Ayodhya: 'हनुमान और अजान की तुलना नहीं हो सकती' रामनवमी शोभायात्रा में हुई हिंसा पर बोले विहिप के महामंत्री मिलिंद परांडे
Ayodhya News: विहिप के महामंत्री मिलिंद परांडे ने रामनवमी शोभायात्रा में हुई हिंसा को लेकर बयान दिया है. उन्होंने कहा, हिन्दुओं के ऊपर आक्रमण करना और उन्हें ही दोष देना यह बात समझ में नहीं आती.
Vishwa Hindu Parishad: विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने अयोध्या में हनुमान चालीसा और अजान जैसे संवेदनशील विषयों पर खुलकर बोला है. रामनवमी शोभायात्रा में हुए कई स्थानों पर बवाल को लेकर साफ कहा कि हिन्दुओं के ऊपर आक्रमण करना और उन्हें ही दोष देना यह बात समझ में नहीं आती. यही नहीं उन्होंने यह भी साफ किया कि सभी को एक कानून के दायरे में रहना चाहिए. एक समाज एक कानून एक देश एक विधान एक निशान सब कुछ एक होना चाहिए.
रामनवमी शोभायात्रा में हुई हिंसा पर दिया बयान
रामनवमी के अवसर पर देशभर में कई स्थानों पर शोभायात्रा के दौरान हुए पथराव और आगजनी की घटनाओं को लेकर विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे कहते हैं कि हिंदुओं के ऊपर आक्रमण करना और हिंदुओं को ही दोष देना यह बात समझ में नहीं आती. उन्होंने सवाल भी खड़ा किया कि उत्तर प्रदेश में सैकड़ों स्थानों पर शोभायात्रा निकली लेकिन कहीं कोई समस्या नहीं हुई है. यह सब बहुत कुछ कहता है.
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हनुमान चालीसा को लेकर कही ये बात
वहीं महाराष्ट्र समेत देश के कई स्थानों पर लाउडस्पीकर अजान के विरोध में हनुमान चालीसा कार्यक्रम के आयोजन को लेकर साफ कहा कि हनुमान चालीसा की तुलना अजान से नहीं की जा सकती. उन्होंने कहा, 'हनुमान जी हनुमान जी हैं' और वह सर्वोच्च हैं. अजान में तो यह कहा जाता है कि हम किसी अन्य को नहीं मानेंगे. यह चिंतन भारत में साकार नहीं हो सकता है. भारत का चिंतन है कि सभी मार्ग भगवान की तरफ लेकर जा सकते हैं. जो विचार कहता है कि हमारा ही मार्ग केवल भगवान की तरफ लेकर जाएगा यह चिंतन भारत में स्वीकार नहीं हो सकता. इसलिए हनुमान की और अजान की तुलना ही नहीं हो सकती है.
कौन है देशभक्त?
उन्होंने ये भी कहा कि, बात रामनवमी शोभायात्रा के दौरान बवाल और लाउडस्पीकर से नमाज तक पर ही सीमित नहीं है बल्कि विहिप का कहना है कि जो देश की परम्पराओं और संविधान को मानते हैं वह देशभक्त है, जो नहीं मानते उन्हें इसके बारे में सोचना चाहिए. सभी को एक कानून के दायरे में रहना चाहिए. एक समाज एक कानून एक देश एक विधान एक निशान सब कुछ एक होना चाहिए.
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