Azam Khan News: इस बार घर पर ही ईद मना सकते हैं आजम खान, हफ्ते भर में जेल से रिहाई की उम्मीद
Azam Khan News: सपा के कद्दावर नेता और रामपुर से विधायक आजम खान इस बार ईद का त्योहार जेल के बजाय अपने घर पर ही मना सकते हैं. आजम खान को जल्द ही जमानत मिल सकती है.
Azam Khan News: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और रामपुर से विधायक मोहम्मद आजम खान जल्द ही जेल से बाहर आ सकते हैं. बताया जा रहा है कि आजम खान इस बार ईद का त्योहार जेल के बजाय अपने घर पर ही मनाएंगे. आजम खान के खिलाफ पिछले ढाई सालों में जो 72 मुक़दमे दर्ज हुए थे, उनमें से 71 में उन्हें अलग-अलग अदालतों से जमानत मिल चुकी है, जो एक मामला बचा हुआ है, उसमे भी सुनवाई पूरी हो चुकी है और हाईकोर्ट ने अपना जजमेंट रिजर्व किया हुआ है. ज़्यादा संभावना इस बात की है कि हाईकोर्ट इस मामले में भी हफ्ते भर के अंदर अपना फैसला सुना सकता है. माना जा रहा है कि इस मामले में भी उन्हें जमानत मिल सकती है.
जल्द हो सकती है जेल से रिहाई
अगर ऐसा होता है तो आजम खान दो साल बाद ईद अपने घर पर परिवार के साथ ही मना सकते हैं. हालांकि आजम के ज्यादा दिनों तक जेल से बाहर रहने में भी पेंच फंस सकता है. फिलहाल तो उनके समर्थक इस पेंच से बेफिक्र होकर उनकी रिहाई का इंतजार कर रहे हैं. सपा विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान की मुश्किलें उनके रामपुर सीट से सांसद बनने के बाद शुरू हुई थीं. मई 2019 में सांसद बनने के बाद से उनके खिलाफ 72 मुकदमे दर्ज किये गए थे. वो पिछले 26 महीनों से जेल में बंद हैं. आजम खान की गिरफ्तारी 26 फरवरी 2020 को हुई थी. जेल जाने के बाद भी उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज होते रहे. हालांकि जिस रफ़्तार से आजम के खिलाफ मुकदमे दर्ज होते रहे, उसी रफ़्तार से उन्हें जमानत भी मिलती रही. उन्हें 72 में से 71 मामलों में जमानत मिली है, उनमें से पांच में उन्हें सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली है. इसके अलावा तकरीबन एक दर्जन मामलों में इलाहाबाद हाईकोर्ट और बाकी मामलों में निचली अदालत ने उन्हें राहत दी थी.
जानिए क्या है पूरा मामला
आजम खान अभी जिस एक मुक़दमे में सीतापुर जेल में बंद हैं, उसकी एफआईआर लखनऊ में दर्ज हुई थी. हालांकि 19 अगस्त साल 2019 को यह मुकदमा रामपुर के अजीम नगर थाने में ट्रांसफर कर दिया गया था. ये मामला केंद्र सरकार के कस्टोडियन डिपार्टमेंट की शत्रु संपत्ति और यूपी शिया वक़्फ़ बोर्ड की प्रॉपर्टी से जुड़ा हुआ है. विवाद तकरीबन 86 बीघा जमीन का है, जिसकी कीमत करोड़ों रुपयों में है. मामला 19 साल पुराना है. साल 2003 में आजम खान ने रामपुर की एक विवादित जमीन लीज पर लिए जाने के लिए आवेदन किया था. वह शत्रु संपत्ति की इस जमीन को अपनी मौलाना मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी के लिए लीज पर लेना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने केंद्र सरकार के कस्टोडियन डिपार्टमेंट के मुम्बई स्थित हेड आफिस में आवेदन किया था. मामले पर कोई फैसला होने से पहले ही यूपी शिया सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड ने साल 2007 में इस ज़मीन को वक़्फ़ प्रॉपर्टी बताते हुए इस पर मुतवल्ली की नियुक्ति कर दी थी. बाद में मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट आया. हाईकोर्ट ने साल 2011 में कस्टोडियन डिपार्टमेंट के दावे को खारिज कर उसके आदेश पर रोक लगा दी थी. ये रोक अब भी बरकरार है. साल 2012 में आजम जब एक बार फिर से यूपी के कैबिनेट मंत्री बने तो वक़्फ़ बोर्ड ने यह ज़मीन जौहर यूनिवर्सिटी के लिए लीज़ पर दे दी.
