Independence Day 2022: हाथरस ही नहीं पूरा भारत देश आज आजादी के अमृत महोत्सव की 75 वी वर्षगांठ मना रहा है, जब देश फिरंगियों की जंजीरों में जकड़ा हुआ था और चारो तरफ स्वतंत्रता आंदोलन चरम पर था. तभी जनपद हाथरस में दर्जनों राष्ट्र भक्त की भावना जाग्रत हुई और उन्होंने अपने प्राणों की परवाह न कर देश की खातिर फिरंगियों से लोहा लिया. आजादी के लिये हौसले बुलन्द कर एक नारा दिया, आधी रोटी खायेगे, देश को आजाद करायेगे. इन देश भक्तों ने इस नारे को घर घर तक पहुंचाया.


जनपद के कई दर्जन नौजवान स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन में जुट गए. महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व सुनहरी लाल आजाद, पंडित तोताराम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, विनोदा भावे व जवाहर लाल नेहरू के करो मरो के नारे के साथ अंग्रेजों की यातनाएं सहने के लिए नौजवानों की फौज खड़ी कर कूद पड़े. 1942 में करो-मरो के नारे के साथ स्वंतत्रता संग्राम के आंदोलन में कूद पड़े.


पंडित तोताराम ने आजादी के आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया
जब आंदोलन चरम सीमा पर था, तभी पंडित तोताराम ने किशोरावस्था में आजादी का बिगुल फूंकते हुए अपने सहपाठियो के साथ निकटवर्ती चमरौला रेलवे स्टेशन पर रेल सेवा के साथ संचार व्यवस्था को ठप्प कर दिया और फिरंगियों की सेना से डटकर मुकाबला किया जिसमे आजाद जी के कई साथी पकड़े गये ओर गिरफ्तार कर मथुरा जेल में भेज दिया गया, लेकिन आजाद वहां से बच निकले लेकिन अन्य साथियों को कड़ी यातनाऐं सहनी पड़ी फिर पीछे नही हटे और कस्बे में स्थित बिट्रिश सरकार के सरकारी बीज गोदाम को अपने अन्य साथियों के साथ क्षति पहुंचाकर खाद्यान्न की लूट करा दी. लेकिन उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और अंग्रेजी हकूमत (सरकार) ने भारत रक्षा कानून की धारा 26 के अंतर्गत दस महीने की वामाशक्त सजा के साथ 200 रुपए का जुर्माना बोलकर जिला कारागार मथुरा में कड़ी यातनाओ के लिए डाल दिया.


बिजली कॉटन मिल पर तिरंगा झंडा फहराया था
लेकिन रगों में तो आजादी का खून हिलोरें ले रहा था. वहीं स्व पंडित तोताराम शर्मा एक सर्राफ की दुकान पर काम करने लगे. यहां इन्होंने सर्राफी भाषा, अंग्रेजी, हिन्दी, उर्दू चार भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया. इसके बाद वह कांग्रेस वार्निंग कमेटी के अध्यक्ष रहे. उसी दौरान सन 1942 में अंग्रेजों भारत छोड़ो का आंदोलन ब्रिटिश सरकार के खिलाफ पूरे भारतवर्ष में चल रहा था. हाथरस शहर में ब्रिटिश सरकार की बिजली कॉटन मिल में वह नौकरी करते थे. यहां वह मजदूरी यूनियन के नेता थे. उसी दौरान अंग्रेजो भारत छोड़ो आन्दोलन के खिलाफ इन्होंने बिजली कॉटन मिल पर ब्रिटिश सरकार के झंडे को उतार कर तिरंगा झंडा फहराया. वहीं पर इनको अरेस्ट कर लिया गया और लाठीचार्ज किया गया. वह लहूलुहान हो गये और इनको गिरफ्तार कर लिया गया. धारा 26 के अन्तर्गत नजरबंद रहे.




पंडित तोताराम ने 16 माह जेल की सजा काटी थी
सन् 13 अगस्त 1942 से 03 दिसम्बर 1943 तक जेल की सजा काटी 16 माह जेल में रहे. वहां से आकर इन्होंने दैनिक नागरिक अखबार प्रेस चालू किया जिसके संपादक खुद रहे. सन 1975 में देश की आर्यन लेडी व भारत की पूर्व प्रधानमंत्री स्व.इंदिरा गांधी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लालकिले की मीनार से स्मरणीय योगदान के लिए ताम्रपत्र देकर अलंकृत किया. देश की आजादी में  अतुलनीय योगदान कराकर स्वर्ण अक्षरों में अपना नाम अंकित कराकर हमेशा के लिए अमर हो गये.




स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिवार आज बदहाली के आंसू बहा रहे हैं
इन महान सैनानियों ने देश को अग्रेजो की बेड़ियों से आजाद कराकर देश में विकास की आज़ादी का सपना देखा था कि यहां आने वाली पीढी को उच्च शिक्षा व प्रौद्योगिकी शिक्षा के लिए अच्छे शिक्षण संस्थान, बेरोजगारो को रोजगार हेतु, औद्योगिक संस्थान,आवागमन हेतु यातायात के सुगम साधन रोड़वेज बस,रेल सेवाए आदि की मुहैया होने साथ समुचित व्यवस्था के लिए अन्य शहरों आदि में नही भटकना पड़ेगा. जिसके लिए सरकार व जनप्रतिनिधियों आदि के द्वारा विकास के नये आयाम मुहैया कराये जाएंगे, लेकिन देश आजाद होने के पश्चात आज भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिवार  अपनी बदहाली के लिए आँसू बहा रहे हैं.




पंडित तोताराम की बेटी ने कहा सम्मान से पेट नहीं भरता
उन्हें भी इंतजार है मदद का ताकि वो अपने व अपने बच्चों का भविष्य सुधार सकें. पंडित तोताराम की बेटी ने नम आखों से बताया की सम्मान तो बहुत मिला पर रोजगार नहीं. सम्मान मिलने से दिल खुश तो हो जाता है, पर पेट नहीं भरता. आजादी के अमृत महोत्सव की 75 वी वर्षगाँठ पर देश के महान स्वाधीनता संग्राम सेनानियों को हृदय की अनंत गहराइयों से शत शत नमन करते हैं.


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