर्भ गृह का शिला पूजन 1 जून को किया जाना है जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य राम जन्मभूमि परिसर (Ram Janmabhoomi) में रामलला के गर्भ गृह का प्रथम शिला पूजन करेंगे. महापीठ (गर्भ ग्रह के पीछे की दीवाल ) से गर्भ गृह का निर्माण शुरू होगा. इसके लिए पांच दिवसीय अनुष्ठान राम जन्मभूमि परिसर में चल रहा है.


कबतक पूरा होगा प्लिंथ निर्माण
1 जून को सुबह 9:00 बजे से नक्काशीदार पत्थरों से रामलला के गर्भ गृह का निर्माण शुरू किया जाएगा. 2 वर्षों में रामलला के मंदिर की बुनियाद और प्लिंथ(कुर्सी) का निर्माण किया गया है. प्लिंथ का निर्माण मात्र गर्भगृह स्थल पर ही पूरा हुआ है. इसे संपूर्ण मंदिर प्रांगण में सितंबर तक पूरा होने की उम्मीद है लेकिन गर्भ गृह स्थल से ही मंदिर के गर्भ गृह का निर्माण शुरू किया जाएगा और जैसे-जैसे प्लिंथ का निर्माण होता जाएगा वैसे-वैसे गर्भ गृह मंदिर परिसर के निर्माण की प्रगति गति पकड़ती जाएगी.


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ट्रस्ट के महासचिव ने क्या बताया
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया, मंदिर नक्काशीदार पत्थरों से बनेगा. हल्के गुलाबी रंग का बलुआ पत्थर है. 2 दिन बाद 1 जून बुधवार 2022 प्रातः काल 9:00 से 11:00 तक नक्काशी दार पत्थरों को गर्भ गृह के चारों ओर स्थापित करना प्रारंभ करेंगे. अभी तक 2 वर्ष में मंदिर की नींव बनी है और मंदिर का फर्श ऊंचा किया गया है. मंदिर की कुर्सी यह अंग्रेजी में कहें तो मंदिर के प्लिंथ का काम अभी पूरा नहीं हुआ है. 


ट्रस्ट के महासचिव ने आगे कहा कि, अभी जून का महीना है हो सकता है यह सितंबर तक चले. तबतक पूरे मंदिर की प्लिंथ तैयार हो जाएगी. गर्भ गृह की जितनी प्लिंथ की आवश्यकता थी इतनी बन गई है. इसलिए गर्भगृह से यानी कि मंदिर के पश्चिमी कोने से नक्काशीदार पत्थरों का इंस्टॉलेशन प्रारंभ करेंगे. उसकी तैयारी ठीक से चल रही है. पत्थर में जिन्होंने नक्काशी की है वे सभी वेंडर उनके कारीगर अयोध्या आ गए हैं और 2 दिन से नाप तौल कर रहे हैं.


ट्रस्ट के महासचिव ने बताया, रामलला का गर्भगृह 20 फुट चौड़ा और 20 फुट लंबा होगा. गर्भगृह की बाहरी दीवाल 6 फुट मोटी होगी और गर्भ गृह के ठीक पीछे की दीवाल जिसे महापीठ कहा जाता है उसी दीवाल के प्रथम शिला का पूजन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे. सभी संतो की मौजूदगी में शास्त्र सम्मत बहुप्रतीक्षित रामलला के गर्भगृह का निर्माण शुरू हो जाएगा.


चंपत राय ने बताया, गर्भगृह के पीछे वाले हिस्से को ही पीठ कहा गया है. यह तकनीकी भाषा है. यह भाषा किसी को समझ में नहीं आएगी. जो पत्थरों के मंदिर की शास्त्रीय शब्दावली को जानते हैं यह उन्हीं का विषय है. इसमें अन्य किसी को उलझाने की आवश्यकता नहीं है. वह भ्रमित हो सकते हैं. 


ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया, रामलला के भक्तों को अभी रामलला को उनके भव्य गर्भगृह में विराजमान देखने के लिए थोड़ा और इंतजार करना पड़ेगा. पहले दिसंबर 2023 की समय सीमा तय की थी. जब रामलला अपने भव्य मंदिर के गर्भगृह में राम भक्तों को दर्शन देंगे लेकिन खरमास लगने के कारण और शुभ तिथि ना मिलने की वजह से अब जनवरी 2024 के महा संक्रांति के बाद श्री राम लला भव्य मंदिर में विराजमान होंगे. मंदिर निर्माण तेजी के साथ किया जा रहा है.


चंपत राय ने बताया, दिसंबर 2023 सूर्य दक्षिणायन में रहेंगे. सूर्य देवता 1 वर्ष में आधा काल उत्तरायण में और आधा वर्ष दक्षिण में रहते हैं. मकर संक्रांति 2024, 14 जनवरी या 15 जनवरी से सूर्य देवता उत्तरायण में आ जाते हैं. यानी पूरब से पश्चिम जाने का मार्ग धीरे-धीरे उत्तर दिशा की ओर होने लगता है. सभी प्रकार के श्रेष्ठ कामों के लिए उत्तरायण का कार्य ठीक माना जाता है. इसलिए जो सत्येंद्र दास जी ने जनवरी 2024 बोला है वह शास्त्रीय दृष्टि से बोला है. हमने सब को समझ में आ जाय इसलिए 2023 बोला है लेकिन सूर्य जब उत्तरण में आ जाएंगे तब.


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