सांसद बनने के बाद बढ़ीं मुश्किलें
आजम पर मुकदमों की बौछार शुरू हुई तो अगस्त 2019 में लखनऊ के एक पत्रकार अल्लामा ज़मीर नक़वी ने उन पर मंत्री रहते हुए अपने पद का दुरुपयोग कर वक़्फ़ प्रॉपर्टी गलत तरीके से यूनिवर्सिटी के नाम कराने की शिकायत दर्ज कराई. आरोप है कि आजम ने यूपी शिया सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष वसीम रिज़वी पर दबाव बनाकर करोड़ों की इस प्रॉपर्टी को अपनी यूनिवर्सिटी के नाम करा लिया. ज़मीर नक़वी की शिकायत पर आज़म खान के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471, 447, 409, 201, 120 B के साथ ही डिस्ट्रक्शन आफ पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट के सेक्शन 3 के तहत एफआईआर दर्ज की गई. निचली अदालत से अर्जी खारिज होने के बाद आज़म खान ने जमानत के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अर्जी दाखिल की थी. जस्टिस राहुल चतुर्वेदी ने इस मामले में पिछले साल 4 दिसंबर को सुनवाई पूरी होने के बाद अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया. मामले की सुनवाई जस्टिस राहुल चतुर्वेदी की बेंच में हुई.
आजम के वकील ने कही ये बात
आजम खान के वकील सैयद सफ़दर काज़मी के मुताबिक़ कई महीने से जजमेंट रिजर्व होने के बावजूद अदालत ने अभी तक अपना फैसला नहीं सुनाया तो जल्द फैसला सुनाए जाने की अपील करते हुए कोर्ट में एक एप्लीकेशन दी गई है. आज़म खान केस के एक अन्य वकील इमरान उल्ला खान का कहना है कि उम्मीद है कि अदालत का फैसला इसी हफ्ते आ सकता है. हालांकि अगर अदालत का फैसला आज़म खान के पक्ष में आता है और जेल से उनकी रिहाई हो जाती है तो भी उनकी राह कतई आसान नहीं होगी. यूपी सरकार ने उनकी एक दर्जन मामलों में मिली जमानत निरस्त करने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर रखी है.
कम नहीं है आजम की मुश्किलें
वकील सफ़दर काज़मी के मुताबिक यूपी सरकार की इस अर्जी का आजम की रिहाई पर कोई असर पड़ने की उम्मीद नहीं है, क्योंकि कोर्ट में उनकी तरफ से जो जवाब दाखिल किया गया है, उसमे यह साफ़ तौर पर कहा गया है कि जमानत मिलने के बाद से आजम अब भी जेल में ही हैं. ऐसे में उनके द्वारा जमानत की शर्तों का उल्लंघन करने का कोई सवाल ही नहीं उठता. सरकार ने सिर्फ सियासी वजहों से जमानत निरस्त करने की अर्जियां डाली हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकील सैयद अहमद नसीम के मुताबिक चूंकि आजम खान को बाकी सभी मामलों में पहले ही जमानत मिल चुकी है, इसलिए वक़्फ़ बोर्ड मामले में भी जमानत मिलने के बाद वह जेल से बाहर आ जाएंगे.
ये भी पढ़ें-