(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Azam Khan News: सपा नेता आजम खान को नहीं मिली राहत, आज फिर इलाहाबाद हाईकोर्ट में होगी सुनवाई
Azam Khan News: आजम खान के परिवार को बेटे का फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट बनवाने के मामले में हाईकोर्ट से अभी तक कोई राहत नहीं मिली है. इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई जारी रहेगी.
Allahabad High Court: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम के फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई 22 अप्रैल को पूरी नहीं हो सकी. हाईकोर्ट में इस मामले में सुनवाई कल मंगलवार को भी जारी रहेगी. मंगलवार की सुनवाई दोपहर ढाई बजे से जस्टिस संजय कुमार सिंह की सिंगल बेंच में जारी रहेगी. रामपुर की स्पेशल एमपी- एमएलए कोर्ट द्वारा इस मामले में सुनाई गई थी. सात की सजा के खिलाफ आजम परिवार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दाखिल की हुई है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट में आज मोहम्मद आजम खान, उनकी पत्नी तंजीम फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम की याचिका पर सुनवाई हुई. हाईकोर्ट में आज की सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से बहस की गई. सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता पी सी श्रीवास्तव और अपर शासकीय अधिवक्ता जे के उपाध्याय ने पक्ष रखा. राज्य सरकार की ओर से अभी बहस पूरी नहीं हुई है. मंगलवार 23 अप्रैल को भी हाईकोर्ट में सुनवाई जारी रहेगी.
फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट मामले में हुई थी सजा
सपा नेता मोहम्मद आजम खान, बेटे अब्दुल्ला आजम व पत्नी तंजीन फातिमा की ओर से हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिका दाखिल की गई है. हाईकोर्ट तीनों याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई कर रही है. रामपुर की स्पेशल कोर्ट ने फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट मामले में आजम खान, उनकी पत्नी और बेटे को सात साल के साधारण कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई है.
इस मामले में रामपुर के बीजेपी विधायक आकाश सक्सेना ने रामपुर के थाना गंज में केस नंबर 4/2019 पर आईपीसी की धारा 420/467/468/47 के तहत केस दर्ज कराया था. विधायक आकाश सक्सेना की तरफ से आजम खान और उनके परिवार की याचिका का विरोध भी किया जा रहा है और अदालत से इन्हें कोई भी राहत नहीं दिए जाने की गुहार लगाई जा रही है. आजम खान की ओर से सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल बहस कर चुके हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि आज इस मामले में सुनवाई पूरी हो सकती है. सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत अपना फैसला सुना सकता है या फिर जजमेंट को रिजर्व कर सकता है.
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