Azam Khan Hate Speech Case: उत्तर प्रदेश (UP) में समाजवादी पार्टी (SP) के नेता आजम खान के लिए मुश्किलों का दौर लगातार जारी है. उनके ऊपर चल रहे दर्जनों मुकदमों में रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट में ट्रायल चल रहा है. हेट स्पीच मामले में बीते दिनों आजम खान को सेशन कोर्ट से दोषमुक्त कर दिया गया था. यह मामला 2019 लोकसभा सामान्य निर्वाचन के दौरान आजम खान की ओर से भड़काऊ भाषण देने का था, जिसमें उनको 3 साल की सजा सुनाई गई थी. उनकी विधानसभा सदस्यता भी चली गई थी लेकिन निचली अदालत से दोष मुक्ति के बाद अब अभियोजन विभाग ने इस मामले में हाईकोर्ट में अपील करने की तैयारी पूरी कर ली है.


अभियोजन की ओर से तैयार किए गए अपील प्रस्ताव पर जिला मजिस्ट्रेट रामपुर ने हस्ताक्षर कर संस्तुति कर दी है. अब शासन स्तर पर हाईकोर्ट में अपील करने का रास्ता साफ हो गया है. इससे कहीं न कहीं आजम खान के लिए एक बार फिर मुश्किलें बढ़ सकती हैं. इस संबंध में संयुक्त निदेशक अभियोजन शिव प्रकाश पांडे ने बताया कि साल 2019 में लोकसभा सामान्य निर्वाचन के दौरान मिलक विधानसभा में खाता नगलिया में 7/4/2019 को मोहम्मद आजम खान ने चुनावी जनसभा में एक भाषण दिया था. वह भाषण भड़काऊ था और उसमें एफआईआर पंजीकृत हुई 153ए, 505 1बी और 125 जनप्रतिनिधि अधिनियम में, जिसमें गवाह परीक्षित कराए गए 27/10/2022 को एमपी एमएलए कोर्ट एसीजेएम फर्स्ट के न्यायालय से दोष सिद्ध हुई, सभी धाराओं में तीन-तीन साल की.


24 मई को कर दिया गया था दोषमुक्त


इस आदेश के खिलाफ आजम खान की ओर से एमपी-एमएलए कोर्ट सत्र न्यायालय में अपील योजित की गई थी. अपील में बहस के उपरांत न्यायालय ने 24 मई 2023 को अपील स्वीकार करके उन्हें दोषमुक्त कर दिया गया और अभियोजन पक्ष की ओर से अपील के निर्णय को पूरी तरह से परिशीलन किया गया. कई बातों को ऐसा पाया गया कि यह लगा कि अपील अन्याय उचित है. इस आदेश के विरोध माननीय उच्च न्यायालय में अपील योजित की जानी चाहिए.


इसकी पूरी तैयारी करके सारे मैटेरियल्स को कलेक्ट कर के जो नियम अनुसार शासकीय अपील जिला मजिस्ट्रेट महोदय के माध्यम से उत्तर प्रदेश शासन को प्रेषित की जाती है और फिर एक प्रक्रिया के अनुसार शासन के स्तर से वहां से होते हुए परिशीलन के पश्चात माननीय उच्च न्यायालय में दाखिल होती है तो जिला मजिस्ट्रेट महोदय रामपुर की तरफ से उस शासकीय अपील के प्रस्ताव को कल उनकी की ओर से हस्ताक्षर बनाए गए और वह यूपी शासन को जाने के लिए प्रेक्षित हो रही है.


मामले पर निदेशक अभियोजन क्या बोले?


वहीं हाईकोर्ट में अपील पहुंचने पर पूछे गए सवाल पर निदेशक अभियोजन शिव प्रकाश पांडे ने बताया कि यहां से निकल गई है प्रक्रिया के अनुसार एक महीने के अंदर जिला स्तर से अपील को निकल जाना चाहिए तो एक महीने के अंदर यहां से प्रेषित हो जा रही है हमने जो नकल के सवाल डाले थे तो उसमें टाइम एक्सक्लूड होगा और बाकी के जो दो महीने रहते हैं वो उत्तर प्रदेश शासन से लेकर उच्च न्यायालय के जो शासकीय अधिवक्ता हैं उनके लिए हैं कि तीन महीने के अंदर उच्च न्यायालय के समक्ष में दाखिल हो जाना चाहिए. 


शिव प्रकाश पांडे ने आगे कहा कि हम लोगों ने तैयार करवा करके जिला शासकीय अधिवक्ता के माध्यम से प्रस्ताव वहां प्रेषित हुआ है, सभी लोगों ने मिलकर के तैयार कराया है तो प्रस्ताव प्रेषित हुआ है और उस प्रस्ताव के अनुसरण में अपील आगे उच्च न्यायालय में शासन की ओर से प्रेषित हो जाएगी.


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