(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Ayodhya News: तपस्वी छावनी के नए महंत को लेकर बढ़ा विवाद, दोनों दावेदार होंगे आमने-सामने, प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती
UP News: संत परमहंस के समर्थन को लेकर अयोध्या हनुमानगढ़ी से जुड़े साधु खुलकर सामने आ गए हैं तो वहीं संतों का दूसरा गुट दूसरे दावेदार महंत पद के लिए दिलीप दास का समर्थन कर रहा है.
Uttar Pradesh News: यूपी के अयोध्या (Ayodhya) में तपस्वी छावनी (Tapasvi Chawni) के नए महंत की ताजपोशी को लेकर विवाद लगातार बढ़ रहा है. आने वाली 12 सितंबर की तारीख इस लिहाज से सबसे संवेदनशील होगी जब दोनों गुट महंत पद को लेकर एक दूसरे के आमने-सामने होंगे. दरअसल 12 सितम्बर को तपस्वी छावनी के महंत पद के दावेदार संत परमहंस को नए महंत के तौर पर कंठी चादर और भंडारा होना है. वही उसी समय 12 सितंबर को ही महंत पद के दूसरे दावेदार दिलीप दास जो गुजरात के अहमदाबाद स्थित जगन्नाथ मंदिर से जुड़े हैं उनका भी महंत पद पर आसीन होने के लिए कंठी चादर होनी है.
पुलिस-प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती
दरअसल, संत परमहंस के समर्थन को लेकर अयोध्या हनुमानगढ़ी से जुड़े साधु खुलकर सामने आ गए हैं तो वहीं संतों का दूसरा गुट दूसरे दावेदार महंत पद के लिए दिलीप दास का समर्थन कर रहा है इसलिए 12 सितंबर की तारीख अयोध्या पुलिस प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गई है. इसको लेकर दोनों गुट अधिकारियों से सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने को लेकर मिल रहे हैं. गुरुवार को भी हनुमानगढ़ी के नागा साधु संत परमहंस के समर्थन में डीआईजी, डीएम और एसएसपी से मिले. ये लोग दिलीप दास को बाहरी बताकर उनकी महंती का विरोध कर रहे हैं.
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हनुमानगढ़ी के महंत ने क्या कहा
हनुमानगढ़ी के महंत माधव दास ने कहा हम लोग डीएम, कमिश्नर और एसएसपी तीनों अधिकारियों के यहां प्रार्थना पत्र देने के लिए आए थे कि परमहंस जी के गुरुजी सर्वेश्वर दास के भंडारा में कुछ उपद्रवी तत्व दखलंदाजी न करें, उन्होंने हमारा प्रार्थना पत्र बहुत प्रेम से स्वीकार किया है.
हनुमानगढ़ी के दूसरे महंत ने क्या कहा
हनुमानगढ़ी के महंत बलराम दास ने कहा, किसी की जमीन को कब्जा कर लेने और मंदिर को कब्जा कर लेने कि एक परंपरा चल रही है. मंदिर गुरु का होता है साधु का नहीं होता. यह गुरु की संपत्ति होती है, भगवान की संपत्ति होती है और भगवान की संपत्ति का बर्बाद होना साधु के लिए बहुत गलत बात है. परमहंस जी सर्वेश्वर दास जी की सेवा हमेशा कर रहे थे आज भी वही रह रहे हैं. किसी बाहरी को लाकर पटक दिया जाएगा? हम साधु समाज महंत पैदा नहीं करते? जो सेवा करता है वही महंत बनता है. ऐसे लोग महंत बनेंगे तो बुजुर्ग होने पर किसी महंत को एक गिलास पानी नहीं मिलेगा इसलिए सभी साधुओं से यही अपील है कि जो सेवा किया है उसी को निर्बाध रूप से महंत माना जाए और महंत बनाया जाए.