Ram Mandir Ayodhya: राम मंदिर बनाने में हो रहा खास तरह की लकड़ी का इस्तेमाल, जानें- किस राज्य से मंगाई जा रही
Ram Mandir in Ayodhya: राम मंदिर में 24 दरवाजे होंगे. इनको महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के बल्लारपुर की श्रेष्ठतम सागौन की लकड़ी से बनाया जाएगा. इसकी चौखट को संगमरमर के पत्थर से तराशा जाएगा.
Uttar Pradesh News: यूपी के अयोध्या (Ayodhya) में भव्य राम मंदिर (Ram Temple) का निर्माण कार्य चल रहा है. बताया जा रहा है कि दिसंबर 2023 में प्रथम तल बनकर तैयार होगा. भव्य और दिव्य मंदिर (Ram Mandir) में भगवान रामलला जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद किसी भी शुभ मुहूर्त में विराजमान होंगे. भगवान राम लला का मंदिर बंसी पहाड़पुर के पत्थरों से बनाया जा रहा है. सैकड़ो वर्षों तक इन पत्थरों की मजबूती रहती है. राम मंदिर को इस तरह से बनाया जा रहा है कि भविष्य में कभी भूकंप भी आए तो भी मंदिर को किसी तरह का नुकसान न पहुंचे. राम मंदिर की ऊंचाई 161 फिट होगी और एयरपोर्ट (Ayodhya Airport) से भी मंदिर का शिखर दिखाई देगा. अयोध्या रेलवे स्टेशन (Ayodhya Railway Station) से भी मंदिर का शिखर दिखाई देगा.
कितनी होगी मंदिर की चौड़ाई और उंचाई
अगर हम पूरे मंदिर की बात करें तो मंदिर तीन मंजिल का होगा. मंजिल की उंचाई 20 फीट होगी, कुल 161 फीट मंदिर की ऊंचाई होगी, 255 फीट मंदिर की चौड़ाई होगी, 350 फीट मंदिर की लंबाई होगी, मंदिर के 392 पिलर होंगे और 330 बीम होंगे. इसके अलावा निचली इमारत में कुल 106 खंबे होंगे. इन सभी को बड़ी मजबूती से बनाया जाएगा. राम मंदिर के किसी भी हिस्से में स्टील का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा.
मुख्य द्वार मकराना के सफेद संगमरमर से
भगवान रामलला के मंदिर में जाने के लिए कुल पांच प्रवेश द्वार होंगे. सबसे पहले सिंह द्वार होगा, दूसरा नृत्य मंडल, तीसरा रंग मंडप, चौथा कौली और पांचवा गर्भ ग्रह और परिक्रमा द्वार इसमें शामिल होगा. राम मंदिर में कुल 24 दरवाजे होंगे. इन दरवाजों को महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के बल्लारपुर की श्रेष्ठतम सागौन की लकड़ी से बनाया जाएगा. इसकी चौखट को संगमरमर के पत्थर से तराशा जाएगा. मंदिर का मुख्य द्वार मकराना के सफेद संगमरमर के पत्थर से बनाया जाएगा.
महाराष्ट्र से मंगाई गई सागौन की लकड़ी
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट कार्यालय के प्रभारी प्रकाश गुप्ता ने बताया कि, राम मंदिर में जो दरवाजे लगने हैं उनके लिए सागौन की लकड़ी का प्रयोग किया जा रहा है और यह लकड़ी महाराष्ट्र बल्लारपुर के चांदपुर से लायी जा रही है. यह लकड़ी उच्च कोटि की मानी जाती है और इस लकड़ी का चयन एक्सपर्ट ने किया है. प्रकाश गुप्ता ने बताया कि महाराष्ट्र में बल्लारपुर के चंद्रपुर एक स्थान है जहां की लकड़ी बहुत उच्च कोटि की मानी गई है. उसे ही लोगों ने चयन किया है. दरवाजों के लिए जिस जगह पर लकड़ी का प्रयोग होना है उसके लिए चयन किया गया है. कोई भी सामान मंदिर में लगता है तो पूरे देश में सबसे अच्छी चीज कहां पर है इसकी पूरी जानकारी करके एक्सपर्ट इसका चयन करते हैं, तब उसके बाद उपयोग में लाई जाती है, यह लकड़ी सागौन की है.