UP Bypolls Results 2022: आजमगढ़ और रामपुर उपचुनाव में रविवार को उपचुनाव के नतीजे सामने आए. इन दोनों सीटों पर समाजवादी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है. रामपुर से बीजेपी नेता घनश्याम सिंह लोधी ने सपा नेता असीम राजा को हराया. बीजेपी के घनश्यान श्याम लोधी ने यहां 3,67,104 वोट हासिल किए जबकि सपा प्रत्याशी आसिम राजा ने 3,25,056 वोट हासिल किए. हालांकि शुरूआत के तीन राउंड की गिनती तक दोनों के बीच कड़ी टक्कर देखी गई. पहले दो राउंड तक तो सपा के आसिम राजा यहां करीब तीन हजार वोट से आगे थे. लेकिन इसके बाद तीसरे राउंड की गिनती में बीजेपी ने बढ़त बना ली. लेकिन इसके बाद समीकरण तेजी से बदले और सपा प्रत्याशी ने धीरे-धीरे करीब 15 हजार से ज्यादा वोट की लीड ली. बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में रामपुर से सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान चुनाव जीते थे. रामपुर सीट आजम का गढ़ मानी जाती है. लेकिन इस बार आजम के गढ़ में बीजेपी सेंध लगाने में कामयाब रही.
वहीं, आजमगढ़ में बीजेपी उम्मीदवार दिनेश लाल यादव 'निरहुआ' ने जीत दर्ज की. उन्होंने यहां अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को हराया. आजमगढ़ में बीजेपी प्रत्याशी दिनेश लाल यादव को 312768 वोट प्राप्त हुए, जबकि सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव को 304089 वोट मिले हैं. वहीं बसपा के शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को 266210 वोट प्राप्त हुए. आजमगढ़ लोकसभा चुनाव में अपनी जीत पर बीजेपी उम्मीदवार दिनेश लाल यादव 'निरहुआ' ने कहा, "यह आजमगढ़ की उम्मीद की जीत है. उनको (अखिलेश यादव को) पता था कि वे यहां नहीं जीत पाएंगे इसलिए वे यहां प्रचार करने नहीं आए. यह (आजमगढ़) बीजेपी का गढ़ हो चुका है, चप्पा-चप्पा बीजेपी हो चुका है." वहीं सपा उम्मीदवार और अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव ने प्रचार में न आने के सवाल पर उनका बचाव किया. उन्होंने कहा, "अखिलेश यादव का नहीं आना हार की वजह नहीं है. उनके पास जितनी क्षमता थी उन्होंने चुनाव में पूरी क्षमता के साथ मैनेज किया. उनकी पहले से ही उपचुनाव में प्रचार के लिए नहीं जाने की परंपरा है. ऐसे में मैं भाई होने के नाते ये नहीं चाहुंगा की हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष अपनी मर्यादा और परंपरा को तोड़ें."
दोनों सीटों पर हार की क्या रही वजह
रामपुर और आजमगढ़ में उपचुनाव से पहले दोनों ही सीट पर अखिलेश यादव पूरे चुनाव के दौरान कभी प्रचार करने नहीं गए. अब दोनों ही सीटों पर सपा की हार हुई है. जिसके बाद अखिलेश यादव के नहीं आने पर सवाल खड़े हो रहे हैं. हार के बाद अखिलेश यादव ने कहा कि बीजेपी के राज में लोकतंत्र की हत्या की क्रॉनॉलॉजी: -नामांकन के समय चीरहरण, -नामांकन निरस्त कराने का षड्यंत्र, प्रत्याशियों का दमन, मतदान से रोकने के लिए दल-बल का दुरुपयोग, काउंटिंग में गड़बड़ी, जन प्रतिनिधियों पर दबाव, चुनी सरकारों को तोड़ना. ये है आज़ादी के अमृतकाल का कड़वा सच!' बता दें कि आजमगढ़ जहां अखिलेश के पिता मुलायम सिंह यादव तो रामपुर आजम खान का गढ़ रहा है. आजमगढ़ पर जीत हासिल करने के लिए सपा ने पूरी ताकत झोंक दी थी. अलग-अलग राज्यों से सपा के कद्दावर नेताओं को धर्मेंद्र यादव के पक्ष में प्रचार के लिए उतारा गया था, जबकि सहयोगी दल के नेताओं ने भी उनके समर्थन में रैली की थी. हालांकि इन कोशिशों के बावजूद भी सपा को चुनाव में जीत नहीं मिल पाई.
उपचुनाव में सपा की हार पर क्या बोले शिवपाल यादव
शिवपाल यादव ने अखिलेश यादव का बिना नाम लिए कहा, "अब सबको जनता का मेंडेट स्वीकार कर लेना चाहिए." इसके अलावा उन्होंने अखिलेश और खुद के चुनाव प्रचार की दूरी पर कोई भी बयान देने से इंकार कर दिया. उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा कि सब देख ही रहे थे हम तो शांत बैठे थे.