UP News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में आजमगढ़ (Azamgarh) और रामपुर (Rampur) लोकसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहा है. बीजेपी (BJP) ने आजमगढ़ से भोजपुरी स्टार दिनेश लाल यादव (Dinesh Lal Yadav) 'निरहुआ' को अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव (Dharmendra Yadav) को चुनाव में उतारा है. जबकि बसपा (BSP) से शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली (Shah Alam) को अपना प्रत्याशी बनाया है. जबकि कांग्रेस (Congress) इस बार दोनों ही सीटों पर चुनाव नहीं लड़ रही है. 


आजमगढ़ की सीट अखिलेश यादव के इस्तीफे के बाद खाली हुई है. ऐसे में पार्टी के लिए इस सीट पर जीत दर्ज करना जरूरी है. वहीं बीजेपी के सामने आजमगढ़ में विधानसभा चुनाव में सभी दस सीटों पर हार को भूल कर वापसी करने की चुनौती है. जबकि बसपा का पूराना गढ़ रहे इस क्षेत्र में अपनी खोई हुई जमीन वापस हासिल करने की चुनौती है. 


यादवों का रहा दबदबा
बसपा ने इस सीट पर गुड्डू जमाली को अपना उम्मीदवार बनाया है, जो यहां की मुबारकपुर सीट से दो बार विधायक रहे हैं. हालांकि पिछला चुनाव वो एआईएमआईएम के टिकट पर लड़े थे. लेकिन फिर बसपा में वापस आ गए हैं. ये दलित और मुस्लिम मतदाताओं वाला क्षेत्र होने के कारण बसपा के लिए अपने फिर से पूराने समीकरण को सही दिखाने का एक अवसर है. 


चाचा शिवपाल को अखिलेश यादव ने दिया एक और बड़ा झटका, क्या दोनों की राहें हो गई जुदा?


वहीं बीजेपी के लिए सपा परिवार का गढ़ रहे आजमगढ़ से जीत दर्ज करने की चुनौती है. यहां से पहले मुलायम यादव, रमाकांत यादव और अखिलेश यादव सपा के सांसद रह चुके हैं. यानि इस सीट पर ज्यादातर सांसद यादव परिवार से रहे हैं. यादव वोटरों का दबदबा होने के कारण ही इस सीट पर बीजेपी ने दिनेश लाल यादव पर दोबारा दाव खेला है. 


क्या है समीकरण?
इस सीट पर अगर वोटों की बात करें तो 40 फीसदी यादव, उसके बाद सबसे ज्यादा मुस्लिम और फिर सबसे ज्यादा दलित वोट हैं. ऐसे में इन तीनों तबकों के बीच समीकरण को साधने की चुनौती बीजेपी और बसपा के सामने है. यहां 3.5 लाख वोटर यादव, 3 लाख मुस्लिम, 2.5 लाख दलित, 1.5 लाख ठाकुर, 1 लाख ब्राह्मण और 1 लाख राजभर वोटर हैं. 


अगर बीते विधानसभा चुनाव की बात करें तो 5 सीटें इस लोकसभा क्षेत्र में आती हैं. इन 5 सीटों में से 4.36 हजार वोट सपा को मिले थे. जबकि अखिलेश यादव 2019 के लोकसभा चुनाव में 2.5 लाख वोट से बीजेपी प्रत्याशी रहे निरहुआ को हराया था. हांलाकि तब बसपा और सपा ने चुनाव मिलकर लड़ा था. ऐसे में बीजेपी के लिए सीट पर कमल खिलाना मुश्किल नजर आ रहा है. 


ये भी पढ़ें-


UP MLC Election 2022: BJP ने जारी की 9 उम्मीदवारों की सूची, डिप्टी CM केशव प्रसाद मौर्य समेत इन नेताओं को दिया टिकट