ये उन दिनों की बात है...जब आजम और जयाप्रदा के बीच थी पक्की दोस्ती, फिर हुई अमर की एंट्री
जयाप्रदा और नूर बानो फिर आमने-सामने थे। कहा जाता है कि सबसे कड़वे चुनावों में से एक इस चुनाव में आजम खान ने जयाप्रदा को हराने के लिए काम किया।
रामपुर, एबीपी गंगा। रामपुर लोकसभा सीट पर सियासी जंग तेज हो गई है। एक वक्त था जब सपा नेता आजम खान और जयाप्रदा के बीच गहरी दोस्ती थी। आजम खान ही जयाप्रदा को रामपुर लाए थे लेकिन इसके पीछे उनका स्वार्थ भी बड़ा था। दरअसल, आजम खान कांग्रेस से जुड़े नवाब परिवार की राजनीतिक विरासत को चुनौती देने के लिए जयाप्रदा को रामपुर लाए थे। 2004 में जयाप्रदा ने चुनाव लड़ा और कांग्रेस की बेगम नूर को शिकस्त दी। लेकिन इसके बाद आजम और जया के रिश्तों में खटास आनी शुरू हो गई। जया अमर सिंह के कैंप में चली गईं। अमर सिंह उस समय मुलायम सिंह के बेहद करीबी साथियों में से एक थे।
आजम खान ने जयाप्रदा को हराने के लिए काम किया
समीकरण तब बदले जब अमर सिंह ने 2009 में समाजवादी पार्टी छोड़ दी थी। आम चुनावों में अमर सिंह ने रामपुर के लिए जयाप्रदा के चुनाव प्रबंधक बन गए। जयाप्रदा और नूर बानो फिर आमने-सामने थे। कहा जाता है कि सबसे कड़वे चुनावों में से एक इस चुनाव में आजम खान ने जयाप्रदा को हराने के लिए काम किया। इस चुनाव के दौरान एक नरेटिव ने आकार लिया कि नूर बानो आजम खान की उम्मीदवार हैं और जयाप्रदा को आजम खान को चुनौती देने के लिए खड़ा किया है। जया प्रदा फिर एक बार विजयी हुई। 2014 तक अमर सिंह और जयाप्रदा दोनों ने सपा छोड़ दी थी। दोनों ने राष्ट्रीय लोकदल के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा और हार गए।
बयान सुर्खियां बनते रहे आजम खान भी 2012 के विधानसभा चुनावों से पहले अपनी मूल पार्टी में लौट आए थे। आजम अपने विवादित बयानों के लिए जाने जाते हैं। सरकार में मंत्री रहते हुए भी आजम का अंदाज हमेशा सवालों के घेरे में रहा। आजम के रवैये को लेकर पार्टी में खुल कर कभी किसी ने मुखालफत नहीं की लेकिन, उनके बयान सुर्खियां बटोरते रहे। अब 2019 में भी जया और आजम के बीच पुरानी दुश्मनी सियासत का फसाना बन गई है।
छलक जाते हैं आंसू आजम खान लगातार जयाप्रदा के खिलाफ टिप्पणी कर रहे हैं, उन्हें अब तक दर्जनों बार कोस चुके हैं। आजम को अपने बोलने का खामियाजा भी भुगतना पड़ा है। उन पर चुनाव आयोग 72 घंटों का बैन भी लगा चुका है। महिला आयोग उनके बयान के खिलाफ न सिर्फ नोटिस ले चुका है बल्कि FIR दर्ज करवाने तक को बोल चुका है। ऐसे में आजम की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इन्हीं खतरों को भांप कर आजम अब जज्बाती हो रहे हैं और सियासी आंसू छलक की जाते हैं।