Uttar Pradesh News: अयोध्या (Ayodhya) में रामलला (Ramlala) के भव्य मंदिर (Ram Mandir) में विराजमान होने के पहले लोगों तक संघर्षों और बलिदानों की गाथा पहुंच जाएगी. यह पूरी गाथा तीन नंबरों के कोड में छुपी है, जिसको रामलला के गर्भगृह में विराजमान होने के 1 माह पूर्व यानी दिसंबर 2023 में डिकोड कर दिया जाएगा, यह कोड है 695 जिसका हर नंबर एक पूरी की पूरी कहानी अपने अंदर छुपाए हुए है. आप भी जानिए यह कोड क्या है और इसके पीछे छिपी पूरी कहानी क्या है. खुद श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय कहते हैं कि फिल्म की पूरी यूनिट ने रामलला के श्री राम जन्मभूमि मंदिर में विराजमान होने के पहले फिल्म रिलीज करने की बात कही है तो ऐसा होना ही है, क्योंकि हमें उन पर विश्वास करना होगा.


कोड 695 और उसके पीछे की कहानी
तीन अंकों के इस कोड के पीछे कई दशकों नहीं बल्कि सदियों की कहानी छुपी हुई है और हर अंक खुदबखुद अपनी ऐसी कहानी बयां कर रहा है, जो आपको रुला भी देगी और साथ ही साथ रोमांचित भी कर देगी. सबसे पहले 6 का मतलब है 6 दिसंबर 1992 जब बाबरी ढांचा विध्वंस हुआ था, अब दूसरा नंबर 9 इसका मतलब 9 नवंबर 2019 जिस दिन सुप्रीम कोर्ट से राम जन्मभूमि मंदिर के पक्ष में फैसला आया था, अब बचा आखिरी नंबर 5 तो आपको बता दे कि इस तारीख को यानि 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के पहले भूमि पूजन किया था. इस तरह अयोध्या के श्री राम मंदिर का पूरा इतिहास कोड 695 ने समेटा हुआ है.


इस पूरी फिल्म में जब रामलला अयोध्या की गुप्तार घाट में सरयू के जल में समा गए, उसके बाद किस तरह भयंकर जल प्रवाह से बड़ा नुकसान पहुंचा और उसके बाद उनके पुत्र कुश ने अयोध्या का पुनर्निर्माण किया और श्री राम का भव्य मंदिर बनवाया. इसके बाद बाबर के आदेश पर उनके सेनापति मीर बाकी ने 21 मार्च 1528 को मंदिर को ध्वस्त कराकर बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया, फिर 1813 ईस्वी में राम मंदिर को हिंदुओं को सौंप देने का अनुरोध अंग्रेज शासनकाल में हुआ. इसके बाद निर्मोही अखाड़े ने 1885 में महंत रघुवरदास ने मंदिर निर्माण की अनुमति मांगी. इसके बाद 23 दिसंबर 1949 को रामलला की प्रतिमा प्रकट हुई और पूजा अर्चना शुरू हुई, लेकिन विवाद के बाद वहां ताला लगा दिया गया.


इसके बाद 1986 में हिंदू महासभा, विश्व हिंदू परिषद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बजरंग दल ने राम मंदिर निर्माण का बीड़ा उठाया और उसके बाद 25 सितंबर 1990 को लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या के लिए रथ यात्रा निकाली. इसके बाद लालू प्रसाद यादव ने समस्तीपुर में रथयात्रा रुकवा दी और मुलायम सिंह यादव ने 30 अक्टूबर 1990 को सारी पाबंदियों को दरकिनार कर पहुंचे कारसेवकों पर गोली चलवा दी. इस फिल्म में कोठारी और जैन बंधु के राम मंदिर आंदोलन में शहीद होने और सरयू के जल को लाल होने का भी जिक्र किया गया है. 


इसके बाद 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस का भी फिल्मांकन है. इसके बाद इस फिल्म में मुकदमे का फिल्मांकन है, जिसमें सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा पेश किए गए 15 इतिहासकारों में 12 हिंदुओं के होने का जिक्र है और उनको कम्युनिस्ट और खलनायक बताते हुए राम मंदिर ना होने के उनके तर्क को बताया गया है. इसके बाद 9 सितंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा ऐतिहासिक फैसले का जिक्र है और उसके बाद 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा श्री राम जन्म भूमि मंदिर के लिए भूमि पूजन करने का दृश्य फिल्माया जाएगा. 


यह होंगे कलाकार 
इस फिल्म में रामायण के राम अरुण गोविल गुरुजी का किरदार निभाएंगे तो रघुनंदन के किरदार अशोक समर्थ शंभू दास का किरदार गोविंद नामदेव डीएम फैजाबाद बनेंगे, मुकेश तिवारी विश्वजीत प्रधान बनेंगे तारिक नाजिम बनेंगे, दयाशंकर पांडे गजेंद्र चौहान बनेंगे, जस्टिस पांडे जी के के रैना बनेंगे, आडवाणी जी कृष्णदास बनेंगे, अखिलेंद्र मिश्र इस फिल्म के निर्माता होंगे, श्याम चावला इसका निर्देशन करेंगे योगेश भारद्वाज, संगीत की बात करें तो दलेर मेंहदी और सुरेश वाडकर इस फिल्म में संगीत देंगे.


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